देश में पीएम मोदी का राजनीतिक कद अद्वितीय है। वे देश की जनता के बीच इतने लोकप्रिय हैं कि उनके मुक़ाबले हमें कोई दूसरा राष्ट्रीय नेता नज़र ही नहीं आता। हालांकि, वर्ष 2014 में पीएम बनने के बाद विपक्ष समेत पूरी वामपंथी गैंग ने उनको लेकर कई झूठ फैलाये, बाद में उन्हीं झूठ के सहारे पीएम मोदी को बदनाम करने की कोशिश भी की गई। और इस कोशिश में पूरी वामपंथी गैंग ने भी विपक्ष का पूरा साथ दिया। आज हम आपके सामने पांच ऐसे झूठे आरोपों को एक्सपोज करेंगे जिन्हें पिछले कुछ समय में ढाल बनाकर देश के विपक्ष ने वोटर्स को आकर्षित करने की भरपूर कोशिश की।
2 करोड़ नौकरियां देने का वादा
पीएम मोदी को लेकर विपक्ष ने पहला झूठ यह फैलाया कि उन्होंने वर्ष 2014 के चुनावों में लोगों को 2 करोड़ नौकरियां देने का वादा किया था। इसको लेकर पीएम मोदी की एक रैली का भी हवाला दिया गया जिसमें उन्होंने कथित तौर पर यह वादा किया। हालांकि, उनके इस भाषण को सुनने के बाद कोई भी यह बड़ी आसानी से समझ जाएगा कि वे अपनी रैली में कांग्रेस द्वारा 1 करोड़ नौकरी देने के वादे पर अपनी प्रतिक्रिया दे रहे थे। 21 नवंबर 2013 को आगरा की एक रैली में पीएम ने कहा था ‘कांग्रेस ने लोकसभा के चुनाव में वादा किया था कि अगर हम सत्ता में आएंगे तो 1 करोड़ लोगों को रोजगार देंगे। रोजगार देने की बात तो छोड़िए, कांग्रेस ने आगरा के कारखानों पर ताला लगा दिया।’ इसके अलावा अगर आप पिछले लोकसभा चुनावों में भाजपा द्वारा जारी किए मेनिफेस्टो पर नज़र डालेंगे तो भी आपको इसमें कहीं भी 2 करोड़ नौकरी देने का वादा नहीं दिखेगा। इसके उलट कांग्रेस ने वर्ष 2014 के अपने घोषणापत्र में युवाओं को 10 करोड़ नौकरियां देने का वादा किया था, लेकिन इस बार कांग्रेस ने कुछ लाख लोगों को ही नौकरी देने का वादा किया है। यानि पीएम मोदी को लेकर विपक्ष का यह दावा पूरी तरह झूठा साबित होता है।
अनिल अंबानी को दिए 30 हज़ार करोड़ रुपये
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पिछले काफी समय से पीएम मोदी पर राफेल डील में हुए कथित घोटाले को लेकर रिलायंस ग्रुप को गलत तरीके से 20 हज़ार करोड़ रुपये ट्रांसफर करने के आरोप लगाते आए हैं। उन्होंने पिछले वर्ष अक्टूबर में कहा था ‘वन रैंक वन पेंशन’ लागू करने के लिए हमारे पास पैसा नहीं है लेकिन अनिल अंबानी को 30 हज़ार करोड़ रुपये दे दिये जाते हैं। हालांकि जब उनके इस दावे की पड़ताल की गई तो पता चला कि राहुल गांधी जिन 30 हज़ार करोड़ रुपयों की बात कर रहे हैं, वह राफेल विमान बनाने वाली दसॉल्ट एविएशन कंपनी द्वारा किए गए टोटल ऑफसेट कॉन्ट्रैक्ट की वैल्यू है। इकनॉमिक टाइम्स के मुताबिक कंपनी के अधिकारी ने स्पष्ट रूप से कहा था कि इन ऑफसेट कॉन्ट्रैक्ट के लिए रिलायंस के साथ-साथ दसॉल्ट एविएशन भारत की 100 कंपनियों के साथ बातचीत कर रही है जिनमें से 30 कंपनियों के साथ तो अनुबंध कर भी लिया गया है। इकनॉमिक टाइम्स की उसी रिपोर्ट में यह भी साफ तौर पर लिखा गया कि रिलायंस को इस 30 हज़ार करोड़ की राशि का सिर्फ 3 प्रतिशत हिस्से का कॉन्ट्रैक्ट ही दिये गए हैं, और बाकी के 97% मूल्य के ऑफसेट कॉन्ट्रैक्ट अन्य कंपनियों को दिये जाएंगे। यानि राहुल गांधी का यह दावा भी पूरी तरह झूठा साबित हुआ।
विदेशी यात्राओं पर जरूरत से ज़्यादा खर्च करने के आरोप
विपक्ष द्वारा पीएम मोदी पर विदेशी यात्राओं पर जरूरत से ज़्यादा खर्च करने के आरोप भी लगाए जाते रहे हैं। यहां तक कि पीएम मोदी को सबसे ज़्यादा ट्रैवल करने वाला पीएम भी बताया गया। हालांकि, जब हमने यूपीए 2 की मनमोहन सिंह सरकार और एनडीए की मोदी सरकार के पहले चार वर्षों के विदेशी दौरों का एक तुलनात्मक अध्ययन किया तो यह पाया कि दोनों नेताओं के विदेशी दौरों के खर्च में कोई खास अंतर नहीं था। इकनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक पीएम मोदी ने कुल 43 विदेशी दौरों पर 387 करोड़ रुपये खर्च किए जबकि पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने यूपीए 2 सरकार के पहले चार वर्षों में 38 विदेशी दौरों पर 386 करोड़ रुपये खर्च किए थे। पीएम मोदी ने पहले चार वर्षों में 155 दिन देश से बाहर बिताए जबकि मनमोहन सिंह ने यूपीए 2 के पहले चार वर्षों में विदेशी दौरों में 131 दिन देश से बाहर बिताए, यहां गौर करने वाली बात यह है कि पीएम मोदी ने मनमोहन सिंह के मुक़ाबले ज्यादा दिन देश से बाहर बिताए हैं लेकिन दोनों नेताओं के खर्च में कोई खास फर्क नज़र नहीं आता। अगर राहुल गांधी मनमोहन सिंह के खर्चों के इन आंकड़ो पर नज़र डालेंगे, तो वे फिर कभी पीएम मोदी के विदेशी दौरों को लेकर कोई सवाल नहीं उठाएंगे।
क्लाइमेट चेंज को लेकर कम ज्ञान होने के आरोप
PM Modi’s BEST SPEECH on Climate Change.
