प्रियंका चतुर्वेदी पहले कांग्रेस पार्टी से नाराजगी जताती हैं, फिर इस्तीफा देती हैं और फिर शिवसेना में शामिल हो जाती हैं। पिछले कुछ दिनों में जिस तरह से ये घटनाक्रम हुए उससे कई सवाल खड़े होते हैं। सवाल ये कि कांग्रेस पार्टी से अचानक इतनी नाराजगी क्यों? क्या ये नाराजगी पहले से थी जो मौका मिलते ही उन्होंने पार्टी से इस्तीफा दे दिया? सवाल ये कि वो इस्तीफा देने के कुछ ही घंटों बाद शिवसेना में क्यों शामिल हुईं? शिवसेना की जगह वो बीजेपी में शामिल क्यों नहीं हुईं ? अब इन सवालों के जवाब के लिए हमें इसकी गहराईयों में जाना होगा और जब हम इसकी
कांग्रेस की कभी तेज तर्रार प्रवक्ता कही जाने वाली प्रियंका चतुर्वेदी अक्सर न्यूज़ चैनल्स पर राजनीतिक बहस में दिखाई देती थीं और वो कांग्रेस के पक्ष को मजबूती से रखा करती थीं। फिर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद अचानक से सबकुछ बदल जाता है। दरअसल, प्रियंका चतुर्वेदी ने पिछले दिनों उत्तर प्रदेश के मथुरा में राफेल डील को लेकर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी। इसी दौरान कुछ कांग्रेसी कार्यकर्ताओं ने प्रियंका से अभद्र व्यवहार किया था। इसकी शिकायत उन्होंने अपनी पार्टी से की और पार्टी ने कार्रवाई भी की लेकिन जल्द ही उन कार्यकर्ताओं पर की गयी कार्रवाई को वापस भी ले लिया। इसके बाद प्रियंका चतुर्वेदी एक ट्वीट कर कांग्रेस पार्टी के रुख से अपनी जाहिर की लेकिन पार्टी की तरफ से उन्हें बेरुखी मिली और उन्होंने अपने सम्मान को ऊपर रखते हुए पार्टी से इस्तीफा दे दिया। ये घट्नाक्रम तो सभी को मीडिया की रिपोर्ट्स में देखने और सुनने को मिल रहा होगा लेकिन क्या यही एक वजह है जिस कारण प्रियंका चतुर्वेदी ने कांग्रेस के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया और शिवसेना में शामिल हुईं? इसके पीछे की एक और कहानी सामने आई है। खबरों की मानें तो प्रियंका द्वारा कांग्रेस पार्टी को छोड़े जाने के पीछे की वजहों में से एक वजह हाल ही में कांग्रेस में शामिल हुईं बॉलीवुड अभिनेत्री उर्मिला मातोंडकर भी हैं।
उर्मिला मातोंडकर को टिकट देना
दरअसल, सालों से अपनी पार्टी के लिए प्रचार-प्रसार करने वाली प्रियंका इस बार ये उम्मीद कर रही थीं कि उन्हें इस बार पार्टी से टिकट मिलेगा। वो लोकसभा चुनाव में मुंबई नॉर्थ सीट पर कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ने पर विचार भी कर रही थीं, लेकिन कांग्रेस पार्टी ने यहां से फिल्म अभिनेत्री उर्मिला मातोंडकर को टिकट दे दिया जिससे प्रियंका का नाराज होना लाजमी था। ये दिन उन्हें न देखना पड़ता अगर प्रियंका कांग्रेस की परंपरा को पहले ही समझ जाती। सालों से कांग्रेस पार्टी के लिए पूरी निष्ठा और लग्न से काम करने वाली प्रियंका चतुर्वेदी ने शायद ये समझने में थोड़ी देरी कर दी कि कांग्रेस पार्टी एक परिवारवाद पार्टी है और इस पार्टी से टिकट प्रदर्शन के आधार पर नहीं मिलता। हां, इस पार्टी से उन्हें शायद तब टिकट मिल जाता अगर उनका नाता सिंधिया जैसे बड़े राजघराने परिवार से होता या वो कोई बड़ी कलाकार होतीं या गांधी परिवार से होती या फिर गांधी परिवार की करीबी होती। अब जब तक वो कांग्रेस की परंपरा को समझ पाती तब तक वो अपने राजनीतिक करियर का 10 साल एक ऐसी पार्टी के लिए बर्बाद कर चुकी थीं जिसे उनकी मेहनत और लग्न से कोई फर्क ही नहीं पड़ता। उर्मिला मातोंडकर को टिकट दिए जाने की भी नाराजगी उनमें घर कर चुकी थीं और वो पार्टी छोड़ने का मन भी बना चुकी थीं। कांग्रेस द्वारा अनुशासनात्मक कार्रवाई को निरस्त कर दिए जाने के बाद प्रियंका चतुर्वेदी को एक मौका मिल गया पार्टी छोड़ने का जिससे उनकी निष्ठा और मेहनत पर भी सवाल न उठे।
शिवसेना का टिकट के लिए राजी होना
