वर्ष 2014 के चुनावों की तरह ही इन चुनावों में भी कांग्रेस की हालत बेहद खस्ता मानी जा रही है। एक तरफ जहां कांग्रेस पार्टी एक-एक वोट के लिए तरसती दिखाई दे रही है, तो वहीं कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ऐसे भी हैं जिन्होंने चुनावी सरगर्मी के चलते अपना ही वोट नहीं डाला। भोपाल से कांग्रेस उम्मीदवार और मध्य प्रदेश राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने कल माफी मांगते हुए यह कहा कि अपने मताधिकार का प्रयोग करने के लिए वे अपने गृहक्षेत्र राजगढ़ नहीं जा सके। लोगों से हर दिन कांग्रेस के लिए वोट करने की अपील करने वाले दिग्विजय सिंह का खुद अपने मताधिकार का प्रयोग ना करना वोटर्स के बीच अविश्वास की भावना को बढ़ावा दे सकता है, जिसके कारण अंतिम चरण के मतदान में कांग्रेस के वोटर्स पार्टी के लिए वोट डालने के लिए बाहर आने से हिचक सकते हैं। इसलिए अगर कांग्रेस अगर 1 वोट से हारी एमपी की राजगढ़ सीट तो उसके लिए दिग्विजय सिंह जिम्मेदार होंगे। यही नहीं, उनके वोट ना देने से राजगढ़ के मतदान में वो जोश नहीं देखा गया था। अगर दिग्विजय वोट देने जाते तो कांग्रेस के लिए मतदान वहां और बढ़ सकता था इसलिए अब अगर यहां कांग्रेस हारती है तो इसके लिए दिग्विजय भी जिम्मेदार होंगे।
Digvijaya Singh, Congress Lok Sabha candidate from Bhopal: Yes I couldn't go to vote to Rajgarh and I regret it. Next time I will register my name in Bhopal. #LokSabhaElections2019 pic.twitter.com/ewlpgBncmg
— ANI (@ANI) May 12, 2019
दिग्विजय सिंह के गृहक्षेत्र वाली राजगढ़ संसदीय सीट पर उनका खासा प्रभाव माना जाता है। यही कारण है कि वे इसी सीट से चुनाव लड़ना चाहते थे लेकिन पार्टी ने उनको लड़ने के लिए भोपाल भेज दिया। उनकी जगह कांग्रेस ने दिग्विजय की करीबी माने जाने वाली मोना सुस्तानी को राजगढ़ से उम्मीदवार बनाया है। दिग्विजय सिंह के साथ राजगढ़ से उनके कई समर्थक भी भोपाल में उनका साथ देने के लिए आए हुए थे, और उन्होंने भी राजगढ़ में अपना वोट नहीं डाला। साफ है कि अगर दिग्विजय जैसे बड़े कांग्रेसी नेता राजगढ़ में वोट डालने जाते तो इससे स्थानीय कार्यकर्ताओं का उत्साह बढ़ता जिसका सीधे तौर पर वहां से प्रत्याशी मोना सुस्तानी को फायदा पहुंचता, लेकिन दिग्विजय सिंह ने ऐसा ना करके बेतुके बहाने बनाने शुरू कर दिया।
इससे पहले दिग्विजय सिंह ने मीडिया से बातचीत में कहा था कि वे अपना वोट डालने के लिए राजगढ़ पहुंचने का प्रयास जरूर करेंगे। हालांकि, बाद में उन्होंने माफी मांग ली। वे दिनभर भोपाल में ही डटे रहे और अपने समर्थकों के साथ अलग-अलग बूथ के दौरे करते रहे। आपको बता दें कि भोपाल से राजगढ़ की दूरी लगभग 130 किमी है और भोपाल से वहां पहुंचने में सिर्फ 3 घंटे का समय लगता है, लेकिन उसके बावजूद वे अपना वोट डालने के लिए समय नहीं निकाल पाये।
दिग्विजय सिंह का नाम कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं में गिना जाता है और वो भोपाल से कांग्रेस उम्मीदवार भी हैं। उनके खिलाफ भाजपा की साध्वी प्रज्ञा ठाकुर मैदान में है। यहां साध्वी प्रज्ञा ठाकुर की स्थिति बेहद मजबूत मानी जा रही है जिसके कारण पूर्व मुख्यमंत्री अपने प्रदर्शन को लेकर बेहद आशंकित दिखाई दे रहे हैं। यही कारण है कि वोटिंग के दिन वे एक मिनट के लिए भी भोपाल से बाहर नहीं निकले। भोपाल सीट भाजपा का गढ़ रहा है और वर्ष 1984 के बाद से यहां भाजपा जीतती आई है। यही कारण है कि दिग्विजय सिंह पहले भोपाल से चुनाव लड़ने में आनाकानी भी कर रहे थे। माना जा रहा है कि भोपाल में हार मिलने के बाद उनका राजनीतिक कॅरियर भी खतरे में आ सकता है।