भारतीय वायुसेना द्वारा पाकिस्तान स्थित आतंकियों के कैंप पर किये गये एयर स्ट्राइक से पाकिस्तान बौखला गया और उसने अगले दिन ही भारतीय वायु सीमा में प्रवेश करने की कोशिश की। इस दौरान भारतीय सेना के पाक को वापस खदेड़ दिया। भारत के मिग 21 ने पाकिस्तान के एफ-16 को मार गिराया था। इस बीच पाकिस्तान ने दावा किया कि भारत का एक पायलट उनके कब्जे में है और अब भारत सरकार ने एक पायलट के लापता होने की बात स्वीकार की है। हालांकि, पाकिस्तान भारतीय पायलट के साथ कोई अभद्रता या जोर-जबरदस्ती नहीं कर सकता है।
मीडिया से बातचीत में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने जानकारी देते हुए कहा, “दौरान भारतीय वायुसेना का एक मिग-21 विमान और पायलट लापता है और पाकिस्तान दावा कर रहा है पायलट उसकी कैद में है। हम तथ्यों की जांच कर रहे हैं।” पाकिस्तान ने जिस पायलट को पकडे का दावा किया है उसकी की पहचान विंग कमांडर अभिनंदन के रूप में की हुई है। इसके बाद से भारत-पाक के बीच एक बार फिर से जंग छिड़ने की संभावनाएं प्रबल हो गई हैं। हालांकि, पाकिस्तान हमारे पायलट को कोई नुकसान नहीं पहुंचा सकता है। जिनेवा युद्ध बंदी एक्ट के तहत पाकिस्तान को हमारे पायलट को रिहा करना ही होगा। ये बात खुद रिटायर्ड मेजर जनरल केके सिन्हा ने भी कही है।
हिंदी न्यूज़ चैनल न्यूज18 से बात करते हुए मेजर जनरल ने कहा, “कारगिल युद्ध के दौरान फ्लाइट लेफ्टिनेंट नचिकेता का पाकिस्तान में उतरना और पाक सेना द्वारा उन्हें पकड़ना और फिर उनका सही-सलामत वापिस आना एक बड़ा उदाहरण देश के सामने है। अगर हमारे पायलट को कुछ भी होता है तो ये जिनेवा एक्ट का उल्लघंन होगा और इंटरनेशनल लेवल पर ये एक क्रीमिनल केस होगा। 7 दिन बाद ही पाकिस्तान ने नचिकेता को हमे सही-सलामत लौटाया था। ऐसा ही हमारे मिग के पायलट के साथ भी होगा। वर्ना जिनेवा युद्ध बंदी एक्ट का उल्लघंन पाकिस्तान को बहुत भारी पड़ेगा। दूसरी बात ये कि मेडिकल सुविधा भी उस पायलट को वैसी ही मिलती जैसे डयूटी के दौरान अपने देश में मिलती।”
बता दें कि जिनेवा युद्ध बंदी एक्ट युद्धों के समय में सेना के साथ संधि की एक श्रृंखला है। इसे फर्स्ट वॉर पावर्स एक्ट भी कहते हैं जिसे सशस्त्र बलों के बीमार और घायल होने पर उनकी रक्षा करना उस देश का काम है। ये एक्ट दूसरे विश्वयुद्ध के बाद 1949 में तैयार किया गया था जिसका मकसद युद्ध के समय मानवीय मूल्यों को बनाये रखना है। वो युद्धबंदियों को डराने-धमकाने का काम या उनका अपमान नहीं किया जा सकता और न ही उन्हें लेकर जनता में उत्सुकता पैदा कर सकता है। युद्धबंदियों पर या तो मुकदमा चलाया जाएगा या फिर युद्ध के बाद हालात स्थिर होने और उन्हें वापस उनके देश लौटा दिया जाएगा। पकड़े जाने पर युद्धबंदियों को अपना नाम, सैन्य पद और नंबर बताने का प्रावधान किया गया है। जिनेवा युद्ध बंदी एक्ट के आर्टिकल 13 में कहा गया है कि युद्धबंदियों के साथ अच्छा व्यवहार करना और किसी भी तरह की स्थिति में उन्हें सुरक्षा पर सुविधा मुहैया कराना उस देश का काम है जिसने सेना के जवान को बंदी बनाया है। बता दें कि अगर पाकिस्तान जिनेवा युद्ध बंदी एक्ट का उल्लंघन करता है तो उसे अंतर्राष्ट्रीय अदालत में जवाब देना होगा। इसके साथ ही भारत पाकिस्तान को उसकी घिनौनी हरकत के लिए छोड़ेगा नहीं। जिस तरह से कारगिल युद्ध के दौरान फ्लाइट लेफ्टिनेंट नचिकेता पाक द्वारा पकडे जान के बाद भी भारत लौटे थे उसी तरह अभिनंदन भी अपने वतन सुरक्षित लौटेंगे।