मध्य प्रदेश में कांग्रेस सरकार के आते ही मानो आम जनता के ‘बुरे दिनों’ का दौर अब शुरू हो गया है। गर्मी के मौसम में लगातार बिजली जाने से राज्य के लोगों को भारी मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है। मध्य प्रदेश के प्रमुख शहर इंदौर में भी बिजली का यही हाल है जिसको लेकर अब मशहूर शायर राहत इंदौरी ने सोशल मीडिया पर अपना दर्द बयां किया है। उन्होंने ट्विटर पर मुख्यमंत्री कमलनाथ को टैग करके मदद की गुहार लगाई है। इसी वर्ष अप्रैल महीने में भी मध्य प्रदेश में अघोषित पावर कट्स के चलते व्यापारियों और उद्योगपतियों ने सरकार के खिलाफ अपने गुस्से को जाहिर किया था। हालांकि, इस मामले पर कुछ लाभकारी कार्रवाई करने की बजाए मध्यप्रदेश सरकार के एक मंत्री ने बिजली कटौती का दोष विपक्ष में बैठी भाजपा पर ही मढ़ डाला।
राज्य में बिजली की लगातार बिजली कटौती से राज्य के अस्पतालों में जहां मरीजों को मुश्किलें पेश आ रही हैं तो वहीं स्कूली बच्चों का हाल भी बेहाल हो गया है। शायर राहत इंदौरी के ट्वीट में भी उनका यही दर्द झलका। उन्होंने लिखा ‘आजकल बिजली जाना आम हो गया है, आज भी पिछले तीन घंटों से बिजली नहीं है….. गर्मी है – रमज़ान भी हैं…..कोई फोन नहीं उठा रहा है, कृपया मदद करें’।
आजकल बिजली जाना आम हो गया है, आज भी पिछले तीन घंटों से बिजली नहीं है….. गर्मी है – रमज़ान भी हैं….. @mppkvvclindore में कोई फ़ोन नहीं उठा रहा…. कुछ मदद करें….@iPriyavratSingh @OfficeOfKNath
— Dr. Rahat Indori – forever (@rahatindori) June 2, 2019
हालांकि, राज्य में लगातार जारी अघोषित बिजली कटौती को लेकर प्रदेश सरकार के पर्यटन एवं नर्मदा घाटी विकास मंत्री सुरेंद्र सिंह हनी बघेल ने बड़ा हैरान करने वाला बयान दिया। उन्होंने अपनी सरकार का बचाव करते हुए कहा कि बिजली कंपनियों के अधिकारी भाजपा के इशारे पर अनावश्यक बिजली कटौती कर रहे हैं ताकि यह मैसेज जाए कि कांग्रेस सरकार के आती ही बिजली कटौती शुरू हो गयी। साथ ही उन्होंने यह दावा भी किया कि मध्य प्रदेश सरकार ऐसे अफसरों पर कड़ी कार्रवाई करेगी। राज्य में कांग्रेस सरकार होने के बावजूद अपनी विफलताओं का ठीकरा विपक्षी पार्टी पर फोड़कर मंत्री हनी बघेल ने खुद अपना रिपोर्ट कार्ड पेश किया है। उन्होंने यह साबित कर दिया कि वे राज्य के लोगों की मुश्किलें हल करने की बजाय बस आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति करने में विश्वास रखते हैं जो बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।
पावर कट्स को लेकर जहां आम नागरिकों में सरकार के प्रति गुस्सा है तो वहीं उद्योगपति वर्ग भी सरकार से खासा नाराज़ है। इसी महीने अप्रैल में छपी टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक उद्योगपतियों का कहना है कि ओवरलोडेड ट्रांसफॉर्मर और तारों की वजह से बिजली में प्रवाह में मुश्किलें आती है जिसकी वजह से उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ता है।
आपको बता दें कि पिछले विधानसभा चुनावों में राज्य में कांग्रेस अपनी सरकार बनाने में सफल हो पाई थी, लेकिन परफॉर्मेंस के मामले में अब तक उसका रिकॉर्ड कुछ खास नहीं रहा है। अपने चुनावी वायदों में कांग्रेस ने राज्य के सभी किसानों के कर्जमाफ़ी का ऐलान किया था। लेकिन सरकार बनने के बाद यह खबरें सामने आई थी कि किसानों को कर्जमाफ़ी के नाम पर ठगा जा रहा है और यहां तक कि उनके 13 रुपये तक का कर्ज़ माफ कर कांग्रेस सरकार द्वारा अपना पल्ला झाड़ा जा रहा है। विधानसभा चुनावों के मद्देनजर जारी अपने घोषणापत्र में कांग्रेस ने यह भी वादा किया था कि उनकी सरकार बनने के बाद उनकी सरकार बेरोजगारों को हर महीने 10 हज़ार का भत्ता देने का काम करेगी लेकिन सरकार बनने के बाद सिर्फ 4 हज़ार बेरोजगारी भत्ते को देने का ऐलान किया गया, जिसने सभी युवाओं को निराश किया था।
एमपी की कांग्रेस सरकार का रिपोर्ट कार्ड अब तक कुछ खास नहीं रहा है। अपने चुनावी वादों को पूरा करने की बात हो, या फिर पुरानी सरकार के समय से चली आ रही व्यवस्थाओं को जारी रखने की बात हो, एमपी सरकार हर मोर्चे पर विफल नज़र आई है। यही कारण है कि इन लोकसभा चुनावों में प्रदेश की जनता ने कांग्रेस को मुंहतोड़ जवाब दिया है और प्रदेश की 29 लोकसभा सीटों में से कांग्रेस को सिर्फ 1 सीट ही नसीब हो सकी है जबकि बाकी 28 सीटें भाजपा के खाते में गई हैं। लोगों को अब पूरी तरह विश्वास हो चुका है कि प्रदेश की जनता की भलाई विकासवादी एजेंडे को आगे बढ़ाने वाली पार्टी को सत्ता सौंपने में हैं।