मणिशंकर अय्यर इन दिनों पीएम मोदी को लेकर दिए विवादित बयान की वजह से खूब सुर्खियां बटोर रहे हैं। वैसे भी जिस तरह से वो अपने बयानों की वजह से चर्चा में रहते हैं उसमें कोई नई बात नहीं है। वो जब भी बोलते हैं विवाद अपने आप उनसे जुड़ जाता है। विवादों से उन्हें इतना लगाव सालों पुराना है। उनसे जुड़ा एक किस्सा काफी मशहूर भी है। इस किस्से में सपा के पूर्व नेता और राज्यसभा सांसद अमर सिंह की भूमिका काफी अहम है। इस किस्से के बाद जब भी मणिशंकर अय्यर संसद के पटल में किसी को बेइज्जत करने खड़े होते थे, तो उन्हें यही सुनने को मिलता था, ‘मणि बैठ जा नहीं तो अमर सिंह आ जाएगा।’ ‘चुप हो जा मणि, नहीं तो अमर सिंह आ जाएगा’। अब आप सोच रहे होंगे उस समय ऐसा क्या हुआ था और ये कबकी बात है? तो चलिए उस समय में चलते हैं जहां से इसकी शुरुआत हुई।
बात वर्ष 2000 की है जब दिल्ली में सतीश गुजराल के घर प्रेस सलाहकार एच.के. दुआ के सम्मान में एक पार्टी आयोजित की गयी थी। इस पार्टी में कई नामी-गिरामी लोग मौजूद थे। मणिशंकर अय्यर और अमर सिंह भी इस पार्टी में मौजूद थे। इस दौरान अय्यर शराब के नशे में झूमते हुए अमर के पास पहुंचे और बोले ‘तुम रेसिस्ट हो। तुमने सोनिया गांधी को सिर्फ इसलिए प्रधानमंत्री बनने से रोका, क्योंकि वो विदेशी हैं।’ जो आरोप मणि अमर सिंह पर लगा रहे थे वास्तव में ये समाजवादी पार्टी के सांसदों और विधायकों का सामूहिक फैसला था जिस वजह सोनिया गांधी प्रधानमंत्री नहीं बनी थीं। अमर सिंह ने तो सिर्फ पार्टी के विचार को सार्वजनिक रूप से व्यक्त किया था।
खैर, मणिशंकर के इतना कहने के बावजूद अमर सिंह चुप थे.. उन्होंने कुछ नहीं कहा। लेकिन नशे में धुत मणि को कहां होश था.. वो फिर बोले और अमर सिंह को ‘अवसरवादी’ कहा। इसपर अमर सिंह ने अपने जवाब में कहा कि ‘मैं पहले भी मुलायम के साथ था और अब भी हूं। ये तो तुम हो जिसे कांग्रेस में सीट नहीं मिली तो ममता के पास चले गए। जब ममता ने दुत्कारा तो उन्हें कोसते हुए कांग्रेस में वापस चले आए’। इतना सुनकर मणिशंकर को शायद थोड़ा गुस्सा आ गया और वो फिर बोले ‘तुम उद्योगपतियों के दलाल हो। तुम अंबानी के कुत्ते हो।’ इसपर अमर सिंह ने हंसते हुए कहा,’ये तुम नहीं, तुम्हारी शराब बोल रही है’..तो अय्यर ने कहा ‘मेरा दिल और दिमाग बोल रहा है’। इसके बाद अय्यर ने सपा नेता मुलायम सिंह यादव पर हमला बोलना शुरू कर दिया और कहा था कि, “मैं ऑक्सफोर्ड-कैंब्रिज में पढ़ा हूं… तुम्हारे नेता को तो ठीक से हिंदी बोलना भी नहीं आती… और हां, वो मुलायम… वो मुझ जैसे ही दिखते हैं। शायद इसलिए क्योंकि मेरे पिताजी किसी समय यूपी गए थे। तुम मुलायम की मां से क्यों नहीं पूछते।” मणिशंकर के इतना बोलते ही अमर सिंह गुस्से से लाल हो गये और मणि की गर्दन पकड़ ली। कुछ प्रत्यक्षदर्शियों की मानें तो अमर ने मणि को जमीन पर पटक दिया, उन पर चढ़कर घूंसे बरसाए थे।
मणि शंकर ने अपने इन शब्दों से सारी हदें लांघ दीं थी जिससे अमर सिंह का गुस्सा होना लाजमी था। उस समय मुलायम सिंह यादव उनके दिल के काफी करीब हुआ करते थे और ऐसे में वो उनके खिलाफ किसी बदजुबानी को कैसे बर्दाश्त करते..बस उन्होंने मणि को वहीं सबक सिखा दिया। इससे जरुर मणिशंकर का सारा नशा उतर गया होगा।
ये झड़प उस समय पूरे देश में सुर्ख़ियों में थी। इसके बाद जब भी किसी को बेइज्जत करने के लिए मणि खड़े होते थे, तो उन्हें यही सुनने को मिलता था, ‘मणि बैठ जा नहीं तो अमर सिंह आ जाएगा।’ ‘चुप हो जा मणि, नहीं तो अमर सिंह आ जाएगा’। इस घटना का जिक्र टाइम्स ऑफ इंडिया में 3 दिसंबर 2000 को प्रकाशित किये गये अमर सिंह के इंटरव्यू में भी मिलता है।
हालांकि, इस घटना से मणि ने कोई सीख नहीं ली तभी तो इस घटना के 19 साल बीत जाने के बाद भी उनकी मानसिकता में कोई बदलाव देखने को नहीं मिल रहा। ये हम ऐसे ही नहीं कह रहे जिस तरह से पिछले कुछ सालों में उन्होंने पीएम मोदी को लेकर बयान दिए हैं उससे यह साफ जाहिर भी होता है।
हैरानी की बात तो यह है कि इतनी ज़्यादा बद्जुबानी करने के बाद भी कांग्रेस पार्टी द्वारा उनपर कभी कोई सख्त कार्रवाई नहीं की गई। साल 2017 में जब पीएम मोदी को नीच कहने के मुद्दे पर विवाद गरमा गया था तो भी कांग्रेस पार्टी ने कुछ समय के लिए उनको पार्टी से निकालकर अपना पल्ला झाड़ने की कोशिश की थी। इसके बाद अय्यर को 8 महीने के बाद ही पार्टी में दोबारा जगह दे दी गई। ऐसा लगता है कि सुर्खियां बटोरने के लिए देश की ये पुरानी पार्टी जानबूझकर उनसे ऐसी बयानबाजी करवाती हो, लेकिन इसमें कोई दो राय नहीं है कि देश के राजनीतिक स्तर को गिराने में कांग्रेस के इस नेता की बड़ी भूमिका रही है। ऐसे में अब यहां यह देखना दिलचस्प होगा कि पार्टी के लिए राजनीतिक बोझ बन चुके मणिशंकर अय्यर को कांग्रेस कब तक झेलती है।






























