हाल ही में ट्विटर के सीईओ जैक डोर्से ने भारत दौरे पर कुछ भारतीय महिलाओं के साथ एक बैठक की और उसके बाद एक पोस्टर अपने हाथों में लेकर तस्वीर खिंचवाई थी। इस पोस्टर में लिखा था ब्राह्मणवादी’ और ‘पितृसत्ता’ (#SmashBrahmanicalPatriarchy) को खत्म करो। इस पोस्टर को लेकर ट्विटर के सीईओ जैक डोर्से की भारत में खूब आलोचना हुई क्योंकि उनके इस पोस्टर से ‘ब्राह्मणों के ख़िलाफ़’ और ‘ब्राह्मणों के प्रति नफ़रत का संदेश जा रहा था। इसपर बढ़ते विवाद के बाद ट्विटर ने सफाई भी दी। अभी ये मामला शांत भी नहीं हुआ था कि अब बीबीसी ने हिंदू विरोधी मानसिकता का प्रदर्शन किया है। बीबीसी हिंदी ने एक ऐसे कार्टून को साझा किया है जिसमें लिखा है, ब्राह्मणवादी’ और ‘पितृसत्ता’ को खत्म करें।
𝗖𝗔𝗥𝗧𝗢𝗢𝗡 𝗢𝗙 𝗧𝗛𝗘 𝗗𝗔𝗬 | एक हैशटैग जिसे 'ब्राह्मणों के ख़िलाफ़' षड़यंत्र बताया गया pic.twitter.com/9QdzDfIYzi
— BBC News Hindi (@BBCHindi) November 22, 2018
भारत में किस तरह की पत्रकारिता आजकल है ये उसी का खुलासा करता है। बीबीसी हिंदी अब खुलकर ब्राह्मण के प्रति नफरत का प्रचार कर रहा है और समाज में भी इस नफरत के बीज बोने का काम कर रहा है। ऐसा ही कुछ नाजी जर्मनी और स्टालिनिस्ट सोवियत संघ भी अपने प्रोपेगंडा के तहत किया करते थे। नाजी जर्मनी के अलावा भी कई सरकारों ने यहूदियों से अपनी नफरत के चलते उनके खिलाफ पोस्टर बनवाए और उन्हें इस तरह से पेश किया जिस कारण उन्हें निर्वासन के लिए मजबूर होना पड़ा था। यही नहीं अपनी नफरत के लिए तब नाजी जर्मनी और अन्य सरकारों ने कैंप सिस्टम और टेक्नॉलजी का सहारा लिया था और इतिहास के ज्यादातर हिस्से में यहूदियों का कत्ल किया जाता रहा। नाजी नेतृत्व का कहना था कि दुनिया से यहूदियों को मिटाना जर्मन लोगों और पूरी इंसानियत के लिए फायदेमंद होगा। हालांकि, असल में यहूदियों की ओर से उन्हें कोई खतरा नहीं था। फिर भी अपनी व्यक्तिगत दुश्मनी निकालने हेतु नाजी ने यहूदियों के खिलाफ नफरत का जहर भरा था। यहां देखें यहूदी विरोधी कुछ पोस्टर :
एक फिल्म भी है जिसका नाम है ‘The Eternal Jew’ जिसमें यहूदियों के बारे जो दिखाया गया वो भी एक प्रोपेगंडा से प्रेरित था।
यही नहीं इसमें न्यूज़पपेर्स ने भी यहूदी विरोधी प्रोपेगंडा को बढ़ावा दिया था।
इसी तरह का यहूदियों के खिलाफ अभियान सोवियत रूस में भी हुआ था जहां यहूदी और यहूदीवाद पर साम्यवाद को तोड़ने के प्रयास का आरोप मढ़ा गया था। स्टालिनिस्ट सोवियत संघ में, यहूदियों पर अमेरिका और इज़राइल के एजेंट होने के आरोप भी लगे थे। उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया था, उनका हर जगह अपमान किया जाता था।
भारत में ब्राह्मण के प्रति नफरत का प्रचार अब आम हो चुका है, या यूं कहें किताबों और मीडिया के जरिये ब्राह्मणों को बदनाम करने और उनपर निशाना साधना आज के जमाने का फैशन बन गया है। महाराष्ट्र और तमिलनाडु जैसे राज्यों में ब्रेनवाश कर ब्राह्मणों विरोधी भावनाओं को और मजबूत करने की दिशा में काम किया जा रहा है।
भारत में एक ब्राह्मणों विरोधी होना आज ‘प्रतिशील’ होने का टैग आसानी से प्राप्त कर सकता है। कुछ लोग ब्राह्मणों विरोधी अभियान की आलोचना को बिलकुल पसंद नहीं करते। भारत में ब्राह्मणों को निशाना बनाना अब आम बात हो गयी है । वास्तव में काफी लंबे समय से लेफ्ट-लिबरल गैंग ब्राह्मणों का शोषण करते आये हैं।
यहूदियों को इसलिए अपने घरों को छोड़ कर जाना पड़ा था क्योंकि वो काफी इंटेलीजेंट थे। चाहे व्यापर करना हो, शिक्षा हो या बैंकिंग हो हर स्तर पर वो सभी से आगे निकल जाते थे। या यूं कहें वो हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त करते थे। उनसे नफरत इसलिए की जाती थी क्योंकि वो काफी तेज दिमाग के थे और सफलता हासिल करते थे। इसलिए एक प्रोपेगंडा के तहत उन्हें समाज से बहिष्कृत करने का अभियान चलाया गया। हजारों यहूदियों का नरसंहार हुआ था। आज भी उनके प्रति नफरत कुछ लोगों में समाप्त नहीं हुई है।
ऐसा ही कुछ भारत के ब्राह्मणों के साथ होता हो जोकि ज्यादा संख्या में नहीं हैं लेकिन फिर भी हर क्षेत्र में सफल हैं। दुनिया में ईर्ष्या से पीड़ित और बेईमान लोगों को सफल लोगों से से घृणा होती है और ब्राह्मण भी इसी का शिकार हो रहे हैं।