लोकतंत्र की धज्जियां उड़ाकर हिटलरशाही की विचारधारा को बढ़ावा देने वाली ममता बनर्जी को सुप्रीम कोर्ट से करारा झटका मिला है। सिर्फ एक मीम शेयर करने को लेकर भाजपा युवा मोर्चा की नेता को जेल भेजने वाली ममता सरकार को सबक सिखाते हुए कोर्ट ने गिरफ्तार हुई भाजपा कार्यकर्ता को तुरंत रिहा करने के आदेश दिये। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने एक माफीनामा दायर करने की शर्त पर पीड़ित कार्यकर्ता को बेल देने के आदेश पारित किया था। हालांकि, थोड़ी ही देर में कोर्ट ने अपना आदेश वापस लेते हुए एक नया आदेश जारी किया जिसमें कोर्ट द्वारा माफीनामा दायर करने की शर्त को हटा दिया गया। अब गिरफ्तार हुई युवा भाजपा नेता को तुरंत रिहा कर दिया जाएगा।
#UPDATE Supreme Court calls back Sharma's lawyer NK Kaul and modifies it's order and waives off condition of apology. #PriyankaSharma will be released immediately. https://t.co/q2mfzFQTaS
— ANI (@ANI) May 14, 2019
आपको बता दें कि भाजपा की कार्यकर्ता प्रियंका शर्मा ने कथित तौर पर फेसबुक पर ममता बनर्जी की एडिट की गई एक फोटो को शेयर किया था। इस फोटो में मेट गाला कार्यक्रम के दौरान खींची गई प्रियंका चोपड़ा की फोटो में ममता बनर्जी के चेहरे को लगाया हुआ था। हालांकि, ममता सरकार को यह फेसबुक पोस्ट बिलकुल नहीं पची और बंगाल पुलिस द्वारा प्रियंका शर्मा पर आईपीसी की धारा 500 यानि मानहानि का मुकदमा दर्ज़ कर दिया गया और उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। गौरतलब है कि वकीलों की हड़ताल के कारण पश्चिम बंगाल की किसी भी अदालत में कोई कानूनी प्रक्रिया नहीं चल रही है, जिसके कारण प्रियंका शर्मा ने राहत के लिए सर्वोच्च अदालत का दरवाजा खटखटाना बेहतर समझा।
सुप्रीम कोर्ट में इस केस की सुनवाई के दौरान प्रियंका शर्मा के वकील नीरज किशन कौल ने जज इन्दिरा बनर्जी और संजीव खन्ना को बताया कि यह कार्रवाई अभिव्यक्ति की आज़ादी पर सीधा प्रहार है और इसका मकसद सिर्फ राजनीतिक व्यंग्य करना था। उन्होंने कोर्ट में यह भी बताया कि कथित तौर पर शेयर किया गया मीम पहले से इंटरनेट पर था। इसके बाद कोर्ट ने अपने आदेश में एक माफीनामा प्रस्तुत करने की शर्त पर प्रियंका शर्मा को बेल देने की बात लिखी। हालांकि, वकील कौल ने माफीनामा दायर करने की शर्त को लेकर कोर्ट में अपना विरोध जाहिर किया और कहा कि इससे लोकतान्त्रिक समाज में एक गलत संदेश जाएगा, जिसके बाद अपने नए आदेश में सुप्रीम कोर्ट द्वारा उस शर्त को हटा दिया गया।
पूरे देशभर में लोकतन्त्र की धज्जियां उड़ाने के लिए मशहूर हो चुकी ममता बनर्जी की तालिबानी विचारधारा अब खुलकर सामने आ गई है। एक तरफ जहां उन्हें देश के प्रधानमंत्री को अपना प्रधानमंत्री मानने में शर्म महसूस होती है, तो वहीं दूसरी तरफ जय श्री राम के नारे पर भी वे सख्त आपत्ति जाहिर करती हैं। पिछले दिनों उनके काफिले के गुजरने के दौरान जब कुछ लोगों ने जय श्री राम के नारे लगाए थे तो ममता बनर्जी को इसपर इतना गुस्सा आया था कि उन्होंने गाड़ी से बाहर उतरकर नारे लगाने वाले लोगों को यह कहकर धमकाया कि ‘क्या उन्हें अब बंगाल में नहीं रहना है?’ भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतन्त्र है और यहां ममता की हिटलरशाही नहीं चलने वाली है। राज्य के वोटर्स को ऐसी मानसिकता वाले नेताओं को सत्ता से बाहर का रास्ता दिखाने की सख्त आवश्यकता है।