पहले चुनाव हार जाने पर पार्टियां और नेता अपनी गलतियां स्वीकार करते थे। खुद की कमियों का विश्लेषण करते थे। जनता दरबार में जाकर अपनी कमियां पूछते थे। लेकिन पिछले 2-3 सालों से एक अजीब सा बहाना मिल गया है। ईवीएम….! ईवीएम….! बस ईवीएम….! अगर चुनाव जीत गए तो ईवीएम ठीक थी और अगर नहीं जीत पाए तो ईवीएम गड़बड़ था।
जी हां, विपक्षी पार्टियां सत्ता पाने के लिए ऐसे तड़प रही हैं जैसे बिन पानी कोई मछली। इनमें सबसे बेचारगी वाली स्थिति से दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी, आम आदमी पार्टी गुजर रहे हैं। ईवीएम में खराबी का राग अलापने वालों में ये विपक्षी पार्टियों के सरदार रहे हैं। उनकी इस प्रतिभा को उनके पार्टी यानी आम आदमी पार्टी के नेता भी अब अनुसरण करने लगे हैं।
इस बार दिल्ली के जंगपुरा से आम आदमी पार्टी के विधायक प्रवीण कुमार ने ईवीएम से जुड़ा एक फर्जी वीडियो शेयर किया। इस फर्जी वीडियो को दिखाकर वो ईवीएम में गड़बड़ी साबित करके जनता को गुमराह करने का प्रयास कर रहे थे। विधायक ने जनता को गुमराह करने के लिए उस वीडियो को छत्तीसगढ़ के चुनाव का बताया। वीडियो को शेयर करते हुए विधायक लिखते हैं, “छ्त्तीसगढ़ में चुनावजारी, कोई भी बटन दबाओं, लाइट कमल की जलेगी। अब खुद देखें।“
दरअसल हाल ही में छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव संपन्न हुए हैं। दूसरी तरफ 2019 का आम चुनाव भी नजदीक है। इसी को ध्यान में रखते हुए आम आदमी पार्टी और विपक्षी दलों के नेता बीजेपी के खिलाफ माहौल बनाने के लिए अफवाहों की श्रृंखला शुरू कर चुके हैं। इसी क्रम में दिल्ली के जंगपुरा से आम आदमी पार्टी के विधायक प्रवीण कुमार ने ईवीएम से जुड़े एक वीडियो को शेयर कर एक बार फिर से जनता को गुमराह करने का प्रयास किया।
एक कहावत है न कि झूठ का पर्दाफाश होने में वक्त नहीं लगता। सांचे को आंच क्या। इसी तरह से इस मामले में सच्चाई पर से पर्दा हटने में वक्त नहीं लगा। एक वेबसाइट ने फैक्ट चेक किया तो पाया कि यह वीडियो पुराना वीडियो है। हैरानी तो तब हुई जब ये समाने आया कि ये वीडियो वास्तव में छत्तीसगढ़ का है ही नहीं। वो पुराने चुनाव का वीडियो था जिसमें ईवीएम मशीन खराब हो गई थी। लेकिन उस वीडियो को अब दिखाकर आम आदमी पार्टी विधायक छत्तीसगढ़ का वीडियो बता रहे थे। उनका उद्देश्य 2019 के पहले माहौल बिगाड़कर बीजेपी को बदनाम करना था।
बताते चलें, इससे पहले भी आम आदमी पार्टी ईवीएम मशीन के साथ छेड़छाड़ का मुद्दा उठती रही है और हर बार उसके दावें झूठ और बेबुनियाद साबित हुए हैं। इसके लिए एक बार तो कंपनी ने दिल्ली विधानसभा में एक फर्जी ईवीएम लाकर डेमो भी किया था। इस डेमो को लेकर केजरीवाल पर उनकी पार्टी हंसी का पात्र भी बन गई थी। हर बार चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि ईवीएम मशीन में छेड़छाड़ संभव नहीं है। इसके लिए चुनाव आयोग ने भी पार्टी को सख्त होकर कहा था कि ऐसे फर्जी ईवीएम से डेमो नहीं होता। चुनाव आयोग ने ईवीएम हैक करके दिखाने के लिए सभी पार्टियों को आमंत्रित भी किया था लेकिन उस समय कोई भी पार्टी आगे नहीं आई। बाद में जब जनता द्वारा नकारे जाते हैं और मुंह छिपाने के लिए कुछ नहीं मिलता तो सबसे आसान ईवीएम को दोषी ठहराना ही बचता है। लेकिन ऐसे में इन पार्टियों से कौन पूछे कि अगर बीजेपी ईवीएम मशीन हैक ही करवा लेती है तो फिर सब मिलकर महागठबंधन की सरकार कैसे बनाने में सक्षम होते हैं बीजेपी अपने ही बहुमत के आंकड़े भी तो इससे जुटा सकती थी न लेकिन ऐसा नहीं है।