ऐसा लग रहा है कि, कांग्रेस पार्टी ने अपने घोषणा पत्र में खुद के लिए ही चुनावी बारूद फिट कर लिया है। कांग्रेस के इस घोषणा पत्र में कुछ बिंदु ऐसे हैं जिनसे लोगों में तगड़ा आक्रोश है। सोशल मीडिया यूजर्स कांग्रेस के इस घोषणापत्र के बारे में तरह-तरह की टिप्पणियां कर रहे हैं। लोग कह रहे हैं कि ऐसा लगता है जैसे राहुल गांधी ने पाकिस्तान के लिए घोषणा पत्र बनाया है जो गलती से भारत आ गया। दरअसल, कांग्रेस के अपने घोषणापत्र को लेकर घिरने के पीछे दो बड़े बिंदु हैं और वे हैं अफस्पा कानून और देशद्रोह का कानून।
कांग्रेस पार्टी ने अपने घोषणा पत्र में वादा किया है कि वह सरकार में आने के बाद देशद्रोह कानून को खत्म कर देगी। बता दें कि, कन्हैया कुमार और उनके साथियों पर देशद्रोह कानून लगने के तुरंत बाद ही पार्टी के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने भी देशद्रोह कानून को खत्म करने की पैरवी की थी। अब पार्टी ने अपने घोषणा पत्र में सीधे-सीधे कह दिया है कि भारतीय दंड संहिता की धारा 124 A को खत्म किया जाएगा। साथ ही कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में सेना को मिले विशेषाधिकार (अफस्पा) में भी संशोधन करने का ऐलान किया है। कांग्रेस यहीं नहीं रुकी, उसने अप्रत्यक्ष रूप से देश के बहादुर जवानों को यौन उत्पीड़क भी करार दे दिया। पार्टी ने घोषणापत्र में लिखा कि, हम ऐसा इसलिए करेंगे ताकि यौन उत्पीड़न, जबरन लापता एवं शारीरिक उत्पीड़न जैसी घटनाओं को कम किया जा सके। आपको बता दें की अफस्पा के तहत देश के सेना को कुछ विशेषाधिकार मिलते हैं ताकि बिगड़े हालातों में सेना अपने स्तर पर कार्रवाई कर जल्द से जल्द हालातों को काबू में कर सके।
कांग्रेस के इस घोषणापत्र पर भारतीय जनता पार्टी ने भी तगड़ा हमला किया है। बीजेपी की ओर से अरुण जेटली ने प्रेस कांफ्रेंस कर कांग्रेस पार्टी को जमकर लताड़ लगाई। जेटली ने कहा कि, कांग्रेस वह काम करने का वादा कर रही है जिससे आतंकवादियों को हमारे जवानों के खिलाफ मुकदमें चलाने की अनुमती मिल जाएगी। उन्होंने कहा कि, जिस प्रावधान को कभी पंडित नेहरू ने, इंदिरा ने, राजीव गांधी ने और डॉ मनमोहन सिंह ने छूने का प्रयास नहीं किया उसे आज जिहादियों और माओवादियों के चंगुल फंसा कांग्रेस नेतृत्व बदलने की बात कर रहा है। अरुण जेटली ने इस पार्टी का घोषणा पत्र आने के बाद कहा, ‘देशद्रोह करना अब अपराध नहीं होगा। जो पार्टी इस तरह की घोषणा करती है वह देश के एक भी वोट की हकदार नहीं है। हालांकि, कांग्रेस ने घोषणा पत्र बनाने के लिए एक ड्राफ्टिंग कमेटी बनाई थी, लेकिन ऐसा लगता है कि घोषणा पत्र के कुछ अहम बिंदुओं को टुकड़े-टुकड़े गैंग में मौजूद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के दोस्तों ने तैयार किया है।’ अरुण जेटली ने कहा कि कांग्रेस पार्टी के घोषणापत्र में ऐसा एजेंडा शामिल है जो देश को तोड़ने का काम करता है।
