भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) अब दुनिया के सबसे छोटे सैटेलाइट का प्रक्षेपण करने जा रहा है। इस सैटेलाइट का नाम कलामसैट है और यह 24 जनवरी को लॉन्च होगा। सबसे खास बात यह है कि, इस उपग्रह को भारतीय छात्रों ने मिलकर तैयार किया है
इसरो के अध्यक्ष डॉ के शिवन ने शुक्रवार को बताया कि, कलामसैट वी-2 का प्रक्षेपण आंध्र्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से पीएसएलवी- सी44 मिशन के तहत किया जाएगा। इस सैटेलाइट का नामकरण पूर्व राष्ट्रपति और मिसाइलमैन एपीजे अब्दुल कलाम के नाम पर किया गया है। इसरो व देश के लिए सबसे बड़ी उपलब्धि की बात यह है कि, यह दुनिया का सबसे छोटा उपग्रह है।
कलामसैट को चेन्नई के छात्रों के समूह स्पेस किड्स ने तैयार किया है। पीएसएलवी-सी44 मिशन में इसके अलावा माइक्रोसैट-आर सैटेलाइट की भी लॉन्चिंग की जाएगी। यह पीएसएलवी के नए संस्करण पीएसएलवी-डीएल का पहला सैटेलाइट भी होगा। डॉ शिवन ने बताया कि, इसरो ने हर उपग्रह प्रक्षेपण मिशन में पीएस-4 प्लेटफॉर्म को छात्रों के बनाये उपग्रह इस्तेमाल करने का फैसला किया है। यह सैटेलाइट पीएस-4 प्लेटफॉर्म पर अंतरिक्ष में स्थापित पहला उपग्रह होगा। कलामसैट इतना छोटा है कि यह फेम्टो श्रेणी में आता है। पीएस-4 प्रक्षेपणयान का वह हिस्सा है जिसमें चौथे चरण का ईंधन भरा जाता है और यह सैटेलाइट को उसकी कक्षा में स्थापित कने के बाद अंतरिक्ष में कबाड़ के रूप में रह जाता है।
डॉ के शिवन ने बताया कि, इसमें ऊर्जा स्त्रोत के रूप में एक सौर पैनल लगेगा जो इसे छह महीने से साल भर तक सक्रिय रखेगा। उन्होंने कहा, “इसमें ऊर्जा स्त्रोत के रूप में एक सौर पैनल लगाकर इसे छह महीने से साल भर तक सक्रिय रखा जा सकता है। हम छात्रों से पूरा उपग्रह बनाने की जगह सिर्फ पे-लोड बनाकर लाने की बात कह रहे हैं। हम उनके पे-लोड को सीधे पीएस-4 में फिट कर उसे अंतरिक्ष में भेज देंगे।” डॉ शिवन ने बताया कि एक मिशन में सौ से भी ज्यादा छोटे उपग्रह भेजे जा सकते हैं। इसलिए इसरो चाहता है कि अधिक से अधिक स्टूडेंट्स उपग्रह बनाकर लाएं। उन्होंने कहा कि इसरो स्टूडेंट्स द्वारा लाए सभी उपग्रहों को प्रक्षेपित करने को तैयार है।
इसरो प्रमुख ने बताया कि अब तक इस योजना के तहत सात आवेदन आए हैं। उन्होंने बताया कि, इस साल 2019 में कुल 32 मिशनों को अंजाम दिया जाएगा। इनमें 14 प्रक्षेपण यान, 17 उपग्रह मिशन और एक डेमोमिशन शामिल है। उन्होंने कहा कि साथ ही कुछ महत्वपूर्ण मिशन, चंद्रयान-2, जी-सैट 20, चार-पांच माइक्रो रिमोट सेंसिंग उपग्रह और छोटे प्रक्षेपणयान एसएसएलवी का पहला प्रक्षेपण भी शामिल है। इस तरह से इसरो इस साल काफी कुछ नए कीर्तिमान अर्जित करने वाला है। दुनिया का सबसे छोटा सैटेलाइट लॉन्च कर इसरो ने बता दिया है कि, वह किसी भी देश से पीछे नहीं है। दूसरी ओर इसरो द्वारा हर उपग्रह प्रक्षेपण मिशन में पीएस-4 प्लेटफॉर्म को छात्रों के बनाये उपग्रहों के लिए इस्तेमाल करने का फैसला एक बड़ा कदम है। इससे देश के छात्र अंतरिक्ष अनुसंधान कार्यों के लिए प्रेरित होंगे साथ ही अब इस बात से उनका आत्मविश्वास बढ़ेगा कि उनका बनाया उपग्रह लॉन्च किया जाएगा। यह वास्तव में इसरो का एक क्रांतिकारी कदम कहा जा सकता है।