कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी की गणित पर एक और बड़ा सवाल खड़ा हो गया है और इस बार यह सिर्फ राहुल गांधी की गणित पर ही नहीं है बल्कि पूरी पार्टी को ही कटघरे में खड़ा करता है। दरअसल, कांग्रेस पार्टी ने जितनी गरीबों की संख्या है, उनसे ज्यादा लोगों को गरीबी से बाहर निकालने का वादा कर दिया है। कांग्रेस ने हाल ही में अपना घोषणा पत्र जारी किया है। जिसमें वह अगले पांच वर्षों में 10 करोड़ लोगों को गरीबी रेखा से बाहर लाने और 2030 तक देश से गरीबी का सफाया करने की बात कर रही है। अब अगर हम आंकड़े देखें तो नई सरकार बनने तक देश में सिर्फ 5 करोड़ लोग ही गरीबी रेखा से नीचे बचेंगे। ऐसे में यह हैरान करने वाला है कि कांग्रेस शेष बचे कौनसे 5 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकालेगी जो हैं ही नहीं।
कांग्रेस पार्टी ने अपने 2019 के घोषणा पत्र में बताया कि उसने 2004 से 2014 के बीच यूपीए के शासनकाल के दौरान 14 करोड़ लोगों को गरीबी रेखा से बाहर निकाला है। हालांकि, ‘हम निभाएंगे’ शीर्षक वाले इस घोषणा पत्र में कांग्रेस ने यह नहीं बताया कि, उनका गरीबी रेखा मापने का आधार क्या है, जिसके जरिए वे 14 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकालने का दावा कर रहे हैं। विश्व बैंक की बात करें तो उसके अनुसार 1.9 डॉलर या 130 रुपये प्रतिदिन से कम कमाने वाला गरीबी रेखा में आता है।
अब कांग्रेस ने 2019 के अपने घोषणापत्र में वादा किया है कि 2019 से 2024 के बीच, 10 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकाला जाएगा और यह सुनिश्चित किया जाएगा कि 2030 तक कोई भी गरीबी रेखा में न बचे। हालाँकि, ब्रूक्सिंग इंस्टीट्यूशन द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में मई 2018 तक केवल 73 मिलियन (7.3 करोड़) लोग ही गरीबी रेखा के नीचे थे।
ब्रूकिंग्स इंस्टीट्यूशन के अनुसार जो व्यक्ति प्रति दिन 1.9 डॉलर (लगभग 130 रुपये) से कम कमाता है वह गरीब है। विश्व बैंक द्वारा भी गरीबी की यही परिभाषा बताई गई है। ब्रुकिंग्स इंस्टीट्यूशन ने कहा कि भारत में, हर मिनट में लगभग 44 लोग गरीबी रेखा से बाहर आते हैं। इस तरह मई 2018 के आंकड़े के बाद से कांग्रेस के सत्ता में आने तक करीब 2.3 करोड़ और भारतीय गरीबी रेखा से बाहर आ चुके होंगे।
इस प्रकार मई 2019 तक केवल 5 करोड़ लोग ही गरीबी रेखा से नीचे बचेंगे। जबकि कांग्रेस पार्टी ने अपने घोषणा पत्र में 10 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर लाने का वादा किया है। अब कांग्रेस को इस बात का जवाब देना चाहिए कि कुल 5 करोड़ गरीबों को 10 करोड़ तक ले जाने के लिए वह 5 करोड़ अन्य गरीब लोग कहां से लाएगी।
अब इन पांच करोड़ अन्य गरीब लोगों को परिवार में कन्वर्ट करें तो ये 1 करोड़ परिवारों में तब्दील होंगे। अगर कांग्रेस सत्ता में आती है, तो वह हर गरीब परिवार को 72 हजार रुपये सालाना हस्तांतरित करेगी। इस प्रकार कांग्रेस इस योजना को लागू करती है, तो 72 हजार करोड़ रुपये का घोटाला पहले ही साल में हो जाएगा।
ब्रूकिंग्स इंस्टीट्यूशन ने यह भी कहा है कि, 2022 तक केवल 3 प्रतिशत से कम भारतीय ही गरीबी रेखा के नीचे शेष रहेंगे। वहीं कांग्रेस देश से 2030 तक गरीबी को पूरी तरह से समाप्त करने का वादा कर रही है। पार्टी को यह भी बताना चाहिए कि वह केवल 3 प्रतिशत लोगों को गरीबी रेखा से बाहर लाने के लिए 8 साल का इतना लंबा समय क्यों ले रही है क्योंकि ब्रूकिंग्स इंस्टीट्यूशन बता रहा है कि, 2022 तक तो देश में सिर्फ 3 प्रतिशत भारतीय ही गरीबी रेखा से नीचे बचेंगे।
इस समय भारतीय अर्थव्यवस्था दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है और 2025 तक इसके 5 ट्रिलियन डॉलर तक जाने की उम्मीद है। मोदी सरकार द्वारा सामाजिक सुरक्षा के लिए दिये जाने वाले लाभों में पारदर्शिता लाने से प्रयास निरंतर किये जा रहे हैं। इससे यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि, देश में गरीबों को सरकार के विकास कार्यक्रमों का सीधा और पूरा लाभ मिले। मोदी सरकार की विशेषता बन गए आर्थिक सुधारों से देश की जीडीपी वृद्धि दर के दोहरे अंक में पहुंचने की उम्मीद की जा रही है। विशेषज्ञ बताते हैं कि किसी भी राष्ट्र की आर्थिक वृद्धि वहां के लोगों को गरीबी रेखा से बाहर निकालने में भी मददगार होती है। यदि भारत की जीडीपी इसी दर से बढ़ती रही, तो निश्चित रूप से हमारा देश 2030 से पहले ही गरीबी उन्मूलन कर लेगा।