असम में राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (NRC) का अंतिम मसौदा जब जारी हुआ तो विपक्षी दलों ने इसपर हंगामा करना शुरू कर दिया जबकि कांग्रेस ने इस मामले में चुप्पी साधी हुई थी। जहाँ इस मुद्दे को लेकर बीजेपी को घेरने की पूरी कोशिश रहा था कांग्रेस चुप थी। विपक्षी नेता भड़काऊ बयानबाजी कर रहे हैं और बीजेपी पर विशेष समुदाय के खिलाफ षडयंत्र करने के आरोप लगा रहे थे। इस परिवारवाद पार्टी के हाई कमान तो नहीं लेकिन छोटे मोटे नेता जरुर इसपर अपनी राय दे रहे थे। जब कांग्रेस को लगा कि इस मुद्दे पर बीजेपी का विरोध पार्टी के लिए भारी साबित होगा तो वो शांत हो गयी। दरअसल, एनआरसी से कांग्रेस की वोटबैंक की राजनीति प्रभावित होगी इसीलिए वो एनआरसी के समर्थन में नहीं थी और कुछ भी बोलने स बाख रही थी। अब बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने कांग्रेस को एनआरसी के मुद्दे पर घेरा है और कहा है कि कांग्रेस घुसपैठियों को मौसेरे भाई की तरह बचाती है। अमित शाह ने सही काह कांग्रेस हमेशा से ही अवैध अप्रवासियों को को बचाती रही है।
बता दें कि राजस्थान में 7 दिसम्बर को चुनाव है और पार्टी के प्रचार के लिए अमित शाह राज्य में रैली कर रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह ने शुक्रवार को राजस्थान के नागौर में चुनावी रैली को संबोधित करते हुए कांग्रेस पार्टी पर निशाना साधा। अमित शाह ने कहा, हमने असम में 40 लाख घुसपैठियों की पहचान की, संसद में राहुल गांधी कह रहे हैं कि उन्हें देश से क्यों निकाल रहे हो। घुसपैठ करने वाले यहां पर बम धमाके करते हैं, हमारे लोग मारे जाते हैं लेकिन कांग्रेस वाले घुसपैठियों को ऐसे बचा रही है जैसे इनके मौसेरे भाई लगते हो। 2019 में मोदी सरकार बनने के बाद एक-एक घुसपैठियों को बाहर निकाल दिया जायेगा। जबकि खुद कांग्रेस को लगता था कि अवैध अप्रवासी देश की सुरक्षा के लिए खतरा हैं। इस बात का खुलासा टाइम्स नाउ ने अपनी एक रिपोर्ट में किया है और इस रिपोर्ट के पुख्ता सबूत भी पेश किये हैं। टाइम्स नाउ ने अपनी रिपोर्ट में अवैध बांग्लादेशियों के मुद्दे पर तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में 2005 की यूपीए सरकार की बैठक से जुड़ा विवरण प्रकाशित किया था जिसने कांग्रेस की दोहरी राजनीति को सामने रख दिया था।
यही नहीं विकीलीक्स ने भी अपने खुलासे में बताया है कि कैसे यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी और कांग्रेस तुष्टिकरण की राजनीति में लिप्त थे और अपनी इस रणनीति को सफल करने के लिए उन्होंने बांग्लादेशी घुसपैठियों का साथ दिया। खुलासे में बताया गया है कि, ‘बिहार और कर्नाटक में मिली हार से कांग्रेस काफी हताश थी और पार्टी ने अब असम में अपनी पकड़ को मजबूत करने के लिए मुस्लिम समुदाय को लुभाना शुरू कर दिया था। असम में मुख्य विपक्षी दल क्षेत्रीय पार्टी असम गण परिषद (एजीपी) और भारतीय जनता पार्टी है जो कमजोर और टूटी हुई थी लेकिन कांग्रेस पार्टी और उसके परंपरागत मुस्लिम वोट बैंक के बीच 2005 से दरार पड़नी शुरू हो गयी थी जिससे कांग्रेस पार्टी अपना वोट आधार खोने लगी थी। मई 2006 के विधानसभा चुनावों के लिए पार्टी का अभियान मुस्लिम समुदाय को लुभाने का था। मुस्लिमों को लुभाने के लिए गांधी (सोनिया गांधी) ने फॉरेनर्स एक्ट में संशोधन करने की पेशकश की थी जिससे अवैध बंगलादेशी घुसपैठियों का निर्वासन रुक जाए।’
विकीलीक्स के खुलासे ने स्पष्ट कर दिया है कि कांग्रेस राजनीति में रहने के लिए देश की सुरक्षा के साथ भी समझौता करने को तैयार है और यही वजह है वो आज असम में एनआरसी का विरोध कर रही है। वोट बैंक की राजनीति हमेशा से ही कांग्रेस है मुख्य एजेंडा रहा है और आज भी वो यही कर रही है।
कांग्रेस के विपरीत बीजेपी ने सत्ता में आने के बाद ही अवैध अप्रवासियों को देश से बाहर निकालने के लिए काम करना शुरू कर दिया था। आजादी के बाद से ही पाकिस्तान से अप्रवासियों का आना भारत में जारी था लेकिन 1971 में पाकिस्तान से विभाजन के बाद जब बांग्लादेश अस्तित्व में आया तबसे असम में घुसपैठियों का विषय गरमाने लगा था। कांग्रेस ने कभी मामले को गंभीरता से नहीं लिया बल्कि वोटबैंक की राजनीति के लिए देश की सुरक्षा भी ताक पर रखा दिया। हालाँकि, मोदी सरकार के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार ने इस मामले की गंभीरता को समझते हुए सख्त कदम उठाये। असम और झारखंड जैसे राज्यों में एनआरसी लागू किया गया।
ये कहना गलत नहीं होगा कि मोदी सरकार से पहले किसी भी सरकार ने देश में बढ़ते अवैध बांग्लादेशी और रोहिंग्या के खिलाफ कार्रवाई नहीं की है अगर पूर्व की सरकारों ने शुरू से ही अपनी तुष्टिकरण की राजनीति को परे रखकर देश और देश की जनता के हित के लिए काम किया होता तो आज देश की स्थिति में कई सुधारात्मक बदलाव देखने को मिलते।