यूपीए-2 के कार्यकाल की तुलना में भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार में संसद में अधिक कामकाज हुए हैं। द प्रिंट की एक रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है। द प्रिंट में छपी रिपोर्ट की मानें तो लोकसभा में एनडीए सरकार ने कहीं अधिक बेहतर काम किया है। जबकि राज्यसभा हंगामे की वजह से बाधित रहा है। लोकसभा में भारतीय जनता पार्टी बहुमत में है इस वजह से वहां पर कांग्रेस व विपक्षी दलों के हंगामा और कामों में अड़चन की तरकीब काम नहीं आती है। ऐसे में लोकसभा में काम आसानी से और बेहतर तरीके से हुआ और देश की जनता के पैसों की बरबादी भी नहीं हुई। वहीं दूसरी ओर राज्यसभा में एनडीए बहुमत में नहीं है। बहुमत में न होने के कारण देश से संबंधित मुद्दों पर कांग्रेस समेत विपक्षी दल कामकाज में अड़चन डालते हैं। यही वजह है कि लोकसभा की तुलना में राज्यसभा ज्यादा बाधित रही है।
द प्रिंट की रिपोर्ट के मुताबिक, पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च के डेटा के मुताबिक कि पिछले पांच वर्षों में लोकसभा में 84% और राज्यसभा में 68% प्रोडक्टिविटी रही। वहीं दूसरी ओर अगर 15वीं लोकसभा की बात करें तो इसमें जब दूसरी संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार सत्ता में थी तब लोकसभा में 63% प्रोडक्टिविटी थी। इसका मतलब साफ़ है कि यूपीए के शासनकाल में आंकड़ों के मुताबिक इसे पांच दशकों में सबसे कम डक्टिविटी कहा जा सकता है। वहीं दूसरी ओर राज्यसभा की प्रोडक्टिविटी तब 65% थी। बहुमत न होने के कारण विपक्ष जानबूझकर उच्च सदन के कामकाज को बाधित करता है।
प्रोडक्टिव सत्र के आंकड़ों अनुसार, कुल घंटों में लोकसभा को सिर्फ अपने समय का 16 फीसदी ही नुकसान हुआ लेकिन राज्यसभा में 35 फीसदी समय का नुकसान दर्ज किया गया है। लोकसभा का सबसे ज्यादा प्रोडक्टिव सत्र 2015 का बजट सत्र रहा जिसमें सबसे ज्यादा विधेयक कानून मंत्रालय और स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा लाए गए थे।
उच्च सदन में, सबसे प्रोडक्टिव सत्र 2014 का बजट सत्र था। सदन की प्रोडक्टिविटी 109 फीसदी रही।
साल 2015 में राज्यसभा में सबसे कम काम हुआ।
एनडीए सरकार के पिछले पांच वर्षों में, संसद में कुल 131 सरकारी बिल और 44 वित्त और विनियोग बिल (7 जनवरी तक) पारित हुए हैं। जब यूपीए सरकार सत्ता में थी, तब ये आंकड़ा क्रमशः 16 और 63 था।
स्पष्ट रूप से पिछले पांच वर्षों में, संसद की कुल प्रोडक्टिविटी में वृद्धि हुई, लेकिन 16 वीं लोकसभा के अंतिम सत्र में, संसद की प्रोडक्टिविटी में थोड़ी रूकावट भी देखने को मिली। इस सत्र में, लोकसभा में प्रोडक्टिविटी घटकर 36% रह गई, जबकि ये राज्यसभा में सिर्फ 18% रही।
जाहिर सी बात है कि लोकसभा में बेहतर कामकाज होना और राज्यसभा के कामकाज के बार बार बाधित होने के पीछे का कारण कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी पार्टियां रही हैं। विभिन्न दलों द्वारा विभिन्न मुद्दों पर सरकार को निशाना बनाया गया है। कांग्रेस पार्टी बार-बार राफेल मुद्दे के बहाने बार-बार कम में अड़चन डालती रही। इसके लिए कांग्रेस जेपीसी की मांग की हठ किए बैठी रही। वहीं दूसरी ओर एआईडीएमके और डीएमके ने कावेरी मुद्दे पर तो टीडीपी ने आंध्रप्रदेश को अलग राज्य का दर्जा देने का राग अलापकर राज्यसभा के कामकाज में रुकावट डाली। जिसका नतीजा ये रहा कि संसद का कीमती समय बरबाद हुआ, जनता का पैसा बरबाद हुआ। कुल मिलाकर किसी न किसी वजह से जानबूझकर राज्यसभा के कामकाज को बाधित किया जाता रहा। इसी तरह से अन्य दल भी समय-समय पर किसी न किसी बहाने उच्च सदन में सरकार का समय बरबाद करने के लिए रुकावट बनती रहीं। वहीं दूसरी ओर लोकसभा में बीजेपी की बहुमत होने के कारण कामकाज पिछली सरकार की अपेक्षा बेहतर हुए।
हालांकि, पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च के डाटा के अनुसार सदन में प्रोडक्टिव एनडीए के कार्यकाल में बेहतर ढंग से हुआ जबकि यूपीए के शासनकाल में प्रोडक्टिविटी कम रही थी।