भारतीय रेलवे द्वारा मणिपुर में दुनिया के सबसे ऊंचे पुल का निर्माण किया जा रहा है। नार्थ ईस्ट फ्रंटियर रेलवे ने शनिवार को बताया कि, मणिपुर में 141 मीटर ऊंचा पुल बन रहा है। यह पुल यूरोप में बने 139 मीटर ऊंचे पुल को पीछे छोड़ देगा। रेलवे द्वारा बनाए जा रहे इस ब्रिज की कुल लंबाई 703 मीटर है। इसके पिलर पहले ही बनाए जा चुके हैं। यह जानकारी नार्थ ईस्ट फ्रंटियर रेलवे ने दी है। बता दें कि, अभी तक पूर्वोत्तर के सिर्फ तीन राज्य अरुणाचल प्रदेश, त्रिपुरा और असम ही रेलमार्ग से जोड़े जा सके हैं। पूर्वोत्तर के बाकी राज्य मणिपुर, मिजोरम, मेघालय, सिक्किम और नगालैंड की राजधानियों को रेलमार्ग से अभी तक नहीं जोड़ा जा सका है। इनकी राजधानियों को रेलमार्ग से जोड़ने की कवायद तेजी से चल रही है। इसी के तहत यह सबसे ऊंचा पुल बनाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि, यह पुल मणिपुर में 111 किलोमीटर लंबे जिरीबाम-तुपुल-इंफाल के बीच बिछाई जा रही नई ब्राड गेज लाइन के तहत बनाया जा रहा है। इस परियोजना के तहत कुल 45 सुरंगें बनाई जानी हैं। इसमें 10.80 किलोमीटर की 12 नंबर वाली सुरंग सबसे लंबी होगी। बताया जा रहा है कि, यह पूर्वोत्तर के राज्यों में सबसे लंबी रेल सुरंग होगी। यह विश्व का सबसे उंचा पुल हाइड्रोलिक तकनीक से बनाया जा रहा है।
इस पुल के सबसे लंबे खंभे को बनाने के लिए विशेष रूप से डिजाइन की गई ‘स्लिप फार्म’ तकनीक अपनाई गई है। अगर स्टील गर्डर की बात करें तो इन्हें कार्यशाला में बनाया जा रहा है। इन्हें कई टुकड़ों में परियोजना स्थल तक पहुंचाया जा रहा है। पहुंचाने के बाद इन्हें कैंटिलीवर की सहायता से वहां स्थापित किया जा रहा है। बता दें कि, इस प्रोजेक्ट के राष्ट्रीय परियोजना के रूप में महत्व को देखते हुए पिछले तीन सालों के दौरान इसके निर्माण में तेजी लाई गई है।
मणिपुर, मिजोरम, मेघालय, सिक्किम और नगालैंड जैसे राज्यों में रेल मार्ग न बन पाने के कारण अन्य राज्यों और यहां के बीच आवागमन व सार्वजनिक यातायात बहुत कठिनाइयों भरा रहता है। लेकिन अब सरकार की इच्छाशक्ति के कारण यहां बहुत तेजी से काम चल रहा है।
बता दें कि, सरकार यह सबसे ऊंचा पुल बनाने के साथ-साथ पूर्वोत्तर में रेल की पटरियां बिछाने का काम भी तेजी से कर रही है। इस क्रम में पश्चिम बंगाल के सात जिलों के अलावा सिक्किम समेत पूर्वोत्तर के राज्यों में रेल पटरी बिछाने का काम भी तेजी से बढ़ रहा है। ट्रेन सेवा सुचारु रूप से संचालित करने का दायित्व पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे (एनएफआर) पर है। इसके बन जाने से आवाजाही और यातायात काफी सुलभ हो जाएगी। जबकि अभी पिछले साल की ही बात है, जब असम में चीन की सीमा के नजदीक प्रधानमंत्री मोदी ने ब्रह्मपुत्र नदी पर बने 9.15 किलोमीटर लंबे धोला-सादिया पुल का उद्घाटन किया था। इस पुल के बन जाने से सेना को काफी आसानी हो गई है। युद्ध की स्थिति में सेना को युद्ध के हथियार व अन्य सामानों को ढ़ो सकेगी। इस तरह से हम कह सकते हैं कि, जिस तत्परता से केन्द्र सरकार पूर्वोत्तर में काम करवा रही है, जल्द ही पूर्वोत्तर के राज्यों का भारत के अन्य राज्यों में यातायात और ट्रांसपोर्ट सुगम हो जाएगा।