कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस वो पार्टियां हैं जिन्हें हिंदुओं की याद चुनावी मौसम में ही आती है। चुनावी सीजन से पहले ये अपने आप को खुलकर मुस्लिमों की पार्टी, अल्पसंख्यकों को बताती फिरती है। तुष्टिकरण करती फिरती हैं। हिंदुओं के साथ सौतेला व्यवहार करती रही हैं। लेकिन चुनाव नजदीक आते ही इनके मन में हिंदुओं के प्रति भी थोड़े दिनों के लिए थोड़ा-बहुत सम्मान नजर आने लगता है। कई बार ये सम्मान बहुत ज्यादा ही उमड़ पड़ता है। हालांकि चुनाव बीतते ही हिंदुओं के प्रति इनका लगाव व प्रेम भी बीते दिनों की बात हो जाती है। यहां हम बात करने जा रहे हैं तृणमुल कांग्रेस यानी ममता बनर्जी की।
दरअसल, लोकसभा चुनाव को नजदीक देखते हुए अल्पसंख्यक तुष्टिकरण के लिए मशहूर तृणमूल कांग्रेस ने एक बार फिर से ‘नरम हिंदुत्व’ का कार्ड खेला है। इस बार ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल में 10 सूर्य मंदिरों का निर्माण कराने का ऐलान किया है। ये बात तृणमूल कांग्रेस के विधायक और वरिष्ठ नेता और आसनसोल नगर निगम के मेयर जितेंद्र कुमार तिवारी ने बताया है। तिवारी इस समय मंदिरों के निर्माण में अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं। तिवारी ने बताया कि अगले साल छठ पूजा से पहले इन मंदिरों का निर्माण पूरा होने की उम्मीद है।
जी हां, चौंकिए मत। आपने बिल्कुल सही पढ़ा है। ये उसी ममता बनर्जी की पार्टी के विधायक हैं जिस ममता बनर्जी ने मुसलमानों के अलावा हिंदुओं को कभी दिल से अपना माना ही नहीं। हालांकि, इस बार अल्पसंख्यकों के तुष्टिकरण के लिए जानी-जाने वाली ममता ने बहुसंख्यक समुदाय के बीच अपनी पहुंच बढ़ाने और हिंदीभाषी आबादी के साथ तालमेल बढ़ाने का भी प्रयास किया है।
टीएमसी विधायक और आसनसोल छठ पूजा समन्वय समिति के अध्यक्ष तिवारी ने कहा, “दुर्गापुर- आसनसोल के इस क्षेत्र में बड़ी हिंदीभाषी आबादी रहती है। हर साल हम छठ पूजा पर बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं का जमावड़ा देखते हैं। उनके लिए हमने क्षेत्र में 10 सूर्य मंदिर बनाने का फैसला किया है।“
पश्चिम वर्धमान से तृणमूल विधायक तिवारी ने कहा कि मंदिरों की डिजाइन दिसंबर तक तैयार हो जाएगी। मंदिर के निर्माण की लागत करीब दो करोड़ रुपये होगी। तिवारी ने उन्होंने कहा, “हमने मंदिरों के निर्माण के लिए स्थानीय लोगों से चंदा लेना शुरू कर दिया है। हमने विभिन्न इलाकों में चंदा लेने के लिए मंदिर समितियां बनाई हैं। आसनसोल नगर निगम सड़क और बिजली जैसी बुनियादी सुविधाएं प्रदान करेगा।“
दरअसल ममता बनर्जी के शासन में हिंदू हमेशा से ही उपेक्षित रहे हैं। ममता बनर्जी द्वारा हिंदुओं के साथ सौतेला व्यवहार किए जाने की खबरें कोई नई बात नहीं है। जब पश्चिम बंगाल एम् भारतीय जनता पार्टी ने अपनी अज्दों को मजबूत बनाने का काम किया तब ममता बनर्जी को हिंदुओं की सुध आई। साल 2014 के चुनाव में यहां भाजपा के बाबुल सुप्रियो ने जबरदस्त जीत हासिल की थी। धीरे-धीरे ममता बनर्जी को ये बात भलीभांति समझ में आ गई कि हिंदुओं के साथ सौतेला व्यवहार उन्हें भारी पड़ने वाली है। इसी को ध्यान में रखते हुए अल्पसंख्यक तुष्टिकरण के लिए मशहूर तृणमूल कांग्रेस ने इस बार ‘नर्म हिंदुत्ववादी’ का कार्ड खेला है।
ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि ममता राज में पूरी तरह से तिरस्कृत और सौतेले व्यवहार झेलने वाले हिंदू क्या तृणमूल के लालीपॉप के लालच में फंसेगे या एक सही सरकार का चुनाव करेंगे।