लोकसभा चुनावों के मद्देनजर अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को रिझाने के लिए एक बार फिर से कांग्रेस पार्टी ने बड़ा ऐलान किया है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कांग्रेस के अल्पसंख्यक विभाग के राष्ट्रीय अधिवेशन में राहुल गांधी शामिल हुए। इस दौरान अधिवेशन को संबोधित करते हुए अल्पसंख्यकों को रिझाने हेतु पार्टी दावा करते हुए कहा कि अगर उनकी पार्टी सत्ता में ये तो तीन तलाक कानून खत्म कर देंगे। अपने इस बयान से इस पार्टी ने मुस्लिम महिलाओं के खिलाफ अपनी सोच को जगजाहिर किया है। ये कानून मोदी सरकार मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों की रक्षा के लिए लेकर आई है लेकिन कांग्रेस पार्टी शुरू से ही इसका विरोध कर रही है। पिछले साल लोकसभा में ये बिल आसानी से पास हो गया था क्योंकि बीजेपी के पास लोकसभा में बहुमत की संख्या है। जबकि राज्यसभा में बीजेपी के पास बहुमत की संख्या नहीं ऐसे में इस कानून को पास करने के लिए विपक्षी दलों का सहयोग जरुरी है।
Sushmita Dev, Congress at at AICC minority department national convention in Delhi: Main aap logon se vaada karti hoon, ki Congress ki sarkar ayegi 2019 mein aur hum iss Triple Talaq kanoon ko khaarij karenge. Yeh aap logon se vaada hai. pic.twitter.com/jkskEGXAiD
— ANI (@ANI) February 7, 2019
कांग्रेस के अल्पसंख्यक विभाग के राष्ट्रीय अधिवेशन में महिला कांग्रेस की अध्यक्ष सुष्मिता देव ने कहा, “मैं आप लोगों से वादा करती हूं कि अगर कांग्रेस सरकार आई, तो नरेंद्र मोदी सरकार के लाए गये तीन तलाक कानून को खत्म कर देंगे।” इस दौरान पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी भी मंच पर मौजूद रहे। राहुल ने भी इस बयान को अपना समर्थन दिया। स्पष्ट रूप से मुस्म्लिम महिलाओं के साथ ये बड़ा धोखा एक बार फिर से कांग्रेस पार्टी करने का विचार कर रही है। इस पार्टी ने हमेशा ही महिलाओं के हित से जुड़े कानून पर हमला किया है और अब तो ये खुलेआम ऐसा कर रही है। खुद सुप्रीम कोर्ट ने 22 अगस्त, 2017 को अपने फैसले में तीन तलाक को असंवैधानिक घोषित किया था। इससे महिलाओं के अधिकारों का हनन होता है। कोर्ट ने इस संबंध में केंद्र सरकार से बिल तैयार करने के लिए कहा था जिसके बाद केंद्र की मोदी सरकार तीन तलाक बिल लेकर आई थी। ये बिल राज्यसभा में पास नहीं हो पाया जिसके बाद केंद्र सरकार तीन तलाक पर अध्यादेश लेकर आई और कानून बनाया लेकिन अध्यादेश छह महीने के अंदर अवैध हो जाता है। फिलहाल, सरकार इस बिल को पास करने के लिए और तीन तलाक कानून को बनाये रखने के प्रयास में जुटी है।
वास्तव में तीन तलाक मुस्लिम महिलाओं के जीवन तबाह कर देता है यही वजह है कि कई इस्लामिक देशों ने तो इसे कबका खत्म कर दिया लेकिन भारत के कुछ लोग इसे पाने हित के लिए खत्म ही नहीं होने देना चाहते हैं। ईरान हो या इराक या पाकिस्तान हो कई जगह एक झटके में तीन तलाक बोलकर पत्नी से अलग नहीं हुआ जा सकता। फिर भी हमारे देश की सबसे पुरानी पार्टी अपनी तुष्टिकरण की राजनीति में इस तरह से लीन है कि इसने कभी तीन तलाक को खत्म करने का प्रयास किया ही नहीं। ये पार्टी क्खुद को महिला हितैषी बताती फिरती है लेकिन वास्तव में ये महिला विरोधी पार्टी ही रही है। भारत की 9 करोड़ मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों का हनन हो तो इस पार्टी को फर्क नहीं पड़ता और विदेशी मंच से राहुल गांधी खुद को महिला हितैषी बतातें। ‘देश में महिलाएं असुरक्षित हैं और उन्हें इस बात का भी दुःख है कि पुरुष महिलाओं के साथ भेदभाव करते हैं।‘ जैसे राग अलापने वाले राहुल गांधी को मुस्लिम महिलाओं के दुःख से कोई फर्क नहीं पड़ता। उन्हें फर्क नहीं पड़ता कि देश की मुस्लिम महिलाएं क्या चाहती हैं। एक सर्वे में सामने भी आ चुका है कि देश की 92 फीसदी मुस्लिम महिलाएं एक साथ तीन तलाक पर पाबंदी चाहती हैं। मोदी सरकार ने मुस्लिम महिलाओं की तकलीफ को समझा और तीन तलाक बिल लेकर आई लेकिन इस पार्टी ने कभी इस कानून का समर्थन नहीं किया। इसके बावजूद मुस्लिम महिलाओं का दर्द इस पुरानी पार्टी को नजर नहीं आता। अब सत्ता के लिए तुष्टिकरण की राजनीति में अंधी हुई परिवारवाद पार्टी शर्मनाक तरीके से ऐलान कर रही है कि वो तीन तलाक के कानून को खत्म करेगी। लोकसभा चुनाव को पास देख एक बार फिर से ये पार्टी अल्पसंख्यकों को रिझाने के लिए कोशिशें कर रही है।