छत्तीसगढ़ में पिछले 15 वर्षों से भाजपा का शासन है और रमन सिंह राज्य के मुख्यमंत्री हैं। ऐसा देश की राजनीति में पहली बार हो रहा है कि लगातार इतने वर्षों तक सत्ता में रहने के बावजूद सत्ता विरोधी लहर सत्ता पक्ष की तरफ न घूमकर 15 वर्षों से राज्य की राजनीति में वनवास झेल रही कांग्रेस पार्टी की तरफ नजर आ रहा है। राज्य में विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है और 12 नवंबर को 18 सीटों के लिए मतदान होने वाला है। जिनमें 12 सीटें अकेले बस्तर से आती हैं।
बस्तर कांग्रेस का गढ़ माना जाता है लेकिन अगर बस्तर के वर्तमान अंकगणित को देखें तो पाएंगे कि 12 में से 8 सीटें कांग्रेस के पास हैं और 4 सीटें फिलहाल भाजपा के पास है। कांग्रेस ने बस्तर में अपने 7 विधायकों पर फिर से भरोसा जताया है जबकि पांच नए उम्मीदवारों को मैदान में उतार रही है। भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस को बस्तर में मात देने के लिए एक मास्टरस्ट्रोक खेला है। भाजपा ने जीते हुए उम्मीदवारों को तो टिकट दिया ही है साथ ही अंतिम चुनाव में हारे हुए उम्मीदवारों को फिर से टिकट दिया है ताकि लोगों में सहानुभूति की लहर पैदा कर बस्तर में कांग्रेस को एक बार फिर से पटखनी दी जा सके। स्पष्ट रूप से साल 2008 की तरह ही बीजेपी इस क्षेत्र में अपनी जबरदस्त जीत से कांग्रेस को उसके ही गढ़ में औंधे मुंह गिराने में सफल होगी।
रमन सिंह सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धियों में राज्य में नक्सलवाद के प्रभाव को खत्म करना रहा है। बस्तर छत्तीसगढ़ में सबसे ज्यादा नक्सल प्रभावित जिला माना जाता है इसलिए इस बार बस्तर में भारतीय जनता पार्टी का चुनावी दांव ज्यादा मजबूत लग रहा है। अंतिम चुनाव में कांग्रेस के जीते हुए उम्मीदवारों के सामने भाजपा अपने हारे हुए उम्मीदवारों को उतारकर कांग्रेस विधायकों के खिलाफ सत्ता-विरोधी लहर पैदा कर एक नए राजनीतिक पैटर्न की शुरुआत की है।
विधानसभा चुनाव के ठीक पहले दैनिक भास्कर के द्वारा करवाए गए एक ऑनलाइन रायशुमारी में डॉ. रमन सिंह मुख्यमंत्री के रूप में 56% लोगों की पसंद बने हुए हैं। देश की सबसे पुरानी पार्टी के भूपेश बघेल मुख्यमंत्री के रूप में दूसरी पसंद हैं लेकिन वो रमन सिंह से काफी पीछे हैं। सर्वे में शामिल 23% लोगों की राय उनके पक्ष में है। कांग्रेस पार्टी के पास एक ठोस और लोकप्रिय चेहरे की साफ कमी देखी जा सकती है।
कांग्रेस पार्टी के अनुसार रमन सिंह से धान के किसान नाराज चल रहे हैं लेकिन रमन सरकार का कहना है कि हमने किसानों को कई बार बढ़े हुए समर्थन मूल्य का फायदा पहुंचाया है। छत्तीसगढ़ सरकार के दावों में इसलिए भी दम नजर आ रहा है क्योंकि केंद्र की मोदी सरकार ने खरीफ फसल पर मिलने वाले समर्थन मूल्य को इसी साल डेढ़ गुना कर दिया था। आपको बता दें कि छत्तीसगढ़ धान की खेती के लिए मशहूर है।
छत्तीसगढ़ में अजीत जोगी की पार्टी छत्तीसगढ़ कांग्रेस और बसपा के बीच हुए गठबंधन से इस राष्ट्रीय पार्टी को जबरदस्त घाटे का सामना करना पड़ सकता है। ये दोनों पार्टियां कांग्रेस के वोट को ही काटेंगी। कांग्रेस की सबसे बड़ी परेशानी है कि वो अंतिम समय में मोर्चा संभालने की कोशिश करती है तब तक सभी राजनीतिक प्यादे अपनी जगह फिट हो चुके होते हैं। कांग्रेस के पास सक्रिय दृष्टिकोण की कमी है। यही कारण है कि आज राज्य में 15 वर्ष से सत्ता में बाहर रहने के बावजूद कांग्रेस खुद ही अपने गढ़ में सत्ता विरोधी लहर का शिकार होने वाली है।