उत्तर प्रदेश के पूर्व सीएम और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव के सरकारी बंगला छोड़ने के बाद जो तस्वीर सामने आयी थी वो चौंकाने वाली थी। सफेद कुर्ता और लाल टोपी पहने अखिलेश यादव को काफी ट्रोल भी किया गया था। अखिलेश यादव जिस सरकारी बंगले में रहते थे वो आलीशान सरकारी बंगला 42 करोड़ रुपये की लागत से बनाया गया था जिसमें करदाताओं के पैसों से आयातित टाइल्स, दुर्लभ टाइल्स जैसी चीजों का इस्तेमाल किया गया था। 2016 में अपने कार्यकाल के अंतराल के दौरान शायद अखिलेश यादव को ये पता था कि जनता उनके कार्यों से खुश नहीं है और अगले चुनाव के बाद वो सत्ता से बाहर हो जायेंगे और इसीलिए उन्होंने सरकारी पैसों से इस बंगले को आलीशान बनाया था। उत्तर प्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्री सत्ता से बाहर होने के बाद भी लंबे समय से सरकारी बंगले पर हक जमाए हुए थे लेकिन जब उन्हें बंगला खाली करने के लिए कहा गया तो उन्होंने टीवी और एसी जैसे सभी इलेक्ट्रॉनिक और इलेक्ट्रिकल उपकरणों के अलावा इलेक्ट्रिसिटी स्विच बोर्ड तक निकलवा दिए थे। सभी बाथरूम से नल और शावर को निकाल लिए गये थे। यूपी एस्टेट विभाग खाली बंगले पर पहुंचे तो उन्हें भी यकीन नहीं हुआ कि अखिलेश यादव कुछ ऐसा करेंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया था कि पूर्व मुख्यमंत्रियों को कार्यकाल समाप्त हो जाने के बाद सरकारी आवास को खाली करना होगा। कोर्ट के इस फैसले के बाद यूपी सरकार ने 6 पूर्व मुख्यमंत्रियों को अधिकारिक आवास खाली करने के लिए नोटिस भेजा था। नारायण दत्त तिवारी, मुलायम सिंह यादव, कल्याण सिंह, मायावती, राजनाथ सिंह और अखिलेश यादव को सरकारी बंगला खाली करने के लिए कहा गया था। इसके बाद अखिलेश यादव को लखनऊ में 4 विक्रमादित्य मार्ग पर आबंटित बंगले को खाली करना पड़ा था। ऐसा लगता है कि इस फैसले से अखिलेश यादव के मन में गुस्सा भरा था और इसी गुस्से में उन्होंने बंगले को तहस-नहस किया होगा। अखिलेश ने इस कदम से पहले ही अपनी छवि को खराब कर चुके हैं और ऊपर से योगी सरकार ने इस मामले में जांच के आदेश दिए हैं।
अब अखिलेश के सरकारी बंगले को लेकर चल रहे सियासी घमासान के बीच सरकारी बंगले में अवैध निर्माण और तोड़फोड़ कराने के आरोपों का सामना कर रहे सपा अध्यक्ष ने रविवार को उन पत्रकारों को धमकी दी जिन्होंने बंगले में तोड़-फोड़ को लेकर उनके खिलाफ खबर दिखाई थी साथ ही ये भी कहा कि जो लोग उन मीडियाकर्मियों का नाम बताएंगे उन्हें 11 लाख रुपये का इनाम दिया जायेगा। उन्होंने मीडिया से कहा, ‘जिसने बंगले के तोड़-फोड़ को लेकर खबर दिखाई है उस मीडियाकर्मी का नाम बताने वाले को 11 लाख रुपये का इनाम देंगे।’
People say that I did illegal construction, whereas the map was passed by LDA: Akhilesh Yadav, Former Uttar Pradesh CM | #AkhileshPayBack pic.twitter.com/HgJjbHPC8n
— TIMES NOW (@TimesNow) August 5, 2018
इसके अलावा अखिलेश यादव ने बंगले में अवैध निर्माण करवाए जाने के आरोप पर कहा कि बंगले में लखनऊ डेवलपमेंट अथॉरिटी (LDA) की अनुमति के बाद ही कुछ निर्माण का काम करवाया गया था। बंगले में तोड़-फोड़ किये जाने के इतने दिनों के बाद अखिलेश यादव की ये प्रतिक्रिया समझ के बाहर है। ऐसे में अब ये सवाल उठता है कि अखिलेश यादव पत्रकार का नाम क्यों जानना चाहते हैं? एक पत्रकार अपने कर्तव्य का पालन कर रहा था ऐसे में अखिलेश यादव का इस तरह से उसका नाम बताने के लिए इनाम की राशि की घोषणा करना कितना सही है? अपने इस बयान से अखिलेश यादव ने बता दिया है कि उनकी पूर्व सरकार गुंडा राज को ही बढ़ावा देती थी। भारत के सबसे बड़े राज्य के मुख्यमंत्री रह चुके एक नेता को ऐसा करना शोभा नहीं देता है। एक ऐसा व्यक्ति जिसने एक राज्य पर शासन किया हो उसके द्वारा इस तरह की धमकी भरी घोषणा करना उनके कार्यप्रणाली को दर्शाता है।
मुख्यधारा की मीडिया ने अखिलेश यादव के इस बयान पर चुपी साध रखी है लेकिन सरकार ऐसा नहीं करेगी। अखिलेश यादव ने इस तरह की घोषणा क्यों की इस सवाल के पीछे उनके इरादों को लेकर उनसे सवाल किये जाने चाहिए।