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सीबीआई विवाद के पीछे है विपक्ष की बड़ी साजिश, ममता के साथ एकजुट हुआ पूरा विपक्ष

Pawan Jayaswal द्वारा Pawan Jayaswal
4 February 2019
in समीक्षा
पश्चिम बंगाल ममता विपक्ष

PC: NewsroomPost

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आम चुनावों से पहले विपक्षी पार्टियों की पूरी कोशिश है कि किसी भी तरह से मोदी सरकार को बदनाम किया जाए। काफी दिनों से विपक्षी पार्टियां इसके लिए कोई न कोई बहाना और राजनीतिक जमीन तैयार कर रही थी। पहले विपक्ष ने नोटबंदी, जीएसटी और राफेल जैसे मुद्दों पर मोदी सरकार को घेरने की खूब कोशिशें की थीं लेकिन वे नाकाम रहीं। हिंदी बेल्ट के राज्यों में मोदी की लोकप्रियता इतनी हैं कि यहां बीजेपी को घेरने का विपक्ष का एजेंडा काम नहीं कर पाया। उत्तर भारत में जब विपक्ष की दाल नहीं गली तो तानाशाही और कट्टर रवैया रखने वाली ममता बनर्जी शासित राज्य पश्चिम बंगाल के रूप में विपक्षी पार्टियों को एक अनुकूल राजनीतिक जमीन नजर आई। कोलकाता में ममता बनर्जी की अगुवाई में हुई महागठबंधन की महारैली इसी का उदाहरण थी। इस महागठबंधन रैली में विपक्षी पार्टियों ने पीएम मोदी को पानी पी-पीकर कोसा। उन्हें लगा कि बंगाल में मोदी के खिलाफ एक लहर उठेगी तो उत्तर भारत तक जाएगी। लेकिन जल्द ही विपक्ष के इस मंसूबे पर पानी फिर गया। अमित शाह, पीएम मोदी और योगी आदित्यनाथ की रैली में लोगों की भारी भीड़ इसका प्रत्यक्ष प्रमाण हैं।

जब ममता बनर्जी की अगुवाई वाले महागठबंध की योजना पर पानी फिरता दिखा तो यह ममता दीदी से बर्दाश्त नहीं हुआ। सूबे के लोगों में बीजेपी की लोकप्रियता बढ़ते देख ममता को अपना गढ़ खोने का ड़र सताने लगा। इसी ड़र से उपजे आवेश में ममता बनर्जी ने अपने ही प्रदेश में गृह युद्द जैसे हालात पैदा कर दिए। पहले टीएमसी ने बीजेपी की रथ यात्रा पर रोक लगाई। फिर अमित शाह को हेलीकॉप्टर लैंडिंग की इजाजत नहीं थी। कथित टीएमसी कार्यकर्ताओं ने शाह की रैली में आने वाले लोगों को रोकने का भरसक प्रयास किया। उनकी बाइक्स जलां दीं व बसों में तोड़फोड़ की। इसके बाद पीएम मोदी की रैली में भी कथित टीएमसी कार्यकर्ता बाज नहीं आए। उन्होंने मोदी के पोस्टर्स पर ममता के पोस्टर्स चस्पा कर दिए। इसके बाद ममता प्रशासन ने ऐने मौके पर कल योगी आदित्यनाथ की रैली को बिना किसी नोटिस के रोक दिया और योगी के हेलीकॉप्टर की लैंडिंग नहीं होने दी। लेकिन योगी भी कहां मानने वाले थे, उन्होंने फोन से ही दो रैलियों को संबोधित कर दिया।

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मां काली का अपमान और ममता का मौन: बंगाल में तुष्टीकरण राज की भयावह सच्चाई

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इस तरह ममता सरकार ने विपक्षी पार्टी के चुनाव प्रचार में अड़ंगा डालकर लोकतंत्र की हत्या तो की ही, अब उसने सीबीआई अधिकारियों को गिरफ्तार कर सारी सीमाएं ही लांघ दी हैं। ममता सरकार ने सीबीआई जैसी संवैधानिक संस्थाओं को पाबंद कर एक तरह से राष्ट्र को चुनौती दी है। ‘देश में रक्तपात और गृह युद्ध छिड़ जाएगा’ जैसे बयान देकर ममता बनर्जी पिछले साल खूब चर्चा में रही थीं। इस बयान से उन्होंने तब संकेत दे दिया था कि अगर मोदी और शाह पश्चिम बंगाल से दूर नहीं रहे तो अंजाम बुरा होगा और अब वह यही सब कर रही है।

