इंडियन नेशनल कांग्रेस के चुनाव चिन्ह ‘हाथ का पंजा’ के खिलाफ याचिका दाखिल की गयी है। याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में कांग्रेस पर चुनाव चिन्ह के द्वारा अचार सहिंता का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है, इस मामले में चुनाव आयोग जल्द ही सुनवाई करने वाला है। दरअसल, जनवरी में पेशे से वकील और नेता अश्विनी उपाध्याय ने अपनी याचिका में चुनाव आयोग से पंजे के निशान वाले चुनावी चिन्ह को रद्द करने की मांग की थी।
हाथ का पंजा कांग्रेस का चुनाव चिन्ह है। चुनाव प्रचार के दौरान कांग्रेस अपनी पार्टी के प्रचार के लिए इसी चुनावी चिन्ह का उपयोग करती है। अश्विनी उपाध्याय की याचिका के मुताबिक, चुनाव प्रचार चुनाव से 48 घंटे पहले ही थम जाता है लेकिन कांग्रेस अपने चुनाव चिन्ह का दुरुपयोग प्रचार खत्म होने के बाद भी करती है। चुनाव के दिन भी उम्मीदवार, पार्टी समर्थक और चुनाव एजेंट चुनाव चिन्ह हाथ का उपयोग इशारों में करते हैं। याचिका के मताबिक पोलिंग बूथ पर किसी तरह के इशारे या प्रचार की मनाही होती है लेकिन वहां भी इशारों में कांग्रेस पार्टी का प्रचार किया जाता है। ये चुनाव चिन्ह आचार संहिता का उल्लंघन करता है।
बता दें कि जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की दारा 130 और 1961 चुनाव आचार संहिता के नियम के मुताबिक मानव शरीर का कोई भी अंग चुनाव चिन्ह नहीं हो सकता है। इसी आधार पर दिल्ली बीजेपी के प्रवक्ता और पेशे से वकील अश्विनी उपाध्याय ने चुनाव आयोग से कांग्रेस का चुनाव चिन्ह ‘हाथ का पंजा’ रद्द किए जाने की मांग की है। उन्होंने आगे कहा कि, “हाथ मानव शरीर का अंग है। कांग्रेस का चुनावी चिन्ह हाथ है। मानव अंग होने के कारण मतदान केंद्र के 100 मीटर के अंदर भी उसका प्रदर्शन कर मतदाताओं को लुभाया जाता है। ऐसे में इसे रद्द किया जाना चाहिए।”
कांग्रेस पार्टी का इस चिन्ह के साथ बहुत लम्बा इतिहास रहा है। कांग्रेस पार्टी का चुनावी चिन्ह हाथ का पंजा हमेशा से कांग्रेस का चिन्ह नहीं रहा था। आजादी तक पुरानी कांग्रेस पार्टी का चुनावी चिन्ह तिरंगे में चरखा था। इसके बाद नयी कांग्रेस का चुनावी चिन्ह गाय का बछड़ा था। वर्ष 1977 में आपातकाल समाप्त होने के बाद कांग्रेस पार्टी की बदहाली शुरू हुई तो कांग्रेस ने इंदिरा गांधी के नेतृत्व में अपना चुनावी चिन्ह ‘हाथ का पंजा’ रख लिया। विडंबना ये है कि हाथ का पंजा आल इण्डिया फॉरवर्ड ब्लॉक का चुनाव चिन्ह था जिसकी स्थापना नेताजी सुभाष चन्द्र बोस ने की थी। सबसे पहले आम चुनाव में ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक (रुइकर) ने ‘हाथ का पंजा’ सिंबल पर चुनाव लड़ा था।
हर पार्टी का चिन्ह उसकी विचारधारा को व्यक्त करता है ऐसे में सवाल उठता है कि क्या ‘पंजा’ चिन्ह को रद्द किया जाना चाहिए? निश्चित रूप से इसे रद्द किया जाना चाहिए क्योंकि ये चिन्ह एक विचारधारा के प्रतीक से ज्यादा सच्चाई, निष्पक्षता का प्रतीक है। इसके अलावा चुनावी प्रक्रिया के दौरान इस चिन्ह का दुरुपयोग किया जा रहा है।
गौर हो कि, इस चुनाव चिन्ह को लेकर जो दलीलें दी गयी हैं वो इसे रद्द करने के पक्ष में हैं और ज्यादा तार्किक है। हालांकि, ये दिलचस्प है कि इस प्रक्रिया में भारत निर्वाचन आयोग के साथ कोर्ट भी शामिल होगा। कांग्रेस के चुनावी चिन्ह ‘हाथ का पंजा’ का भविष्य क्या होगा ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा।