उत्तर प्रदेश में अपनी राजनैतिक जमीन वापस पाने की जद्दोजहद में लगीं मायावती की परेशानियां कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। अब स्मारक घोटाले में ईडी मायावती पर शिकंजा कसने की तैयारी में है। इससे पहले हमीरपुर खनन घोटाले में ईडी ने अपनी कार्रवाई शुरू की थी जिससे अखिलेश यादव की मुश्किलें पहले ही बढ़ गयी हैं। ऐसे में मायावती को लगे इस झटके से सपा-बसपा के गठबंधन पर क्या असर पड़ेगा ये तो वक्त ही बताएगा।
बता दें कि हमीरपुर खनन घोटाले के बाद ईडी ने कई सालों से ठंडे बस्ते में पड़े स्मारक घोटाला के मामले में अपनी तत्परता दिखाई है। अब इसकी जांच प्रवर्तन निदेशालय ने शुरू कर दी है। प्रवर्तन निदेशालय ने इस स्मारक घोटाले मामले में गुरुवार को लखनऊ में 6 ठिकानों पर छापेमारी की। बता दें कि स्मारक घोटाले में कुल 1400 करोड़ रुपये का घोटाला हुआ था। ईडी की ये कार्रवाई छापेमारी गोमतीनगर और हजरतगंज इलाके में हुई है।
जैसा की सब जानते हैं कि यह स्मारक घोटाला उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती से जुड़ा है। इसलिए इस जांच की आंच मायावती पर पड़नी स्वभाविक है। बताते चलें कि बसपा सुप्रीमों मायावती के कार्यकाल के दौरान लखनऊ और नोएडा में स्मारक का निर्माण किया गया था। इस निर्माण में करीब 1400 करोड़ रुपये का घोटाले का भंडाफोड़ हुआ था।
सतर्कता अधिष्ठान ने 1400 करोड़ के स्मारक घोटाले की शुरूआती जांच की थी। इसके बाद आगे की जांच के लिए विजिलेंस ने 7 इंस्पेक्टर की एक एसआईटी का गठन किया गया था। खबरों की मानें तो विजिलेंस द्वारा जांच की पूरी रिपोर्ट मिलने के बाद ही ईडी ने कार्रवाई शुरू की है।
बता दें कि स्मारक घोटाले की जांच समाजवादी पार्टी के कार्यकाल में विजिलेंस को सौंपी गई थी। सपा के कार्यकाल में ही स्मारक घोटाले में गोमती नगर में एफआईआर भी दर्ज करवाई गई थी लेकिन योगी सरकार के सत्ता में आने के बाद बंद पड़े मामलों को एक सिरे से खोला गया है। सभी अपराधियों और भ्रष्टाचारियों पर कार्रवाई शुरू की जा चुकी है। इससे पहले इस मामले की जांच में बसपा कार्यकाल में मंत्री रहे दो कद्दावर नेता नसीमुद्दीन सिद्दीकी और बाबू सिंह कुशवाहा समेत तीन दर्जन से अधिक इंजीनियरों और अन्य विभागों के अफसरों का नाम आना तय माना जा रहा है। माना जा रहा है कि विजिलेंस जल्द ही अपनी रिपोर्ट शासन को सौंप सकती है। हालांकि माना जा रहा है कि वह मामले से संबंधित अन्य लोगों से भी पूछताछ कर सकती है ताकि कोई भी अपराधी कानून के शिकंजे से बचने न पाए।
अब देखना ये होगा कि एक तरह यूपी में गठबंधन कर चुके अखिलेश और मायावती क्या कानून के शिकंजे से खुद को बचा पाते हैं। बता दें कि पहले से ही सूबे के लोगों में ऐसी धारणा बन चुकी है कि दोनों ही भ्रष्ट पार्टियां अपनी कर्मों को छिपाने के लिए गठबंधन किया है। इस बीच अगर ईडी अपनी जांच में इनमें से किसी को दोषी पा जाती है तो इन दोनों की पूरे राजनैतिक करियर पर ही ग्रहण लग सकता है।