न्यूज़ ब्रॉडकास्टिंग स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी (एनबीएसए) एक स्वतंत्र संस्था है जो टीवी चैनलों पर प्रसारित होने वाले कार्यक्रमों पर नजर रखती है और किसी विवादित स्थिति में आदेश पारित करती है। इस संस्था ने अर्नब गोस्वामी के चैनल रिपब्लिक टीवी के प्रति भेदभावपूर्ण रवैय दिखाया है। ऐसा लगता है कि टीवी चैनलों पर प्रसारित होने वाले कार्यक्रमों और शिकायतों के मामले में एनबीएसए खास विचारधारा से प्रेरित होकर काम कर रही है। इस संस्था का भेदभावपूर्ण रुख तब सामने आया जब इसी साल जनवरी में ‘जिग्नेश फ्लॉप शो’ नाम के कार्यक्रम के मामले में रिपब्लिक टीवी को फुल स्क्रीन माफीनामा प्रसारित करने का आदेश दिया।
30 अगस्त 2018 को अपने आदेश में न्यूज़ ब्रॉडकास्टिंग स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ने कहा, “चैनल के एंकर अर्नब गोस्वामी द्वारा अपने शो के दौरान की गई टिप्पणियां गैर-जरूरी, तर्कहीन और ब्रॉकास्टिंग स्टैंडर्ड्स का उल्लंघन थीं। उन्हें इसके लिए फुल स्क्रीन माफीनामा प्रसारित करना होगा।”
ये शिकायत ए सिंह और उनकी पत्नी ने की है जिन्होंने आरोप लगाया है कि चैनल ने जनवरी में ‘जिग्नेश फ्लॉप शो’ नाम के कार्यक्रम में रिपोर्टर शिवानी गुप्ता के साथ हुई बदसुलूकी में उनका नाम प्रसारित किया था। अपनी रिपोर्ट में एनबीएसए ने यहां तक कहा कि शिकायतकर्ता ने अपनी शिकायत में किसी भी आपत्तिजनक शब्द या कोई भी धमकी या बदसलूकी का जिक्र नहीं किया है। ऐसा लगता है कि इस ‘स्वतंत्र’ निकाय ने बिना मामले की गहराई में जाए जल्दबाजी में अपना फैसला सुना दिया है। यही नहीं 7 सितंबर को अर्नब के 9 बजे के शो से पहले रिपब्लिक टीवी को फुल स्क्रीन माफीनामा प्रसारित करने को कहा और इसकी एक सीडी एनबीएसए को उपलब्ध कराने के लिए कहा है। हालांकि, रिपब्लिक टीवी ने अपने प्रसारण में ये स्पष्ट किया था कि उन्होंने जो किया वो सिर्फ अपनी रिपोर्टर की सुरक्षा के लिए किया था और इस मामले में पुलिस में शिकायत भी दर्ज कराई थी।
गुजरात के चरमपंथी नेता और वडगाम से निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवानी के मन में हमेशा से अर्नब गोस्वामी के टीवी चैनल के लिए कड़वाहट रही है। चेन्नई में अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में जिग्नेश रिपब्लिक टीवी माइक देखकर भड़क गए थे और उसे हटाने को कहा था। इस दौरान जिग्नेश ने कथित तौर पर कहा था कि रिपब्लिक टीवी के साथ बात करना उनकी में नीति नहीं है। इसके बाद टाइम्स नाउ के सब्बीर अहमद और अन्य मीडिया रिपोर्टर्स ने भी एकजुटता दिखाते हुए जिग्नेश की प्रेस कॉन्फ्रेंस का बहिष्कार कर दिया था। पत्रकारों की एकजुटता ने मेवानी को उनकी असली जगह दिखाई थी। अब ऐसा लगता है उन्होंने इससे भी कोई सबक नहीं लिया और न ही अपनी गलती के लिए माफ़ी मांगी लेकिन रिपब्लिक टीवी को जारी किये गये माफ़ी के आदेश को वो अपनी जीत के रूप में मना रहे हैं। उन्होंने ये तक दावा किया कि रिपब्लिक टीवी ने उनके खिलाफ खबर प्रसारित कर उनका अपमान किया था और उन्हें इसके लिए माफी मंगनी पड़ रही है।
इस वीडियो में उस दौरान क्या हुआ और जिग्नेश मेवानी के गुंडे किस तरह से रिपब्लिक टीवी की पत्रकार से बदसलूकी कर रहे हैं साफ़ नजर आ रहा है। वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि महिला रिपोर्टर के लिए किस तरह के गंदे और अभद्र शब्दों का इस्तेमाल किया जा रहा है। पुलिस के हस्तक्षेप के बाद ही हालात को काबू में किया गया था। दिनदहाड़े एक रिपोर्टर के साथ बदसलूकी शर्मनाक है। एक चैनल के प्रति अपनी नफरत में जिग्नेश मेवानी ने एक महिला रिपोर्टर के सम्मान और सुरक्षा को नुकसान पहुंचाया है। उम्मीद है कि पुलिस जिग्नेश के गुंडों के साथ सख्ती से पेश आते हुए सही कार्रवाई करेगी।
शिवानी गुप्ता जिस तरह से अपने अधिकारों के लिए जिग्नेश मेवानी के गुंडों के खिलाफ खड़ी हुईं वो सराहनीय है। हालांकि, ये दुखद है कि कैसे शिकायतकर्ता ने इस पूरी घटना को घुमा-फिरा कर पेश किया और कैसे एनबीएसए ने रिपब्लिक टीवी के प्रति भेदभावपूर्ण रवैया दिखाया। ये एनबीएसए की कार्यप्रणाली को दर्शाता है। रिपब्लिक टीवी को इस मामले में यूं ही शांत नहीं बैठना चाहिए ये मीडिया की स्वतंत्रता को दबाने की कोशिश को दिखाता है।