कांग्रेस कितना भी कर्जमाफी की शेखी बघारे, वह खुद को कितना भी किसानों का हितैषी साबित करे, लेकिन वास्तविकता कुछ और ही है। किसानों की कर्जमाफी का वादा करके और खुद को किसानों का मशीहा साबित करके कांग्रेस सत्ता में तो आ गई है लेकिन उसके किसान प्रेमी होने की जमीनी हकीकत कुछ और ही है। कर्जमाफी का वादा करके कांग्रेस पार्टी सत्ता में तो आ गई लेकिन इस पार्टी की सरकार बनने के बाद भी किसान आत्महत्या को मजबूर हो रहे हैं।
घटना मध्यप्रदेश के खंडवा की है। यहां कर्ज के बोझ तले दबे एक किसान के आत्महत्या करने का मामला सामने आया है। सूत्रों की मानें तो खंडवा जिले की पंधाना विधानसभा क्षेत्र के अस्तरिया गांव के 45 वर्षीय एक आदिवासी किसान ने कथित तौर पर पेड़ से फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। किसान का शव शनिवार सुबह करीब 7 बजे उसी के खेत के एक पेड़ से रस्सी से लटकता मिला।
बताया जा रहा है कि, किसान जुवान सिंह ने बैंक और सोसायटी के कर्ज के बोझ तले दबकर आत्महत्या की है। किसान का शव शनिवार सुबह करीब 7 बजे उसी के खेत के एक पेड़ से रस्सी से लटकता मिला। किसान जुवान सिंह पर 5 लाख से ज्यादा का कर्ज था। जुवान सिंह ने यह कर्ज पंधाना सोसायटी और स्टेट बैंक से लिया था। किसान जुवान सिंह के लड़के ने बताया कि, उसके पिता बैंक के डिफॉल्टर किसानों की सूची में हैं। पिता के कर्ज का बोझ कम करने के लिए वह खुद भी महाराष्ट्र में मजदूरी करता है। बेटे ने बताया कि कर्ज अधिक होने के कारण ही उसकी शादी टूट गई। जिसके बाद कर्ज के डूबे उसके पिता मानसिक रूप से परेशान रहने लगे थे। सम्भवतः इसी कारण से उन्होंने जान दे दी। पंधाना पुलिस थाना प्रभारी शिवेंद्र जोशी ने मीडिया से बताया, “अस्तरिया गांव के किसान जुवान सिंह (45) का शव खेत के पेड पर आज सुबह लटका हुआ मिला।”
किसान जुवान सिंह द्वारा आत्महत्या किए जाने के बाद से कर्जमाफी की शर्तों को लेकर खंडवा में कांग्रेस और भाजपा के बीच जुबानी जंग छिड़ गई है। पंधाना से भाजपा विधायक राम डांगोरे ने कहा, “मध्यप्रदेश की सरकार किसानों से किए गए वादे के प्रति खरा नहीं उतरी है।” कांग्रेस ने किसानों की कर्ज माफी की बात तो कही है, लेकिन इसकी जानकारी नहीं दी जा रही है कि कौन-कौन से किसानों का कर्ज माफ होगा।”
वहीं दूसरी और जुवान सिंह के परिजनों का आरोप है कि, सरकार द्वारा हाल ही में जारी कर्जमाफी के आदेश के बाद भी नाना प्रकार के कारण बताकर उन्हें कर्जमाफी के दायरे में शामिल नहीं किया गया। खबरों की मानें तो मृत किसान पर इस तिथि के बाद का राष्ट्रीयकृत तथा सहकारी बैंकों का करीब तीन लाख रुपये का कर्ज था।
ऐसे में कांग्रेस के खोखले वादों की पोल एक बार फिर से खुल गई है। कांग्रेस ने किसानों के कर्जमाफी का राग अलापकर जिस तरह से सत्ता हासिल की, उसका झूठ सामने आ गया है। किसानों को नाना प्रकार के कारणों से कर्जमाफी के दायरों से बाहर किया जा रहा है। ऐसे में अब सवाल उठते हैं कि क्या कांग्रेस के पास किसानों से झूठ बोलकर, उन्हें भ्रम में रखकर सत्ता हासिल करना मात्र रह गया है। आखिर इन गरीब किसानों की मृत्यु का जिम्मेदार कौन है?