निर्मला सीतारमन ने अपने पहले बजट भाषण में एक राष्ट्र एक ग्रिड कि घोषणा करते हुए कहा था कि ‘वन नेशन, वन ग्रिड’ से हर घर को बिजली मिलेगी। इस योजना से सरकार पूरे देश में एक समान टैरिफ लागू करने की तैयारी में है। मोदी सरकार के इस कदम से बिजली की व्यव्स्था को और ज्यादा सुलभ बनाने में मदद मिलेगी। साथ ही उन्होंने कहा था कि देश के पास पहले से ही एक देश एक कार्ड की योजना है और अब सरकार ऊर्जा के क्षेत्र में अब एक देश एक ग्रिड की योजना को साकार करने के क्षेत्र में कदम उठाएगी।
मोदी सरकार के पिछले कार्यकाल में तत्कालीन ऊर्जा मंत्री पीयूष गोयल ने अप्रैल 2016 में ही एक देश एक ग्रिड और एक दाम के बारे में बताया था और कहा था कि उनकी सरकार का प्रमुख लक्ष्य एक देश एक ग्रिड और एक दाम को हासिल करना है। अब इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए जाएंगे।
लेकिन एक देश एक ग्रिड है क्या? इस मुद्दे पर मीडिया प्रकाशकों ने कई लेख लिखे है लेकिन इसका लाभ समझना जरूरी है और कैसे यह योजना भारत के ऊर्जा क्षेत्र में क्रांति ला सकती है।
भारत में भारतीय विद्युत प्रणाली को 5 क्षेत्रीय ग्रिड; उत्तर, पूर्व, पश्चिम, दक्षिण और उत्तर-पूर्व ग्रिडों में विभाजित किया गया है ताकि देश में निर्बंधित रूप से ऊर्जा और बिजली का परिचालन हो सके। इन सभी क्षेत्रीय ग्रिडों का एकीकरण करने का योजना नब्बे के शुरुआती दशक में बनी थी। इस योजना का लक्ष्य कम बिजली उत्पादक क्षेत्रों को बिजली मुहैया कराने का था। लेकिन यह योजना बाद में क्षेत्रीय से राष्ट्रीय मुद्दा बन गयी। अक्तूबर 1991 में उत्तर पूर्वी और पूर्वी ग्रिडों को जोड़ दिया गया। इसके बाद 2003 में पश्चिमी ग्रिड को भी इन दोनों से परस्पर जोड़ दिया गया। वर्ष 2006 में उत्तरी ग्रिड और दिसम्बर 2013 में दक्षिणी ग्रिड के जुडने से एक केंद्रीय ग्रिड की स्थापना हो गयी जो सभी 5 ग्रिडों का आपस में परस्पर जोड़ता था। राष्ट्रीय ग्रिड को केंद्र सरकार द्वारा पावर ग्रिड कॉर्पोरेशन की मदद से संचालित किया जाता है। यह 334.40 गीगावॉट के साथ दुनिया में सबसे बड़ा विद्युत परिचालक ग्रिडों में से एक है।
शुरुआती दौर में यह अंतर-क्षेत्रीय लिंक सिर्फ ग्रिड की सीमा में रहने वाले लोगों के लिए ही था पर बाद में इसे दूसरे क्षेत्रों के भावी परियोजनाओं के क्रियान्वयन के लिए विस्तृत किया गया। हाल के दिनों मेंअंतर-क्षेत्रीय बिजली के संचार की क्षमता में जबरदस्त वृद्धि हुई है। बता दें कि 12वीं पंचवर्षीय योजना के अंत तक यानि 2017 तक देश में लगभग 75,070 मेगावाट की अंतर-क्षेत्रीय संचार की क्षमता थी जो अब 2018 में बढ़ कर 86,450 मेगावाट हो चुकी है।
एक देश एक ग्रिड देश के सभी क्षेत्रीय ग्रिडों को जोड़ कर एक केंद्रीय फ्रिक्वेन्सी का निर्माण करेगा। यह योजना देश को ऊर्जा का अधिकतम उपयोग करने में सक्षम बनाएगा। जिन क्षेत्रों में ऊर्जा का अधिकतम उत्पादन होता है वहाँ से बिजली को बड़े शहरों तक पहुंचाया जाएगा जहां बिजली की मांग ज्यादा है। यह योजना देश की ऊर्जा क्षेत्र के मानिकीकरण और एकीकरण में भी मदद करेगी। और साथ ही जिन क्षेत्रों में ऊर्जा की कमी है वहाँ नियमित रूप से ऊर्जा को संचारित करने में सहायक होगी। एक देश एक ग्रिड देश में बिजली का व्यवसायीकरण को भी सुनिश्चित करेगा जिससे देश के विभिन्न क्षेत्रों में बिजली का निर्बाध व्यापार हो सके।
ऐसा लग रहा है कि मोदी सरकार ने अपने वादे को पूरा करने के लिए एक और कदम बढ़ा दिया है। केंद्र सरकार के इस कदम से भारत ऊर्जा के क्षेत्र में लंबी छ्लांग लगाने को तैयार है।