आखिर राज्य के पुलिस कमिश्नर की सीबीआई जांच में रोड़ा डालने का क्या तुक है, वह भी जब, तब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सीबीआई जांच हो रही है। इसके दो कारण नजर आते हैं। पहला तो यह कि ममता बनर्जी आम चुनाव से पहले चिटफंड घोटाले के रहस्य नहीं खुलावाना चाहती। लेकिन दूसरा कारण इससे कहीं ज्यादा बड़ा है। वह है मोदी सरकार को घेरने का मौका मिल जाना। सीबीआई के राजनैतिक इस्तेमाल का आरोप लगाने से पूरा महागठबंध एक सुर में ममता का साथ दे रहा है। दे भी क्यों ना, आखिर विपक्ष के कईं नेताओं पर घोटालों की जांच जो चल रही है। बसपा प्रमुख मायावती पर 1400 करोड़ के स्मारक घोटाले में ईडी ने शिकंजा कसा हुआ है। वहीं उत्तर प्रदेश के घनन घोटाला की आंच अब अखिलेश यादव तक पहुंच रही है। अगस्ता वेस्टलैंड घोटाले के तार भी गांधी परिवार से जुड़ते दिख रहे हैं। ऐसे में विपक्ष के लिए यह सबसे अनुकूल स्थिति है कि वह सीबीआई विवाद को लेकर केंद्र के खिलाफ माहौल बनाए। कांग्रेस सहित कई विपक्षी पार्टियों ने ममता के धरने पर बैठते ही पश्चिम बंगाल में लोकतंत्र और संवैधानिक संकट को ताक पर रखते हुए उन्हें समर्थन देना शुरू कर दिया।

Kolkata: Latest visuals from West Bengal Chief Minister Mamata Banerjee's 'Save the Constitution' dharna at Metro Channel, over the ongoing CBI issue. It has been over 4 hours since the dharna began pic.twitter.com/7dtOyz0HnX

— ANI (@ANI) February 3, 2019

बता दें कि चिटफंड घोटाला मामले में कोलकाता पुलिस प्रमुख से सीबीआई की पूछताछ के प्रयास के खिलाफ पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी कल रात से ही धरने पर बैठी है। इसके बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने ममता से फोन पर बात की और उनके प्रति अपना समर्थन व्यक्त करते हुए कहा कि पूरा विपक्ष एकजुट है और यह फासीवादी ताकतों को हराएगा। उन्होंने कहा कि कांग्रेस कंधे से कंधा मिलाकर ममता के साथ है। वहीं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा, “ममता दीदी से बात की और अपनी एकजुटता जाहिर की। मोदी-शाह दोनों की कार्रवाई पूरी तरह से अजीब और अलोकतांत्रिक है”। जेल में बैठे आरजेडी के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने भी ममता बनर्जी का समर्थन किया। लालू के ट्विटर हैंडल से कहा गया कि देश में संविधान और संवैधानिक संस्थाएं ‘अप्रत्याशित संकट’ का सामना कर रही हैं। उन्होंने कहा कि देश में गृह युद्ध पैदा करने की कोशिश की जा रही है।

खबरों के अनुसार लालू के छोटे बेटे तेजस्वी यादव ने भी ममता बनर्जी से फोन पर बातचीत की। वे अपनी एकजुटता प्रकट करने के लिए आज कोलकाता भी जा सकते हैं। उधर नेशनल कांफ्रेंस के नेता एवं जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने भी ममता के लिए समर्थन जताया है।

कोलकाता में धरने पर बैठी ममता ने कहा कि कई विपक्षी पार्टियों के नेताओं ने उन्हें फोन करके इस लड़ाई में अपना समर्थन और अपनी एकजुटता व्यक्त की है। बनर्जी ने कहा, “अखिलेश यादव (सपा), तेजस्वी यादव (राजद), चंद्रबाबू नायडू (तेदेपा), उमर अब्दुल्ला (नेकां), अहमद पटेल (कांग्रेस) एवं एम के स्टालिन (द्रमुक) ने मुझे फोन करके अपनी एकजुटता एवं अपना समर्थन व्यक्त किया।”