उधर, वो शिवसेना के नेतृत्व से बातचीत भी शुरू कर चुकी थीं। मीडिया की रिपोर्ट्स की मानें तो शिवसेना प्रियंका चतुर्वेदी को विधानसभा चुनाव के दौरान टिकट देने के लिए राजी भी हो गयी। महाराष्ट्र में 6 महीने बाद ही विधासभा चुनाव होने हैं ऐसे में प्रियंका चतुर्वेदी के लिए अपने पोलिटिकल ग्राफ को और ऊपर उठाने का एक अवसर भी मिल गया। जैसे ही कांग्रेस पार्टी का साथ छोड़ा उन्होंने शिवसेना का दामन थाम लिया। जब उनसे कांग्रेस पार्टी छोड़ने को लेकर सवाल किये गये तो उनका जवाब यही था कि ‘मैं कांग्रेस से टिकट मांग रही थी,लेकिन मेरे लिए महिला सम्मान बड़ा मुद्दा है। पार्टी में मेरा सम्मान नहीं हुआ मेरे साथ अभद्रता हुई। इसे लेकर मेरी पार्टी से नाराजगी थी। मैं सेवा की निष्ठा से शिवसेना के साथ जुड़ रही हूं।’ भले ही उन्होंने इस बात को टालने की कोशिश की और सम्मान के मुद्दे पर जोर दिया लेकिन एक जगह पार्टी के प्रति अपनी निराशा को व्यक्त करते हुए उनका ये कहना कि ‘मुझे उम्मीद थी कि पार्टी (कांग्रेस) मुझे अगले लेवल तक ले जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।’ ये साफ़ बयां करता है कि किस तरह से उन्हें पार्टी में वो सम्मान वो ओहदा नहीं दिया गया उन्हें अनदेखा किया गया जिसकी वो हकदार हैं। इसके साथ ही प्रियंका ने ये भी कहा कि ‘मैं मुंबई की रहने वाली हूं ऐसे मैं मेरे पास शिवसेना से बेहतर कोई विकल्प नहीं था।’
बीजेपी पर अब भी हमलावर रहने की आजादी
गौरतलब है कि महाराष्ट्र में जिस तरह से भारतीय जनता पार्टी ने पिछले कुछ वर्षों में अपनी पकड़ को मजबूत किया है। ऐसे में प्रियंका बीजेपी में भी शामिल हो सकती थीं। प्रियंका अगर बीजेपी के साथ जाती तो भी शायद उन्हें मुंबई से टिकट मिल सकता था लेकिन उन्होंने शिवसेना को चुना। अब सवाल ये है कि उन्होंने बीजेपी की जगह शिवसेना को ही क्यों चुना? इसके पीछे भी एक वजह है वो ये कि जिस तरह से वो कांग्रेस पार्टी में रहकर बीजेपी विरोधी ट्वीट करती थीं और निम्न स्तर की राजनीति करने से भी परहेज नहीं करती थीं, उससे उनका बीजेपी में शामिल होना उनके उसी सम्मान के मुद्दे पर कड़ा प्रहार करता जिसके लिए वो बीजेपी की आलोचना करती थीं। प्रिअप प्रियंका का ट्विटर अकाउंट देख सकते हैं कि किस तरह से वो बीजेपी की आलोचनाओं से अटा पड़ा है। ऐसे में लोग उनसे ये सवाल करते कि कल तक जिस पार्टी को आप ‘असफलता की सरकार’ कहती थीं, कल तक आप जिस ‘भाजपा की नीतियां और मानसिकता दोनों महिला अधिकारों और स्वतंत्रता’ के खिलाफ बताती थीं आखिर उस पार्टी में कैसे शामिल हो गयीं।
“Kyunki Mantri Bhi Kabhi Graduate Thi.”
Did you catch Congress' latest jibe at Smriti Irani? pic.twitter.com/929u6eAvb8— Brut India (@BrutIndia) April 15, 2019
Dosti Aur Chori Ki Ek Atoot Prem Katha:
-Waive off important clauses that undermine National interest
-Get your friend Double A the offset contract of an important Defence Deal
-Throw out HAL
-Then also ensure that Double A’s taxes worth millions are waived off in France. https://t.co/VjAvsBNwpd— Priyanka Chaturvedi🇮🇳 (@priyankac19) April 13, 2019
Lol! What can one expect from BJPs fake agenda bearers?? https://t.co/W4gHFdSe1i
— Priyanka Chaturvedi🇮🇳 (@priyankac19) April 10, 2019
यही कारण है कि भारतीय जनता पार्टी की जगह प्रियंका चतुर्वेदी शिवसेना में शामिल हुईं और अब आसानी से बीजेपी की आलोचना भी कर सकेंगी। वैसे भी शिव सेना बीते वर्षों में भारतीय जनता पार्टी के साथ गठबंधन में होने के बावजूद केंद्र की मोदी सरकार पर हमले करती रही है। ऐसे में शिव सेना में रहकर भी प्रियंका चतुर्वेदी बिना किसी झिझक के बीजेपी की आलोचना खुलकर कर सकेंगी।
इस पूरे मामले को देखते हुए ये कहना गलत नहीं होगा कि प्रियंका चतुर्वेदी ने बहुत ही समझदारी से अपने कदम आगे बढ़ाए। आज की राजनीति में जिस तरह से प्रियंका चतुर्वेदी ने अपने कई अहम फैसले लिए शायद उसके पीछे की वजह आप सोच भी नहीं सकते। खैर, ऐसा करके उन्होंने कांग्रेस कल्चर पर कड़ा प्रहार किया जिससे अब लोकसभा चुनाव के बीच कांग्रेस पार्टी के लिए जरुर एक बड़ा झटका है।