तुम्हारी जीत से ज्यादा हमारी हार के चर्चे हैं। ये बात सबसे पहले किसने कही, किसके लिए कही, ये तो नहीं मालूम है लेकिन इतना तो तय है कि, इन दिनों यह कहावत मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर बिल्कुल सही उतर रही हैं। चुनावी नतीजों में बहुमत से फिसले शिवराज भले ही बिल्कुल सहज दिख रहे थे लेकिन चुनाव परिणाम से मध्यप्रदेश के साथ पूरा देश स्तब्ध था। शिवराज के सीएम न बनने से प्रशंसकों रो पड़े थे। यही नहीं, हार के बाद शिवराज सिंह चौहान ने कांग्रेस की तरह ईवीएम पर सवाल उठाने की बजाय सहज रुप से हार स्वीकार करते हुए विपक्षी दल कांग्रेस के बधाईयां दीं। हार के बाद भी शिवराज का कारवां नहीं रुक रहा है। शिवराज अभी भी किसी जीते हुए प्रत्याशी की तरह घर-घर, गांव-गांव जा-जाकर उनसे उनके हाल-चाल ले रहे हैं। शिवराज इन दिनों लगातार दौरे कर रहे हैं। वे जिस किसी भी गांव में जा रहे हैं, प्रशंसक उन्हें सिर आंखों पर बिठा रहे हैं। प्रशंसकों संग ‘मामा’ इन दिनों गांव-गांव, खेत-खलिहानों तक में जा-जाकर लोगों से मुलाकात कर रहे हैं। उनकी इस पहल से विरोधी भी उनके कायल हो गए हैं।
ग्राम कोसमी, सीहोर आगमन पर क्षेत्रीय जन ने श्री @ChouhanShivraj का अपार उत्साह के साथ स्वागत-अभिनंदन किया। pic.twitter.com/kpNiTD8RDO
— Office of Shivraj (@OfficeofSSC) December 24, 2018
यही नहीं, एक दमदार विपक्ष की भूमिका निभाते हुए शिवराज ने कांग्रेस को कड़क लहजे में कहा कि, हमारी जनता को कोई तकलीफ नहीं होनी चाहिए। मेल-मिलाप करने के दौरान वे बाइक के जरिए सुरई गांव पहुंचे। यहां अपने भाषण में उन्होंने कांग्रेस सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि, हमारी योजनाओं को जारी रखें वरना मैं ईंट से ईंट बजा दूंगा।
शिवराज सिंह ने ढांढ़स बंधाते हुए ग्रामीणों से कहा, “चिंता करने की कोई बात नहीं है। टाइगर अभी जिंदा है। पहले मैं कलम से काम करता था और अब मैं लड़कर काम करवाउंगा। जो कार्य स्वीकृत हैं उन्हें पूरा करवाया जाएगा। मेरी जितनी भी योजनाएं हैं उसके लिए कांग्रेस के मुख्यमंत्री से बात हुई है। किसानों की कर्जमाफी पर ढुलमुल रवैया जारी है। कभी कहते हैं कि दिवालियों का माफ करेंगे तो कभी कहते हैं 31 मार्च तक का करेंगे। मैंने कहा है कि हम अभी तक का पूरा कर्ज माफ करवाएंगे।” इकोनॉमिक्स टाइम की एक रिपोर्ट के मुताबिक एक गांव में शिवराज सिंह ने कहा, “ मामा बहुत याद आएगा….लेकिन चिंता मत करना। टाइगर अभी जिंदा है” । यहीं नहीं, मामा ने अपने ट्विटर बायो में लिखा, “The Common Man of Madhya Pradesh यानी“मध्यप्रदेश का एक आम आदमी।”
राजनैतिक पंडितों की मानें तो शिवराज के इन बुलंद हौसलों के पीछे चुनाव नतीजों के आंकड़े हैं। शिवराज को अच्छे से पता है कि, सीटों में हम भले ही कांग्रेस से थोड़े से पिछड़ गए हैं लेकिन वोट प्रतिशत के मामलों में हम अभी भी कांग्रेस से ज्यादा हैं। बता दें कि, इस बार के चुनाव बीजेपी को 41 प्रतिशत वोट शेयर मिले थे जबकि कांग्रेस को केवल 40.9 प्रतिशत वोट शेयर ही मिले थे। वोटों की बात करें, तो बीजेपी को कांग्रेस से कुल 47,824 वोट ज्यादा ही मिले थें। कांग्रेस इतने वोट भी तब पा सकी जब मामा 13 सालों से सत्ता में हैं। मामा के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर चलाने की खूब कोशिशे की गई थीं। इसके बावजूद मामा ने कांग्रेस की हालत पतली कर दी थी। मामा को अच्छे से पता है कि, आज भी जनता उन्हें ही पसंद करती है। वहीं दूसरी तरफ 2019 का लोकसभा चुनाव सिर पर है। ऐसे में मामा को अच्छे से पता है कि लोकसभा चुनाव में भारी भरकम वापसी से वे खुद को एक बार फिर से सर्वप्रिय नेता साबित कर सकते हैं।
बहुमत से फिसलने के बाद भी शिवराज जिस सिद्दत से जनता से जुड़ रहे हैं, उससे सत्ता में बैठे उनके विरोधी भी हैरान हैं। हो न हो, शिवराज सिंह चौहान (मामा) मध्यप्रदेश में विपक्ष की एक नई परिभाषा गढ़ रहे हैं। मामा यह दिखा दे रहे हैं कि, हम जनता के शुभचिंतक केवल चुनाव जीतने और सत्ता पाने तक नहीं हैं। हम सच में जनता के मामा हैं। हम सच में अपनी जनता से प्यार करते हैं।