School Kids are still in shock.#WorldEnviromentDay2018 pic.twitter.com/9ebsImZL1W
— Vikash Kedia (@VickyKedia) June 5, 2018
पीएम मोदी पर देश के कुछ वामपंथी तत्व ग्लोबल वार्मिंग और क्लाइमेट चेंज को लेकर कम ज्ञान होने के आरोप भी लगाते रहते हैं। पिछले दिनों सोशल मीडिया पर पीएम मोदी की एक वीडियो को शेयर करते हुए कहा गया कि क्लाइमेट चेंज पर पीएम मोदी का जवाब सुनकर स्कूल के बच्चों हैरान रह गए। वीडियो में पीएम मोदी कह रहे हैं ‘सर्दियों में बुजुर्ग लोग अक्सर कहते हैं कि पिछली बार से इस बार सर्दी ज़्यादा हैं। असल में सर्दी ज़्यादा नहीं है, उनकी उम्र बढ्ने के कारण उनकी सर्दी सहन करने की ताकत कम हो गई है। वैसे ही यह क्लाइमेट चेंज नहीं हुआ है, बल्कि हम चेंज हो गए हैं’। पीएम मोदी की इस वीडियो को जान-बूझकर काट कर दिखाया गया ताकि ये लगे कि पीएम मोदी क्लाइमेट चेंज की चुनौतियों के प्रति गंभीर नहीं हैं। जबकि पीएम मोदी असल में यह बताने की कोशिश कर रहे थे कि क्लाइमेट में इसलिए बदलाव आ रहा है क्योंकि इंसानों ने अपनी जीवनशैली को बिगाड़ लिया है। अब आप पूरी वीडियो सुनिए जिसमें पीएम मोदी आगे कहते हैं ‘हम बदल गए हैं, हमारी आदतें बदल गई हैं, हमारी आदतें बिगड़ गई हैं। और उसके कारण पूरे पर्यावरण का हमने नुकसान किया है। अगर हम बदल जायें, तो वो तो बदलने के लिए तैयार ही है’। अब पीएम मोदी के इस पूरे बयान को सुनकर आप समझ गए होंगे कि वे असल में क्या कहना चाहते थे, जबकि वामपंथी गैंग और विपक्ष ने उनके इस बयान को पूरी तरह गलत ढंग से पेश किया।
लोगों के खाते में 15 लाख जमा कराने के वादे का पूरा सच
पीएम मोदी पर विपक्ष द्वारा लोगों के खाते में 15 लाख जमा कराने के वादे को लेकर भी आरोप लगाए जाते हैं। राहुल गांधी समेत कांग्रेस पार्टी के सभी नेता पीएम मोदी पर यह आरोप लगाते हैं कि उन्होंने वर्ष 2014 में अपनी एक रैली में सबके खाते मे 15 लाख रुपए जमा कराने का वादा किया था। हालांकि, जिस बयान को लेकर उनपर यह आरोप लगाए जाते हैं, उसमें पीएम मोदी ने यह कहीं नहीं कहा कि उनकी सरकार सबके खाते में 15 लाख रुपए जमा कराएगी। पीएम मोदी अपने बयान में कहते हैं ‘ये जो चोर लुटेरों के पैसे विदेशी बैंको में जमा है ना, उतने भी हम रुपए ले आए ना, तो भी हिंदुस्तान के एक-एक आदमी को मुफ्त में 15-20 लाख रुपये यूं ही मिल जाए, इतना रुपया है’। साफ है कि अपने इस बयान के माध्यम से वे विदेशी बैंकों में जमा काले धन की मात्रा को बताने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन विपक्ष ने इस बयान को अलग एंगल देकर अपना एजेंडा आगे बढ़ाने की कोशिश की।
पीएम मोदी की बेदाग छवि और मजबूत नेतृत्व का ही यह नतीजा है कि आज भाजपा अपने इतिहास के सबसे स्वर्णिम दौर से गुजर रही है। पीएम मोदी के मजबूत जनाधार की वजह से विपक्षी पार्टियां चाहकर भी उनके खिलाफ कोई एजेंडा नहीं चला पाती। अब पिछले कुछ समय से यह पूरी लेफ़्टिस्ट गैंग फेक न्यूज़ और गलत तथ्यों को अपना आधार बनाकर उनकी छवि को धूमिल करने की कोशिश में लगा है। लेकिन सच्चाई यह है कि विपक्ष के तमाम मोदी-विरोधी एजेंडे के चलाये जाने के बाद भी उनकी छवि पहले के मुक़ाबले और ज्यादा मजबूत हुई है।