यह पहली बार नहीं है जब ममता बनर्जी ने केंद्र सरकार पर इस तरह के आरोप लगाएं हों। साल 2016 के दिसंबर माह में पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने भारतीय सेना को राजनीति के गंदे खेल में घसीटा था और पश्चिम बंगाल में हुए सैन्य अभ्यास को सीएम ममता बनर्जी ने तख्तापलट करने की कोशिश करार दिया था। उन्होंने सेना की तैनाती को लेकर केंद्र सरकार के खिलाफ कोर्ट जाने की भी बात कही थी। बाद में सेना ने इस पर सफाई भी दी थी कि, नॉर्थ ईस्ट में कई और जगहों पर भी एक्सरसाइज चल रही है, पश्चिम बंगाल इसमें अकेला नहीं है।

कोलकाता में हुई महागठबंध की रैली तो फ्लॉप साबित हुई, लेकिन इस बार महागठबंधन यह मौका नहीं छोड़ना चाहता। ममता-सीबीआई विवाद को भुनाकर विपक्षी पार्टियां आने वाले दिनों में केंद्र सरकार को घेरने की पूरी कोशिशें करेंगीं।

ममता-सीबीआई विवाद की बात करें, तो आज जिस सीबीआई जांच की ममता बनर्जी विरोध कर रही है। उसी सीबीआई की जांच में ही पश्चिम बंगाल में शारदा चिटफंड और रोज वैली घोटाला सामने आया था। साथ ही नारद स्टिंग ऑपरेशन से खुलासा हुआ था कि, इसमें तृणमूल के सांसद, विधायक और मंत्री कथित रूप से शामिल थे। रोज वैली ग्रुप दो सालों से जांच एजेंसियों के दायरे में है। रिपोर्ट के अनुसार रोज वैली चिट फंड का घोटाला लगभग 60000 करोड़ का है। यह भारत का सबसे बड़ा पोंजी घोटाला है। यह शारदा घोटाले से सात गुना बड़ा है। गौरतलब है कि हाल ही में 1,900 करोड़ के चिटफंड घोटाला मामले में TMC सांसद केडी सिंह की 239 करोड़ रुपये की संपत्तियां कुर्क हुई है। इससे पहले मार्च 2018 में कोलकाता में ईडी ने रोज वैली चिटफंड के खिलाफ धन शोधन जांच से जुड़े मामले में 2300 करोड़ की संपत्तियां जब्त की थी। इन जब्त संपत्तियों में रिसॉर्ट, होटलों व भूखंड शामिल थे। ईडी के अधिकारी ने बताया था कि संपत्तियों में नौ होटल, 11 रिसॉर्ट के साथ करीब 200 एकड़ का एक भूखंड व पश्चिम बंगाल के जिलों में 400 अतिरिक्त भूखंड शामिल था। इन जब्त की गई संपत्ति का कुल मूल्य 2300 करोड़ रुपये है।

ममता बनर्जी जिस पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार का बचाव का बहाना लेकर केंद्र को बदनाम कर रही है, वह सीएम ममता बनर्जी के करिबियों में गिना जाता है। राजीव कुमार 2013 में सारदा चिटफंड घोटाले मामले में राज्य सरकार द्वारा गठित एसआईटी के प्रमुख थे। उनके ऊपर जांच के दौरान गड़बड़ी करने के आरोप लगे हैं। बतौर एसआईटी प्रमुख राजीव कुमार ने जम्मू कश्मीर में शारदा के चीफ सुदीप्त सेन गुप्ता और उनके सहयोगी देवयानी को गिरफ्तार किया था। इनके पास से एक डायरी मिली थी। खबरों के अनुसार, इस डायरी में चिटफंड से रुपये लेने वाले नेताओं के नाम थे। राजीव कुमार पर इसी डायरी को गायब करने आरोप लगता है। कोर्ट के आदेश के बाद सीबीआई ने राजीव कुमार को आरोपी बनाया था।

लब्बोलुआब यह है कि, चिटफंड घोटाले की जांच तो सालों से चल रही है, अभी हंगामा जानबूझ कर खड़ा किया गया है। पूरा विपक्ष इस मामले में एकजुट हो गया है और किसी भी तरह कोशिश केंद्र सरकार को बदनाम करने की है। आशा है कि देश की जनता जल्द ही विपक्ष के इस एजेंडे को समझ लेगी।

Tags: पश्चिम बंगालममता बनर्जीविपक्ष
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