सोशल मीडिया पर ममता बनर्जी का मीम शेयर करने पर ममता प्रशासन द्वारा गिरफ्तार कर ली गई प्रियंका शर्मा को अब सुप्रीम कोर्ट के भारी दबाव के बाद रिहा कर दिया गया है। इससे पहले प्रियंका शर्मा को रिहा ना करने पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी दर्ज की थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि, पहली नजर में ही प्रियंका की गिरफ्तारी मनमानी है। कोर्ट ने साथ ही यह भी कहा था कि, आधे घंटे में प्रियंका को रिहा किया जाए वरना अवमानना का मुकदमा शुरू किया जाएगा। गौरतलब है कि, सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को प्रियंका शर्मा को जमानत दे दी थी। लेकिन इसके बावजूद कोलकाता की अलीपुर जेल प्रशासन ने उन्हें रिहा नहीं किया था।
वहीं, सुप्रीम कोर्ट की चेतावनी के बाद पश्चिम बंगाल सरकार के वकील ने दलील दी कि, जेल प्रशासन द्वारा आज बुधवार सुबह 9:30 बजे प्रियंका शर्मा को रिहा कर दिया है। पश्चिम बंगाल सरकार ने कहा कि प्रियंका शर्मा की रिहाई का आदेश मंगलवार शाम पांच बजे प्राप्त हुआ था लेकिन जेल मैनुअल की वजह से रिहाई नहीं हो पायी। इस जवाब पर भी सुप्रीम कोर्ट ने लताड़ लगाई और कहा कि, क्या सुप्रीम कोर्ट का आदेश जेल मैनुअल से बड़ा है।
आपको बता दें कि, प्रियंका शर्मा ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की मॉर्फ तस्वीर सोशल मीडिया पर साझा की थी। इसको लेकर तृणमूल कांग्रेस ने पुलिस में शिकायत की थी और फिर उनको गिरफ्तार कर लिया गया था। प्रियंका को जब निजली अदालत में ले जाया गया तो कोर्ट ने उन्हें जमानत देने से मना कर दिया था। इसके बाद प्रियंका ने सुप्रीम कोर्ट में जमानत याचिका दाखिल की थी।
ममता सरकार की तानाशाही सिर्फ प्रियंका को गिरफ्तार करने और उन्हें जमानत नहीं देने तक ही खत्म नहीं होती बल्कि प्रियंका ने अपनी रिहाई के बाद कई संगीन आरोप और लगाए। प्रियंका ने कहा कि, जेल में जेलर ने उन्हें धक्का मारा और उनके साथ बदसलूकी की। प्रियंका ने कहा कि, गिरफ्तारी के बाद उन्हें प्रताड़ित किया गया। उन्होंने कहा कि, मुझे सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने के बाद भी 18 घंटे तक जेल में रखा गया। मुझको मेरे परिजनों से मिलने तक नहीं दिया गया।
साथ ही प्रियंका ने यह भी आरोप लगाया कि, ‘मुझसे जबरन माफीनामे पर दस्तखत करवाए गए। मुझे जेल में टॉर्चर किया गया। मुझे ममता बनर्जी की मॉर्फ तस्वीर शेयर करने का कोई अफसोस नहीं हैं। मैं माफी नहीं मांगूंगी।’ इसके साथ ही प्रियंका शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट के रिहाई आदेश के बावजूद 18 घंटे तक जेल में रखे जाने पर 50 लाख रुपये का मुआवजा की मांग भी की है। अब इस पूरे घटनाक्रम को लेकर पश्चिम बंगाल सरकार बुरी तरह बैकफुट पर आ गई है। पर बड़ा सवाल तो यही है कि, क्या ममता सरकार को इस सब से कुछ फर्क पड़ेगा?