कभी मौसम दगा दे जाता है तो कभी बाजार और कभी किस्मत। जब तक किसानों को इन तीनों का साथ ना मिले, उन्हें उनकी मेहनत का फल नहीं मिल पाता। प्याज उगाने वाले किसानों के साथ भी इस समय यही हो रहा। है मौसम अच्छा रहा तो प्याज की देश में बंपर पैदावार हुई लेकिन इससे बाजार में प्याज के दाम काफी कम हो गए। इतने कम कि, किसानों की लागत भी नहीं निकल पा रही। केंद्र सरकार अब इन किसानों को उनकी कड़ी मेहनत की कमाई दिलाने की तैयारी कर रही है। कृषि मंत्रालय इसके लिए राज्यों से प्रस्ताव भी मांग रहा है। किसानों की इस समय हालात यह है कि, नाशिक के देवला में कुछ किसान अपनी कड़ी मेहनत से उगाए प्याज को टैक्टर-ट्रोलियों में लाकर चौहारों पर बिछा रहे हैं। बता दें कि, देश का आधा प्याज नाशिक उगाता है लेकिन इस साल यहां की मंडियों में इस प्याज की कीमत नहीं के बराबर है।
प्याज की गिरती कीमतों को लेकर केंद्र सरकार अब किसानों की मदद करने की तैयारी में हैं। कृषि मंत्रालय बाजार हस्तक्षेप योजना के जरिए बाजार मूल्य मुहैया कराएगी। कृषि मंत्रालय ने इसके लिए राज्य सरकारों से प्रस्ताव मांगा है। कृषि मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार प्याज की कीमतों में सबलता लाने को लेकर चर्चा की गई है लेकिन राज्यों की पेशकश के बिना केंद्र सीधे तौर पर इस मामले में कोई हस्तक्षेप नहीं कर सकता है। इसलिए केंद्र ने प्याज उत्पादक राज्यों को इस संबंध में प्रस्ताव भेजने को कहा है।
अधिकारी ने कहा कि, प्याज की फसल उगाने वाले किसान हतोस्ताहित न हों, इसके लिए कृषि मंत्रालय किसानों की मदद करने को तैयार है। उन्होंने बताया कि, यह मदद बाजार हस्तक्षेप योजना (मार्कट इंटरवेंशन स्कीम) के तहत की जाएगी। इस योजना के तहत केंद्र सरकार राज्यों को राहत कोष मुहैया कराएगी जिरसे किसानों को राहत पहुंच सके। हालांकि, राहत कोष कितना होगा, यह राज्यों की तरफ से आए प्रस्तावों के बाद ही तय हो पाएगा। सुत्रों के अनुसार, जल्द ही राज्य सरकारें केंद्र को अपना प्रस्ताव भेजेंगी, जिसके बाद किसानों को राहत मिल सकेगी।
किसानों को राहत पहुचाने के लिए सरकार के पास प्याज की उचित मूल्य पर खरीदी कर बाजार भाव को बढ़ाना ही एक मात्र बड़ा उपाय है, जिसकी सरकार तैयारी कर रही है। ऐसे में राज्यों की एजेंसियों के जरिए सरकार तय मात्रा में इस फसल की खरीदी कर सकती है। इसके अलावा ट्रांसपोर्टेशन सब्सिडीके साथ ही मंडी शुल्क में भी किसानों को छूट मुहैया कराई जा सकती है। साथ ही सरकारी स्तर पर अन्य उपायों को भी लागू करने की कवायद चल रही है।
महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और ओडिशा के किसानों को इस फसल की घटती कीमतों के चलते सबसे ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। बता दें कि, पुराने प्याज की मंडी में जो कीमत पहले 2500 से 3000 रुपये क्विंटल होती थी वहीं अभी इसकी कीमत औसतन 250 से 300 रुपये प्रति क्विंटल ही मिल रही है। हाल ही में महाराष्ट्र के एक किसान संजय साठे ने प्याज की कम कीमत मिलने पर पीएमओ को 1064 रुपये का मनीऑर्डर भेज दिया था। जिसके बाद पीएमओ ने जांच के लिए एक टीम भेजी थी। सरकार को यह भी चिंता है कि, किसान को अगर कम कीमतें मिलेंगी तो वह रबी सीजन में इस फसल को कम उगाएगा और फिर दाम बढ़ने पर हाहाकार मचेगा। केंद्र सरकार ने इन्ही सब बातों को ध्यान में रखते हुए जल्द से जल्द राज्यों से प्रस्ताव भेजने को कह रही है, ताकि प्याज का उत्पादन करने वाले किसानों को शीघ्र मदद मिल सके।