राष्ट्रीय राजनीति में भारतीय जनता पार्टी का प्रवेश 28 साल पहले 1990 में एक भव्य धार्मिक राजनीतिक रैली से हुआ था जो ‘राम रथ यात्रा’ के रूप में आज भी मशहूर है। बीजेपी के लिए हमेशा से ‘राम रथ यात्रा’ यात्रा अहम रहा है जो बीजेपी को आम लोगों के करीब करता है। इसका असर 1990 में भी दिखा था। 1990 में लालकृष्ण आडवाणी ने सोमनाथ से अयोध्या के लिए राम रथयात्रा निकाली थी और इस यात्रा ने भारतीय जनता पार्टी को एक बड़ी ताकत के तौर पर स्थापित कर दिया था। ‘राम रथ यात्रा’ से आम जनता का लगाव उनकी भक्ति भावना से जुड़ा है। अब बीजेपी पश्चिम बंगाल में भी रथ यात्रा की योजना बना रही है ताकि वो आम जनता के करीब हो सके।
खबरों की मानें तो अगले साल होने वाले लोकसभा चुनावों के मद्देनजर भारतीय जनता पार्टी पश्चिम बंगाल इकाई राज्य के सभी 42 संसदीय क्षेत्रों के लिए तीन रथ यात्रायें निकालने की योजना बना रही है और संभावना है कि भाजपा अध्यक्ष अमित शाह इस यात्रा से जुड़ सकते हैं। प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा, “रथयात्राएं दिसंबर में शुरू होंगी और इस अभियान के लिए प्रचार दुर्गापूजा के बाद से ही शुरू हो जायेगा।” खबरों के मुताबिक इसी साल जून में अमित शाह के दो दिवसीय बंगाल यात्रा के दौरान रथयात्रा निकालने का निर्णय लिया गया था। घोष ने ये भी बताया कि इस यात्रा में केंद्रीय मंत्री, भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्री और पार्टी के वरिष्ठ पदाधिकारी शामिल होंगे। प्रथम रथयात्रा 3 दिसंबर को तारापीठ से शुरू होगी जबकि दूसरी रथयात्रा दक्षिण 24 परगना जिले के नामखाना-गंगासागर से पांच दिसंबर को और अंतिम रथयात्रा कूचबिहार से 7 दिसंबर को निकलेगी। प्रत्येक रथयात्रा में 14 लोकसभा क्षेत्र शामिल हैं। इसके अलावा प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष दिलीप घोष ने ये भी बताया कि जनवरी के अंत में हम कोलकाता में महारैली करने की योजना बना रहे हैं जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संबोधित करेंगे। इससे साफ़ है कि पश्चिम बंगाल में अपनी पकड़ को मजबूत करने के लिए बीजेपी ने कमर कस ली है और इसके संकेत अमित शाह ने काफी पहले ही दे दिए थे।
दरअसल, पश्चिम बंगाल में बीजेपी की उम्मीद के पीछे कई कारण हैं। 2014 के बाद से बीजेपी ममता बनर्जी तृणमूल कांग्रेस के सामने मुख्य विपक्षी पार्टी बनकर उभरी है। हाल ही में संपन्न हुए पंचायत चुनावों में कम्युनिस्ट और कांग्रेस दोनों पार्टियों को पीछे छोड़कर बीजेपी दूसरी सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी है। पार्टी के वोट शेयर में भी उल्लेखनीय सुधार देखा गया। ऐसे में इसे 2019 के चुनावों के सीटों के रूप में देखा जा सकता है। यही नहीं पीएम नरेंद्र मोदी के विकासपूर्ण रणनीतियों ने ममता की परेशानियों को बढ़ावा दिया है। पश्चिम बंगाल विकास और प्रगति के मार्ग पर लौटने के लिए उत्सुक है जो लगातार कम्युनिस्ट और तृणमूल द्वारा खंडित हुआ है। तृणमूल कार्यकर्ता भ्रष्टाचार और व्यक्तिगत उन्नति पर ज्यादा केंद्रित रहे हैं और अब उनकी ये नीति किसी से छुपी नहीं है।
पश्चिम बंगाल में बीजेपी को तृणमूल के बेहतर विकल्प के रूप में उभरने के लिए अपनी राज्य इकाई को सशक्त बनाना है। मोदी मैजिक सबसे मजबूत तब होगा जब मजबूत स्थानीय इकाई होगी जो उनके संदेश को लोगों तक पहुंचा सके ऐसे ‘राम रथ यात्रा’ बीजेपी की पकड़ को राज्य में और मजबूत करने में सहायक होगा। पार्टी और पार्टी के सदस्य इस यात्रा के लिए अभी से काफी उत्सुक हैं।