हाल ही में सोमवार को पंजाब के वर्तमान मुख्यमंत्री, कैप्टन अमरिंदर सिंह [सेवानिर्वृत्त] ने कैनेडियाई सरकार को खालिस्तानी अभियान को समर्थन देने के लिए न केवल निशाने पर लिया बल्कि कनिष्क बम धमाके संबंधी जॉन मेजर कमिशन की जांच का हवाला देते हुए उन्हें चेतावनी दी कि भारत विरोधी गतिविधियों पर टोरंटो की निष्क्रियता के कारण कनाडा के आंतरिक सुरक्षा को इसके दुष्परिणाम भुगतने पड़ेंगे।
कमिशन की रिपोर्ट में बताया गया है कि ‘मुख्य आरोपियों को बम धमाके से पहले सर्विलांस में रखने के बावजूद, उनके द्वारा विस्फोटक प्राप्त करने और विस्फोट को जुटाने और विशेष उड़ान में बम रखने की मंशा संबंधी बार-बार चेतावनी के बावजूद कनाडा की एजेंसियां हर चरण पर कार्रवाई करने में असफल रहीं। और ऐसे हालात में इसे सिर्फ एक गलती नहीं समझा जा सकता, बल्कि यह अगर गठजोड़ नहीं है तो यह जानबूझकर की गई लापरवाही का दाग जरूर प्रतीत होता है।‘
अमरिंदर सिंह ने इसी रिपोर्ट का उल्लेख करते हुए कहा ‘इस रिपोर्ट ने साफ ज़ाहिर किया है कि इन गतिविधियों से न केवल भारत को, बल्कि कनाडा की सुरक्षा को भी काफी खतरा है।‘ उन्होंने वर्तमान कैनेडियन सरकार को आड़े हाथों लेते हुए ये भी कहा, कि ‘ऐसा प्रतीत होता है कि कनाडा भारत के विरोध के बावजूद खालिस्तानियों को अपना अप्रत्यक्ष समर्थन देता है।‘
इतना ही नहीं, अमरिंदर सिंह ने ये भी बताया कि उन्होंने पिछले वर्ष कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो को उनके भारत यात्रा के दौरान वांछित आतंकवादियों की सूची सौंपी थी। लेकिन फिर भी वहां की सरकार द्वारा इसपर किसी प्रकार का एक्शन नहीं लिया गया था। पंजाब के मुख्यमंत्री के अनुसार, कैनेडियन सरकार द्वारा इस विषय में कोई प्रतिक्रिया सामने न आने से उनकी मंशा जगज़ाहिर हो चुकी है।
पिछले कुछ वर्षों में कनाडा खालिस्तानी चरमपंथियों के गढ़ के रूप में कुख्यात हो चुका है। कई खालिस्तानी समर्थकों को जस्टिन ट्रूडो के वर्तमान प्रशासन में जगह भी दी गयी है। कई रिपोर्ट्स में खालिस्तानी उग्रवाद को बढ़ावा देने के पीछे पाकिस्तान के आईएसआई का भी हाथा बताया जा रहा है। 2008 में आईबी की एक रिपोर्ट में दावा किया गया था कि अक्टूबर 2007 में हुए लुधियाना के बम धमाकों से साफ संकेत मिलते हैं कि आईएसआई खालिस्तानी उग्रवाद को फिर से हवा देना चाहती है, जो 1990 के दशक तक लगभग खत्म हो चुका था।
पंजाब पुलिस के अनुसार, वर्तमान में, उनके वांटेड लिस्ट पर लगभग 290 आतंकी संगठन हैं, जिनमें से लगभग 125 संगठन विदेश से संचालित होते हैं, जैसे यूके, यूएसए, कनाडा, जर्मनी इत्यादि। पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने पूरे घटनाक्रम पर संज्ञान लेने के लिए पीएम मोदी से निवेदन भी किया है. इसके साथ ही खालिस्तानी उग्रवाद के विरुद्ध कठोर से कठोरतम निर्णय लेने का भी उल्लेख है। उन्होंने पीएम मोदी से अपनी धरती को भारत के विरुद्ध आतंकवादी सरगर्मियों के लिए प्रयोग न करने दें इसके लिए उसपर विश्वव्यापी दबाव बनाने का आग्रह भी किया है। उन्होंने कहा, ‘संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधों की आवश्यकता पड़े, तो उसका भी सहारा लें। चाहे कुछ भी हो, पर इस समस्या को खत्म करने के लिए पूरा प्रयास करना चाहिए।‘
सीएम अमरिंदर सिंह खालिस्तानी उग्रवाद के विरुद्ध काँग्रेस नेताओं में सबसे मुखर रहे हैं, राज्य में भी और देश में भी। इनकी नीतियों से सिद्ध हुआ की खालिस्तानी उग्रवाद पंजाब में फिर अपना सिर न उठाए और इनके हाल ही के बयानों ने इस व्यवहार की पुष्टि भी की है।