प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस के मौके पर आज बाघों की संख्या पर ऑल इंडिया टाइगर एस्टीमेशन 2018 रिपोर्ट जारी की। इस रिपोर्ट में दर्ज नए आंकड़ों के मुताबिक, अब भारत में बाघों की संख्या 2967 हो गयी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बाघों की संख्या पर रिपोर्ट जारी करते हुए कहा, “9 वर्ष पहले रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में यह फैसला लिया गया था कि बाघों की आबादी को वर्ष 2022 तक बढ़ा कर दोगुना किया जाएगा। लेकिन हमने इस लक्ष्य को 4 साल पहले पूरा कर लिया है। संकल्प और सिद्धि भारतीयों की पहचान है और इसी वजह से हमने यह कर दिखाया है।” यानी 2014 के मुकाबले बाघों की संख्या में 741 की बढ़ोत्तरी हुई है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2014 में भारत में जंगली जानवरों के लिए प्रोटेक्टेड एरिया की संख्या 692 थी, जो 2019 में बढ़कर अब 860 से ज्यादा हो गई है। साथ ही कम्युनिटी रिजर्व की संख्या भी साल 2014 के 43 से बढ़कर अब सौ से ज्यादा हो चुकी है।
इस रिपोर्ट को पूरा करने के लिए पूरे देश में करीब 3.81 लाख वर्ग किमी जंगलों में सर्वे किया गया तथा वन विभाग के कर्मचारीयों को 5.33 लाख किमी पैदल चलना पड़ा। देश भर में 141 स्थानों पर 26,838 कैमरा ट्रैप लगाए गए जिससे उनकी तस्वीर कैद की जा सके। इन कैमरों की वजह से 1.21 लाख वर्ग किमी इलाके को कवर किया गया और इन कैमरों से 3.48 करोड़ फोटो खींची गई थी। इन तस्वीरों में से 76,651 फोटो बाघों के थे और 51,777 तस्वीरें उसी प्रजाति के दूसरे जानवरों की थी। इस पूरे सर्वे को पूरा करने में करीब 11 करोड़ रुपए खर्च किए गए। आश्चर्य की बात यह कि यह सर्वे दुनिया का सबसे बड़ा वाइल्डलाइफ सर्वे है। देश में अभी सबसे ज्यादा 526 बाघ मध्यप्रदेश में हैं। इसके बाद 524 बाघों के साथ कर्नाटक दूसरे, 442 बाघों के साथ उत्तराखंड तीसरे , 312 बाघों के साथ महाराष्ट्र चौथा और 264 बाघों के साथ तमिलनाडु पांचवां राज्य है। देश में मौजूद बाघों की पूरी आबादी में से 60.80 फीसदी बाघ इन्हीं पांच राज्यो में पाई गयी हैं। इस मौके पर प्रधानमंत्री ने कहा, ‘यह एक बहुत मुश्किल काम था, लेकिन जिस तरह संवेदनशीलता और आधुनिक तकनीक के साथ इस मुहिम को आगे बढ़ाया गया, वह तारीफ के काबिल है। बाघों की तीन चौथाई संख्या का बसेरा आज हिंदुस्तान है।’ उन्होंने आगे कहा, ‘जब 14-15 साल पहले यह खबर आई थी कि देश में केवल 1400 बाघ बचे हैं, तो यह बहुत बड़ी चिंता की बात थी। पीएम मोदी ने इस मौके पर कहा कि कई देशों में बाघ आस्था का प्रतीक माने जाते हैं। बाघों के लिए भारत एक सुरक्षित जगह है। उन्होंने कहा कि बाघ बढ़ेंगे तो पर्यटन भी बढ़ेगा।
उन्होंने आशा जताते हुए इस क्षेत्र में और अधिक काम करने की जरूरत बताते हुए कहा, ‘मैं इस क्षेत्र से जुड़े लोगों से यही कहूंगा कि जो कहानी ‘एक था टाइगर’ के साथ शुरू होकर ‘टाइगर जिंदा है’ तक पहुंची है, वो वहीं न रुके। केवल ‘‘टाइगर जिंदा है’’, से काम नहीं चलेगा। बाघ संरक्षण से जुड़े जो प्रयास हैं उनका और विस्तार होना चाहिए, उनकी गति और तेज की जानी चाहिए।’’
मैं इस क्षेत्र से जुड़े लोगों से यही कहूंगा कि जो कहानी ‘एक था टाइगर’ के साथ शुरू होकर ‘टाइगर जिंदा है’ तक पहुंची है, वो वहीं न रुके। केवल टाइगर जिंदा है, से काम नहीं चलेगा। Tiger Conservation से जुड़े जो प्रयास हैं उनका और विस्तार होना चाहिए, उनकी गति और तेज की जानी चाहिए: PM
— PMO India (@PMOIndia) July 29, 2019
इस दौरान उन्होंने अब अगले लक्ष्य की ओर ध्यान देने का भी निर्णय लेते हुए बताया की अब बाघों के साथ स्नो लेओपेर्ड की भी संरक्षित करने की बात कही। बता दें की यूपीए के दूसरे कार्यकाल के दौरान बाघों पर हमलें बढ़े थे। एक रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2012 के दौरान ही 78 बाघों की मौत हुई थी। इनमें से 50 को को शिकारियों ने निशाना बनाया था और 28 की मृत्यु प्रकृतिक तरीके से हुई थी। इससे पहले वर्ष 2011 में 56, वर्ष 2010 में 53 और वर्ष 2009 में 66 बाघों की मौत हुई थी। बाघ शिकारियों के निशाने पर रहते है क्योंकि उनके शरीर के अलग अलग भाग अवैध बाज़ार में बड़ी कीमत पर बेचे जाते है।
देश में बाघों की आबादी के आंकलन के लिए तीन बार सर्वे हो चुके हैं। पहला सर्वे 2006 में, दूसरा 2010 और तीसरा 2014 में हुआ था। आज से करीब 13 साल पहले देश में सिर्फ 1411 टाइगर थे। जो 2014 तक बढ़कर 2226 हो गए और अब इस वर्ष 2019 में वर्ष 2014 के मुकाबले बाघों की संख्या में 741 बढ़ोत्तरी हुई है। केंद्र सरकार के महत्वपूर्ण कदमों से टाइगर की आबादी साल दर साल बढ़ रही है। यह “राजनीतिक इच्छाशक्ति” का परिणाम है कि निरंतर संरक्षण के प्रयास जारी रहा और बाघों की संख्या में वृद्धि हुई है।