हाल ही में बैंगलूरू में टेस्ट फ्लाइट के दौरान मिराज फाइटर प्लेन के क्रैश हो जाने से देश के दो होनहार पायलटों की मौत हो गई। दो पायलटों की मौत के बाद विमान बनाने वाली कंपनी हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड पर सवाल उठने खड़े हो गये हैं। यहां तक कि देश के पूर्व नेवी चीफ ने भी एचएएल पर सवाल उठाए हैं। इस दुर्घटना पर पूर्व नेवी प्रमुख ने कहा कि विमान को साधारण पायलट नहीं उड़ा रहे थे फिर भी क्रैश हो गया। उन्होंने कहा कि इस मशीन से अक्सर जवानों को जान गंवानी पड़ी है। वहीं दूसरी ओर वायुसेना प्रमुख धनोआ ने भी एचएएल पर नाराजगी जताते हुए कहा है कि एचएएस 34 साल में सिर्फ 10 विमान ही बना सकी है।
ऐसे में एचएएल एक बार फिर से बुरी तरह से विवादों में आ गई है। अपनी खराब गुणवत्ता को लेकर विवादों में रहने वाली इस कंपनी के ऊपर उठे सवाल इस बार इसलिए भी गंभीर हैं क्योंकि एचएएल की गलती के कारण देश ने अपने तीन होनहार पायलट्स खो दिए हैं।
बता दें कि फाइटर प्लेन मिराज को अपडेट करने के बाद सेवा में शामिल करने की अनुमति दी गई थी। विमान दुर्घटना में शहीद हुए स्क्वाड्रन लीडर समीर अब्रोल और सिद्धार्थ नेगी एयरक्राफ्ट एंड ‘सिस्टम्स टेस्टिंग्स इस्टेबलिशमेंट्स’ (एएसटीई) में टेस्ट पायलट थे। इन पायलट्स को हाल ही में उन्नत हुए विमान को वायुसेना में शामिल करने से पहले परीक्षण करना था।
इस घटना ने देश को इसलिए भी झकझोर दिया क्योंकि अभी चार दिन पहले ही उत्तर प्रदेश के कुशीनगर के निकट एक एचएएल द्वारा ही निर्मित जगुआर भी दुर्घटनाग्रस्त हो चुका है। यानी चार दिनों के भीतर यह एचएएल द्वारा उन्नत दूसरा विमान दुर्घटनाग्रस्त का शिकार है। हालांकि, संयोग से उस दुर्घटना में कोई हताहत नहीं हुआ था।
जिस वक्त यह दुर्घटना हुआ था, उससे ठीक एक दिन पहले एयर चीफ मार्शल बी.एस. धनोआ द्वारा नई दिल्ली में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित भी किया था। यहां उन्होंने भी एचएएल से नाराजगी जताई थी। इस सम्मेलन में उन्होंने स्पष्ट कहा था कि एचएएल को भारतीय वायुसेना का सहयोग मिलने से वायुसेना की युद्धक क्षमता प्रभावित हुई है।
यहां तक कि एयर चीफ मार्शल बी.एस. धनोहा ने उन मीडिया रिपोर्ट्स का भी खंडन किया, जिनमें कहा गया था कि वायुसेना ने तेजस के मानक बदले और इसके कारण इसमें विलंब हुआ। उन्होंने कहा, “हमने एचएएल को रियायतें दी थीं, लेकिन युद्ध क्षेत्र में जब हम दुश्मन से लड़ रहे होंगे, तो क्या दुश्मन हमें कोई रियायत देगा?”
एयर चीफ बीएस धनोआ ने यह भी बताया कि 1995 में हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) को 20 हल्के तेजस एयरक्राफ्ट का आर्डर दिया था, लेकिन 34 साल बाद कंपनी सिर्फ 10 लड़ाकू विमान ही तैयार करके वायुसेना को दे सकी।
वायुसेना प्रमुख ने आगे यह भी कहा कि ‘एसयू-30’ के अतिरिक्त उत्पादन में दो साल की देरी हो चुकी है और एलसीए उत्पादन में लगभग छह साल विलंब हो गया है। यह पहली बार नहीं है जब वायुसेना के लड़ाकू विमान एचएएल इकाई में परीक्षण के दौरान दुर्घटनाग्रस्त हुए हैं। पिछले साल जुलाई में एक ‘एसयू-30’ नासिक में दुर्घटनाग्रस्त हो गया था, जहां वायुसेना के लिए रूस-निर्मित विमान का उत्पादन एचएएल ने किया था।
वहीं दूसरी ओर एयर वाइस मार्शल (सेवानिवृत्त) मनमोहन बहादुर ने इस दुर्घटना से प्रभावित होकर आईएएनएस से कहा कि अभी मिराज दुर्घटना के बारे में अनुमान लगाना जल्दबाजी होगी। उन्होंने कहा, “चूंकि इसके संचालन की अनुमति दी जा चुकी थी तो एचएएल की प्रक्रिया और गुणवत्ता नियंत्रण की जांच की जाएगी।”
बता दें कि वायुसेना में 51 मिराज विमानों की टुकड़ी का निर्माण चल रहा है। इस टुकड़ी को फ्रांसीसी विमान निर्माता दसॉ और अन्य साझेदारों के साथ तैयार किया जा रहा है। इसमें 2.1 अरब डॉलर के सौदे के तहत उन्नत कर ‘मिराज 2000-5′ श्रेणी का किया जा रहा है। आंकड़ों की मानें तो वर्ष 2012-13 से 2016-17 तक भारतीय वायुसेना ने पांच सुखोई-30 सहित 29 लड़ाकू विमान गंवाए हैं।
ऐसे में अब एचएएल के साथ-साथ राहुल गांधी द्वारा राफेल को लेकर दैसो का अनायास मुद्दा बनाए जाने पर भी सवाल खड़े हो गये हैं। अब राहुल गांधी को उनके इन सवालों का जवाब मिल गया है, जिसमें वे राफेल सौदे में एचएएल की बजाय रअनिल अंबानी की कंपनी के ऑफसेट पार्टनर बनने पर सवाल खड़े कर रहे थे।
बता दें कि 2012 के समझौते में एचएएल का नाम था। लेकिन राफेल बनाने में एचएएल 2.7 गुना अधिक समय मांग रहा था। जिसके कारण बाद में दैसॉ और एचएएल की सहमति नहीं बनी। इसके बाद अनिल अंबनी की कंपनी ने ठेका लिया। इसी को लेकर राहुल गांधी लगातार सवाल उठा रहे हैं। लेकिन अब एचएएल की गुणवत्ता की पोल खुलने और सेना प्रमुखों द्वारा किये गये खुलासे के बाद उन्हें उनके सवालों का जवाब बखूबी मिल गया है।