मध्य प्रदेश के नवनियुक्त मुख्यमंत्री कमलनाथ अपने फैसलों से अब विवादों में घिरते हुए नजर आ रहे हैं। या यूं कहें इन दिनों मध्य प्रदेश में विवाद और कांग्रेस एक साथ हाथ में हाथ डाले दिखाई दे रहे हैं। कार्यकर्ताओं से उलझे एक जिलाधिकारी के तबादले का मामला अभी थमा भी नहीं था कि अब कमलनाथ ने एक शिक्षका को निलंबित कर दिया है। शिक्षक ने कमलनाथ को ‘डाकू’ और शिवराज सिंह चौहान को अपना बताया था। कमलनाथ ने तुरंत कार्रवाई लेते हुए जबलपुर के सरकारी स्कूल के एक हेडमास्टर को निलंबित कर दिया। इससे पहले सत्ता की कुर्सी पाते ही कमलनाथ ने 2014 के भूले-बिसरे मामले में एक जिलाधिकारी का तबादला कर दिया था। जिलाधिकारी का दोष मात्र ये था कि उन्होंने कमल नाथ के समर्थकों से उलझने की भूल कर दी थी। कमल नाथ के इस कदम की पूरे राज्य में निंदा हुई थी लेकिन बदले और नफरत की राजनीति में डूबे कमल नाथ एक बार फिर से वैसी ही कुछ हरकत कर बैठे हैं। इस बार उन्होंने एक हेडमास्टर को अपना निशाना बनाया है।
Mukesh Tiwari, a Teacher in Jabalpur was suspended by the District Magistrate after Congress demanded action against him for calling CM Kamal Nath a ‘Daaku’ | Govind with details pic.twitter.com/5sUFRuFoZx
— TIMES NOW (@TimesNow) January 11, 2019
दरअसल, सरकारी स्कूल के एक वरिष्ठ शिक्षक-प्राचार्य ने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमल नाथ को डाकू व पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को अपना बताया था। हेडमास्टर का ये वीडियो वायरल होते ही बवाल मच गया था। इसके बाद अब कमल नाथ सरकार ने एक्शन लेते हुए वरिष्ठ प्राचार्य को तुरंत निलंबित करवा दिया।
अब कमल नाथ के इस फैसले पर लेफ्ट-लिबरल गैंग ने चुप्पी साध रखी है अब वो अभिव्यक्ति की आजादी का रोना नहीं रो रहे हैं। यहां तक कि लुटियंस मीडिया ने भी इसे कवर नहीं किए। ऐसा लगता है मध्य प्रदेश में ‘फासीवाद’ का एक नया आदर्श सामने आया है। एक तरफ जहां पीएम मोदी सभी अभद्र शब्दों और आलोचनाओं को झेलते हैं। यहां तक कि उन्हें ‘चोर’ तक कहा जाता है तब भी पीएम मोदी इस तरह के एक्शन नहीं लेते और दूसरी तरफ कांग्रेस नेता कमल नाथ हैं जो इतने असहिष्णु हैं कि उनसे एक स्कूल हेडमास्टर की आलोचना बर्दाश्त नहीं हुई और तुरंत कार्रवाई करते हुए हेडमास्टर को सिर्फ ‘डाकु’ कहने पर निलंबित कर दिया।
बता दें कि इससे पहले बीजेपी की सरकार में भी लोग शिवराज सिंह की आलोचना करते थे। लेकिन बीजेपी कार्यकर्ताओं या मध्यप्रदेश के ‘मामा’ ने कभी किसी प्रकार का ऐतराज नहीं दर्शाया। इतने लंबे समय तक शिवराज सरकार में ऐसी कभी भी किसी भी प्रकार की कोई शिकायत नहीं आई। जबकि कमलनाथ के सत्ता संभालते ही बदले और नफरत की राजनीति शुरू हो गई।
यही नहीं डीएम का तबदला और हेडमास्टर का निलंबन, यही दो ऐसी घटनाएं नहीं हैं, जिनसे यह कमलनाथ की नफरत और बदले की राजनीति झलकती है, इससे पहले भी कमलनाथ ने राज्य के कई नौकरशाहों का तबादला किया था। इन सभी नौकरशाहों ने कभी न कभी, कहीं न कहीं, किसी न किसी बात पर कमलनाथ का तानाशाही रवैया झेलना पड़ रहा है। इसके अलावा कमलनाथ ने सरकारी कार्यालयों में राष्ट्रगीत पर भी पाबंदी लगाई थी। हालांकि, बाद में जमकर आलोचना और निंदा होने पर यू टर्न ले लिया था। ये सारी घटानाएं बताती हैं कि कमलनाथ राज्य में विकास कार्य करने की बजाय बदले की भावना से काम करने में लगी है। राज्य में किसानों को यूरिया नहीं मिल रहा था, यूरिया के लिए लाइन में लगे किसानों पर लाठियां बरस रही थीं, दूसरी तरफ कमलनाथ नफरत, तुष्टिकरण और बदले की राजनीति करने में व्यस्त हैं।
वास्तव में ये दर्शाता है कि कांग्रेस किस हद तक नफरत और बदले की भावना से राजनीति कर रही है। अब देखने वाली बात ये होगी कि आने वाले लोकसभा चुनाव में जनता कांग्रेस को उसकी नफरत और बदले की भावना वाली इस राजनीति के लिए क्या सबक सिखाती है।