पिछले साल 2018 में हुए पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में चुनाव प्रचार के समय कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने वादा किया था कि वे राज्यों की सत्ता में आते ही किसानों का कर्ज माफ कर देंगे। उन्होंने उस समय कहा था कि, उनके सत्ता में आते ही प्रधानमंत्री मोदी उंगलियों पर 10 दिन गिने लें, वे दस दिन के अंदर किसानों की कर्जमाफी कर देंगे। अब इन राज्यों के किसान कर्जमाफी की हकीकत समझ गए हैं। वे समझ गए हैं कि, सब झूठे चुनावी वादे थे जो कभी पूरे नहीं होंगे। यही कारण है कि, अब राजस्थान में ठगे हुए किसान गहलोत सरकार के सामने विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।
हालत यह है कि, किसानों की कर्जमाफी तो नहीं ही हुई ऊपर से उन्हें भविष्य में कर्ज मिलने के रास्ते भी बंद दिखाई देने लगे हैं। दरअसल, यहां सरकारी बैंको ने किसानों को ऋण देने से मना कर दिया है। जयपुर सेंट्र्ल को ओपरेटिव बैंक ने अपनी सभी साखाओं को पत्र जारी कर कहा है कि, किसानों को अगले निर्देश तक कोई अल्पकालिक ऋण नहीं दिया जाएगा। सहकारी बैंकों के इस निर्णय से अब किसानों के सामने बड़ा संकट खड़ा हो गया है। एक तरफ तो उनका पुराना कर्ज ही माफ नहीं हुआ और अब खेती के लिए जरूरी कर्ज पर भी रोक लग गई है।
हैरानी की बात है कि, जिस किसान के हितों की बात करके कांग्रेस सत्ता में आई, आज उसी को इस पार्टी ने लाचार बना दिया है। बता दें कि, राजस्थान में किसानों पर करीब 99 हजार करोड़ रुपये का कर्ज है लेकिन, सरकार इसे सिर्फ 18 हजार करोड़ बता रही है और सरकार के पास इस कर्ज को माफ करने के पैसे भी नहीं हैं। आपको बता दें कि, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सूबे में अपनी सरकार बनाने के चंद दिनों बाद ही 2 जनवरी 2019 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक चिट्ठी लिखी थी। इस चिट्ठी में गहलोत ने कर्जमाफी और किसानों के विकास के लिए केंद्र से मदद मांगी थी। उनका कहना था कि, केंद्र को इसके लिए योजना लानी चाहिए। गहलोत की यह बात इसलिए हैरान करती है क्योंकि कर्जमाफी का वादा कर सरकार में तो वे आए और अब कर्जमाफी का पैसा केंद्र से मांग रहे हैं।
कर्जमाफी भले ही नहीं हुई हो लेकिन, कांग्रेस इस जुमले को लेकर लोकसभा चुनावों में भी वोट बटोरने से कतई पीछे नहीं हट रही है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी अपने प्रचार में कहते फिर रहे हैं कि, उनके सरकार में आने के 2 दिन बाद ही राजस्थान और मध्यप्रदेश में कर्जमाफी कर दी गई। जबकि यह सरासर भ्रामक बयान है।
स्पष्ट रूप से कहा जा सकता है कि, कांग्रेस की यह कर्जमाफी किसानों के साथ एक छलावा है। कांग्रेस की वोट की राजनीति का नुकसान अब किसानों को ही भुगतना पड़ रहा है। किसानों के लिए अगले कर्ज के रास्ते बंद हो गए हैं और इसके लिए पूरी तरह कांग्रेस पार्टी जिम्मेदार है।