वामपंथी एवं लिबरल पत्रकार पुण्य प्रसून बाजपेयी एक बार फिर से बेरोजगार हो गए है। एकतरफा एवं पक्षपातपूर्ण रिपोर्टिंग के लिए एबीपी न्यूज़ से बाहर निकाले गए बाजपेयी ने कुछ समय पहले ही ‘सूर्या समाचार’ को ज्वाइन किया था लेकिन अब उन्हें वहां से भी बाहर कर दिया गया है। सूत्रों ने इस बात की पुष्टि की है कि उन्हें अब ‘सूर्या समाचार’ छोड़ने का नोटिस भी मिल चुका है। नोटिस में उनको एक महीने के अंदर-अंदर अपने सभी पदों से मुक्त होने के लिए कहा गया है।
सूर्या समाचार द्वारा जारी हुए नोटिस में लिखा है ”प्रबंधन द्वारा लिए गए निर्णय के मुताबिक 31 मार्च के बाद से आपको आपकी सभी सेवाओं से मुक्त किया जाता है। आपको आपकी सैलरी का भुगतान बिना किसी समस्या के कर दिया जायेगा।” न्यूज लॉउन्ड्री की एक रिपोर्ट के मुताबिक पुण्य प्रसून बाजपेयी ने भी इस बात की पुष्टि कर दी है कि 31 मार्च के बाद से वे कम्पनी से अलग हो रहे हैं। जिसके बाद अब यह साफ हो गया है कि वे दोबारा अब ‘बेरोज़गार’ होने की कगार पर आ पहुँचे हैं।
आपको बता दें कि बाजपेयी एक ऐसे ‘सेवानिवृत्त’ पत्रकार हैं जिन्होंने आज तक, एबीपी, जनसत्ता, लोकमत और यहाँ तक कि एनडीटीवी के साथ भी काम किया है। वे आजतक में रहते हुए तब खबरों में आये थे जब उनका दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल के साथ एक ‘क्रांतिकारी‘ स्क्रिप्टिड इंटरव्यू सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। इसमें अरविन्द केजरीवाल उनको अपने मनपसंद सवाल पूछने के लिए कह रहे थे और बाजपेयी सर हिलाकर उनकी बातों का जवाब दे रहे थे।
पत्रकारिता के क्षेत्र में उनकी घिनौनी करतूत ‘आज तक’ तक ही सिमित नहीं रही, बल्कि इसके बाद एबीपी न्यूज़ में आकर भी उन्होंने अपना प्रोपेगैंडा जारी रखा। अपने शो मास्टरस्ट्रोक में पीएम मोदी के खिलाफ उन्होंने जमकर जहर उगला। पीएम मोदी के एक कार्यक्रम में जब एक महिला किसान ने अपनी आय दोगुनी होने की बात कही, तो इसपर पुण्य प्रसून बाजपेयी ने जमकर फेक न्यूज़ फैलाने का काम किया और यह खबर चलाई कि उस महिला ने वह बयान अफसरों के दबाव में आकर दिया है। जबकि उसी दिन एक अन्य न्यूज़ चैनल ने इस बात की पुष्टि की थी कि वाकई उस महिला की आय दोगुनी हुई थी। इस घटना के बाद उनको एक अन्य पत्रकार अभिसार शर्मा के साथ एबीपी न्यूज़ ने बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था।
माना जा रहा है कि सूर्या समाचार में आने के बाद भी उन्होंने अपने उसी एजेंडा को आगे बढ़ाया, जिसके बाद उनके खिलाफ यह एक्शन लिया गया है। पुण्य प्रसून बाजपेयी ने सूर्या समाचार के साथ 6 महीने का अनुबंध किया था लेकिन उनकी एजेण्डावादी पत्रकारिता के चलते उनको मात्र एक महीने के अंदर ही कंपनी छोड़कर जाने के लिए कह दिया गया है। पिछले कुछ समय में पत्रकारिता के पतन में उन्होंने अपना भरपूर योगदान दिया है। पत्रकारों का मूल कार्य लोगों तक सही जानकारी पहुँचाना होता है लेकिन बाजपेयी जैसे पत्रकार अक्सर इसे व्यवसाय बनाकर अपने प्रोपेगैंडा को आगे बढ़ाने का काम करते हैं। यही कारण है कि इतने बड़े संस्थानों में काम करने के अनुभव के साथ भी आज उनको अपने रोजगार की चिंता करनी पड़ रही है। ऐसा लगता है कि, 56 साल के बाजपेयी अपनी एजेंडे वाली पत्रकारिता के कारण ऐसे ही बेरोजगार ही रहेंगे।