राफेल मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद प्रशांत भूषण को एक और बड़ा झटका दे दिया है या यूं कहें केंद्र सरकार को दूसरी बड़ी राहत मिली है। दरअसल, राफेल मामले में सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सीबीआई के विशेष निदेशक पद के लिए राकेश अस्थाना की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी है। इस याचिका को एनजीओ कॉमन कॉज की ओर से वकील प्रशांत भूषण ने दायर की थी जिसमें उन्होंने अस्थाना की नियुक्ति को कानून का उल्लंघन बताया था। उन्होंने याचिका में कहा था कि अस्थाना पर भ्रष्टाचार का आरोप है लेकिन इसके बावजूद वो सीबीआई के विशेष निदेशक पद पर बने हुए हैं जोकि कानून का उल्लंघन है। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने राफेल मुद्दे प्रशांत भूषण द्वारा दायर की गयी याचिका को ये कहकर ख़ारिज कर दिया था कि ये सौदा कोई पुल, सड़क का ठेका नहीं है। ऐसे में मामलों में सुरक्षा का मुद्दा सर्वोपरि है।
The PM’s blue-eyed boy, Gujarat cadre officer, of Godra SIT fame, infiltrated as No. 2 into the CBI, has now been caught taking bribes. Under this PM, the CBI is a weapon of political vendetta. An institution in terminal decline that’s at war with itself. https://t.co/Z8kx41kVxX
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) October 22, 2018
दरअसल, सीबीआई में एक नंबर और दो नंबर के अधिकारियों पर रिश्वत लेने के आरोप लगे और दोनों में काफी टकराव भी बढ़ गया जिसके बाद सीवीसी की सिफारिश पर केंद्र सरकार ने आलोक वर्मा और राकेश अस्थाना को छुट्टी पर भेज दिया था। राकेश अस्थाना को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने केंद्र सरकार पर निशाना साधने का भी प्रयास किया था। इसके बाद कॉमन कॉज ने राकेश अस्थाना की सीबीआई के पद पर नियुक्ति को लेकर याचिका दाखिल की थी जिसकी तरफ से वकील प्रशांत भूषण ने दलील पेश की थी लेकिन कोर्ट ने इस याचिका को ख़ारिज कर दिया है।
कॉमन कॉज द्वारा याचिका की सुनवाई चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस मदन बी लोकुर, एके सिकरी और एएम सप्रे ने की थी। सरकार की ओर से अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल कोर्ट में पेश हुए थे। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा, “हमने कॉमन कॉज की याचिका और पेश किये गये दस्तावेजों पर गौर किया। हमारी राय में ये कोई मामला बनता ही नहीं और न ही ये कानून का उल्लंघन करता है इसलिए याचिका को ख़ारिज किया जाता है।“
ये पहली बार नहीं जब राकेश अस्थाना की नियुक्ती को लेकर याचिका दायर की गयी हो। इससे पहले साल 2017 में भी सुप्रीम कोर्ट में अस्थाना की नियुक्ति को चुनौती दी गई थी लेकिन 28 नवंबर 2017 को इस याचिका को खारिज कर दिया गया था। ये याचिका भी कॉमन कॉज ने ही दाखिल की थी और इसकी दलील भी प्रशांत भूषण ने ही पेश की थी।
वास्तव में झूठ पर आधारित दलीलें कभी टिकती नहीं हैं और इन दोनों ही मामलों में यही हुआ है। राफेल को घोटाले का नाम देने वाली कांग्रेस और प्रशांत भूषण को सुप्रीम कोर्ट ने आईना दिखा दिया। इसके बाद राकेश अस्थान के मामले में कांग्रेस और प्रशांत भूषण को एक और झटका दे दिया। इससे पहले भी राफेल मामले पर सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने जाने-माने वकील और सामाजिक कार्यकर्ता प्रशांत भूषण को फटकार लगाई थी। चीफ जस्टिस ने कहा था कि , “मिस्टर भूषण, जल्दबाजी न करें।” इसके बाद प्रशांत भूषण ने अपनी गलती को समझा और फिर अपनी गलती को स्वीकार भी किया। इसके बाद अपने जवाब में भूषण ने कहा, “हम जल्दी में थे, यही वजह है ये गलती हुई।” इसपर चीफ जस्टिस ने कहा, “भूषण जी जल्दबाजी न करें।” बार बार झटके मिलने के बाद भी न कांग्रेस और न ही प्रशांत भूषण अपनी हरकतों से बाज आ रहे हैं।