इस साल के लोकसभा चुनावों के बाद से कांग्रेस पार्टी चौतरफा हताशा और निराशा के माहौल से घिरी नज़र आ रही है। चुनावों में पार्टी की कमान सभाल रहे कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पहले ही अपने पद से इस्तीफा दे चुके हैं, और कल यह खबर आई कि कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया और मिलिंद देवड़ा ने भी पार्टी में अपने-अपने पदों से इस्तीफ़ा देने की घोषणा कर दी है। इससे पहले भी कांग्रेस के कई नेता इन चुनावों में अपनी जिम्मेदारियों को ठीक से ना निभाने का हवाला देकर अपने पदों से इस्तीफ़ा दे चुके हैं।
लेकिन यहां ध्यान देने योग्य बात यह है कि चुनावों से ठीक पहले पूर्वी उत्तर प्रदेश की कमान संभालने वाली प्रियंका वाड्रा अभी भी अपने पद पर बनी हुई हैं। इन चुनावों में उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को सिर्फ 1 सीट ही मिल पाई थी, जो यह दर्शाता है कि पार्टी को राज्य में जबरदस्त हार का सामना करना पड़ा था, लेकिन ऐसे समय में जब कांग्रेस के सभी बड़े नेता अपने पद से इस्तीफ़ा दे रहे हों, प्रियंका वाड्रा का कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव के पद पर बने रहना आश्चर्यजनक है।
अभी पिछले महीने के दौरान ही कांग्रेस के 10 बड़े नेता अपने-अपने पदों से इस्तीफ़ा दे चुके हैं। इन नेताओं में सबसे पहले मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ का नाम आता है, जिनपर मध्य प्रदेश में कांग्रेस के अच्छे प्रदर्शन की ज़िम्मेदारी थी। मध्य प्रदेश में कांग्रेस को सिर्फ 1 सीट ही मिल पाई थी और कमलनाथ को इसका सबसे बड़ा जिम्मेदार माना गया। चुनावों के बाद कमलनाथ ने मध्य प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष पद से इस्तीफ़ा दे दिया। उनके साथ ही मध्य प्रदेश कांग्रेस के इन-चार्ज दीपक बबरिया ने भी अपने पद से इस्तीफ़ा दे दिया था।
इन नेताओं के अलावा कांग्रेस के कई बड़े नेता जैसे राज बब्बर, हरीश रावत, विवेक तंखा, गिरीश चोडंकर, पूनम प्रभाकर और वीरेंद्र राठोर भी अपने पदों से इस्तीफ़ा दे चुके हैं। कांग्रेस के अध्यक्ष राहुल गांधी का नाम इस सूची में पहले ही जुड़ चुका है। इनके अलावा मिलिंद देवड़ा ने भी हाल ही में मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफ़ा दे दिया। महाराष्ट्र में अभी कुछ महीनो बाद ही विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, ऐसे में कांग्रेस के लिए यह किसी बड़े झटके से कम नहीं है।
उत्तर प्रदेश राजनीतिक दृष्टि से देश का सबसे महत्वपूर्ण राज्य है। ऐसे में कांग्रेस ने इस राज्य की कमान दो लोगों के हाथों में सौंपी थी। ज्योतिरादित्य सिंधिया को जहां पश्चिमी उत्तर प्रदेश की कमान सौंपी गई, तो वहीं प्रियंका गांधी वाड्रा को पूर्वी यूपी में कांग्रेस पार्टी के अच्छे प्रदर्शन की ज़िम्मेदारी दी गई थी। अब चुनावों में उत्तर प्रदेश में करारी हार के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया तो अपना इस्तीफ़ा दे चुके हैं, लेकिन प्रियंका वाड्रा अभी भी कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय सचिव के पद पर बनी हुई हैं। ना तो वे खुद अपने इस्तीफे को पेश कर रही हैं, और ना ही कांग्रेस में कोई उनके इस्तीफे की कोई मांग कर रहा है।
कांग्रेस पार्टी में शुरू से ही नेहरू-गांधी परिवार का वर्चस्व रहा है और राहुल गांधी के अध्यक्ष पद से इस्तीफे के बाद अब इस वर्चस्व पर गहरा संकट आन खड़ा हुआ है। अब अगर ऐसी स्थिति में प्रियंका गांधी वाड्रा भी अपने पद से इस्तीफ़ा दे देती हैं तो कांग्रेस पूरी तरह गांधी मुक्त हो जाएगी। या यूं कहें गांधी परिवार का कांग्रेस पर से प्रभुत्व समाप्त हो जाएगा और यह गांधी परिवार कभी नहीं चाहेगा। यही कारण है कि उत्तर प्रदेश में पूरी तरह फ्लॉप साबित होने के बाद भी प्रियंका वाड्रा की भूमिका को लेकर कोई सवाल खड़ा नहीं कर रहा है। स्पष्ट है आने वाले समय में प्रियंका गांधी वाड्रा कांग्रेस पार्टी के बड़े चेहरे के रूप में उभरकर सामने आ सकती हैं और कांग्रेस पार्टी को गांधी परिवार से अपना एक नया नेता मिल जायेगा जो पार्टी का नेतृत्व करेगा।
बता दें कि वर्ष 2019 के आम चुनावों से पहले कांग्रेस पार्टी ने राहुल गांधी को प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के तौर पर पेश करने की कोशिश की थी। इन चुनावों में कांग्रेस को बुरी हार का सामना करना पड़ा था। जैसा कि हमने अपने पहले वीडियो में भी बताया था कांग्रेस की नई रणनीति का पूरा फोकस वर्ष 2024 में प्रियंका गांधी वाड्रा को प्रधानमंत्री पद का दावेदार बनाने पर है। राहुल गांधी ने अपना इस्तीफ़ा देकर एक तरफ जहां अपनी नैतिकता का परिचय देने की कोशिश की है, तो वहीं प्रियंका गांधी वाड्रा का इस्तीफा न देना और उनकी चुप्पी स्पष्ट संकेत है कि कांग्रेस में गांधी परिवार की वर्चस्वता को बनाए रखने का तरीका पार्टी ने खोज निकाला है। हालांकि, इतना तय है कि कांग्रेस के इस ड्रामे को जनता ध्यान से देख रही है और वो आगामी चुनावों में भी कांग्रेस के इस प्रपंच का अपने मताधिकार से भरपूर जवाब देगी।