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भारतीय दंड संहिता की देशद्रोह से जुड़ी धारा 124 A के बारे में कांग्रेस पार्टी ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में कहा है कि वह इस कानून को खत्म कर देगी क्योंकि इसका गलत इस्तेमाल हो रहा है। हैरान करने वाली बात यह है कि करीब 150 साल से चले आ रहे इस कानून को खत्म करने का विचार कांग्रेस को अभी ही क्यों आ रहा है। हकीकत तो यह है कि, खुद इस पार्टी के शासनकाल में सबसे ज्यादा बार इस कानून का यूज किया गया है। कांग्रेस कार्यकाल में कई लोगों पर इस कानून के तहत मुकदमा दर्ज हुआ था। अब जब जेएनयू मामले में कन्हैया कुमार और उनके साथियों पर देशद्रोह का मुकदमा चल रहा है तो कांग्रेस इस कानून को खत्म करने की बात कर रही है। गौरतलब है कि, जेएनयू मामले को लेकर ही फरवरी 2016 में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, माकपा महासचिव सीताराम येचुरी सहित नौ लोगों पर देशद्रोह का मामला दर्ज किया गया था।
गौरतलब है कि, सन 1870 में ब्रिटिश औपनिवेशिक प्रशासन ने सेक्शन 124-A को आईपीसी के छठे अध्याय में जोड़ा था। इस देशद्रोह से जुड़े कानून का इस्तेमाल ब्रिटिश सरकार ने महात्मा गांधी के खिलाफ भी किया था। वीकली जनरल में ‘यंग इंडिया’ नाम से आर्टिकल लिखे जाने की वजह से महात्मा गांधी पर यह कानून लगा था। इसके अलावा बिहार के केदारनाथ सिंह द्वारा दिए गए एक भाषण की वजह से राज्य सरकार ने उनपर 1962 में देशद्रोह का आरोप लगाया था। 21 वीं सदी की बात करें तो 2010 में बिनायक सेन पर नक्सल विचारधारा फैलाने के कारण यह मुकदमा किया गया था। बिनायक के साथ ही नारायण सान्याल और पीयुष गुहा पर भी देशद्रोह सिद्द हुआ था और उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। बाद में बिनायक सेन को 2016 में रिहा कर दिया गया था। इसके बाद 2012 में काटूर्निस्ट असीम त्रिवेदी पर देशद्रोह का आरोप लगा था। वहीं 2012 में तमिलनाडु सरकार ने कुडनकुलम परमाणु प्लांट का विरोध करने वाले 7 हजार ग्रामीणों पर देशद्रोह की धारा लगाई थी। हाल ही में साल 2015 में हार्दिक पटेल और कन्हैया कुमार पर देशद्रोह का मामला दर्ज किया गया था। देशद्रोह के इस कानून की चपेट में दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर एसएआर गिलानी और लेखिका अरुंधती रॉय भी आ चुके हैं।
राष्ट्रीय चिन्हों का अपमान करने, भड़काऊ भाषण देकर या लिखकर दंगा भड़काने और राष्ट्र की गुप्त बातों को लीक करने जैसे मामले देशद्रोह के इस कानून के भीतर आते हैं। देशद्रोह कानून की धारा 124 ए के तहत दोषी को उम्रकैद तक की सजा का प्रावधान है। ऐसा लगता है कि, कांग्रेस चाहती है कि, देशद्रोह करना कोई अपराध ना हो। वहीं दूसरी ओर वह जवानों से उनके विशेषाधिकार छीनना चाहती है। कांग्रेस के घोषणापत्र में कहे गए ये दोनों वादे उसके लिए ही घातक सिद्द हो रहे हैं। अगर ऐसा हुआ तो देशद्रोहियों और आतंकियों को कांग्रेस राज में काफी छूट मिल जाएगी।