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पीएम मोदी की प्रभावशाली कूटनीति के सामने घुटने टेक चुके ट्रम्प अब WTO की शरण में गए हैं

Animesh Pandey द्वारा Animesh Pandey
7 July 2019
in मत
पीएम मोदी की प्रभावशाली कूटनीति के सामने घुटने टेक चुके ट्रम्प अब WTO की शरण में गए हैं
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डोनाल्ड ट्रम्प के नेतृत्व में यूएस प्रशासन ने भारत के 28 अमेरिकी उत्पादों पर जवाबी टैरिफ लगाने के संबंध में डबल्यूटीओ से मध्यस्थता के लिए आवेदन किया है। भारत ने अमेरिका के स्टील एवं एल्युमिनियम के आयातों पर एकतरफा टैरिफ के विरोधस्वरूप यूएस उत्पादों पर उक्त टैरिफ लगाए हैं। हालांकि अमेरिका का मानना है की भारतीय टैरिफ डबल्यूटीओ के मानकों के विरुद्ध जाते है।

अमेरिकी सरकार द्वारा जारी आधिकारिक प्रैस रिलीज़ के अनुसार,

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“अमेरिका यह दावा करता है की भारत द्वारा जून 2018 और जून 2019 के बीच लागू अतिरिक्त ड्यूटी डबल्यूटीओ के जनरल एग्रीमेंट ऑन ट्रेड एंड टैरिफ़्स के मानकों से मेल नहीं खाती और भारत डबल्यूटीओ के अन्य सदस्यों के मुक़ाबले यूएस के उत्पादों के विरुद्ध पक्षपाती व्यवहार कर रहा है।“

अमेरिका ने यह दावा भी किया है की यूएस ट्रेड एक्सपैन्शन एक्ट 1962 के धारा 232 के अंतर्गत उसके टैरिफ संरक्षित हैं, जिससे उन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर किसी भी प्रकार के व्यापार संबंधी प्रतिबंध लगाने की पूर्ण स्वतन्त्रता है। वहीं भारतीय पक्ष ने दावा किया की उनके टैरिफ डबल्यूटीओ के सेफ़गार्ड एग्रीमेंट के मानकों के अनुसार लागू किए गए हैं।   

इस निर्णय से साफ पता चलता है की ट्रम्प के नेतृत्व में अमेरिकी प्रशासन का का यह निर्णय मोदी प्रशासन के मुखर कूटनीति के विरुद्ध अधीरता में उठाया गया कदम है। मोदी सरकार के अंतर्गत भारत ने साफ कर दिया है की वे ट्रम्प सरकार की ‘ट्रेड बुल्लिंग’ की नीति के आगे बिलकुल भी नहीं झुकेगा। जब भी ट्रम्प ने दबाव बनाने का प्रयास किया, भारत ने विरोधस्वरूप अपने टैरिफ लागू किए, और ट्रम्प की निरंतर धमकियों के बावजूद मोदी सरकार अपने निर्णय पर अडिग रही।

ट्रंप भारत को कई तरीकों से उकसाने में लगे हुए थे, जैसे हाल ही में हुये जी20 समिट में पीएम मोदी एवं ट्रम्प के बीच होने वाली द्विपक्षीय वार्ता से ठीक पहले अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने भारत को टैरिफ के संबंध में धमकाने का प्रयास किया था। परंतु इसकी परवाह न करते हुये मोदी सरकार अपने निर्णय पर अडिग रही और वार्ता के बाद ट्रम्प ने अपने व्यवहार में काफी नरमी दिखानी शुरू की।

मोदी सरकार ने ट्रम्प प्रशासन के विरुद्ध जो रवैया दिखाया है, उसके चलते यूएस अपने आप को काफी असहाय महसूस कर रहा है, जो इनके डबल्यूटीओ की शरण लेने से साफ दिखता है। क्योंकि ट्रम्प ने पिछले ही वर्ष डबल्यूटीओ की सदस्यता छोड़ने की धमकी दी थी। भारत के लिए डबल्यूटीओ में अपना पक्ष रखने में कोई परेशानी नहीं होगी, क्योंकि उन्होंने केवल यूएस प्रशासन के टैरिफ के विरोध स्वरूप यह निर्णय लिया है। परंतु यहां ट्रम्प के लिए अपने पक्ष पर अड़े रहना काफी मुश्किल होगा, क्योंकि उन्होने ईरान, रूस और चीन जैसे कई देशों को टैरिफ में बढ़ोत्तरी और प्रतिबंधों की धमकियां दी है।

ऐसे में यूएस को यह जानना आवश्यक है की अब वो समय चला गया जब विकासशील देश अमेरिकी दबाव में नीति बनाने को तैयार हो जाते थे। कई दशकों तक अमेरिका को डबल्यूटीओ द्वारा स्थापित मानकों के अनुसार फ्री ट्रेड अधिनियमों का फ़ायदा मिला था, पर जब भारत जैसे विकासशील देश अपने फायदे के लिए इन्हीं मानकों का उपयोग करना चाहती है, तो यूएस अपने हिसाब से इस खेल के नियम बदलना चाहता है।

परंतु ट्रम्प प्रशासन शायद यह भूल रहा है की मोदी सरकार के अंतर्गत भारत अपने राष्ट्रीय हितों को सर्वोपरि रखेगा और किसी भी स्थिति में विदेशी ताकतों के सामने नहीं झुकेगा। पीएम मोदी से जी20 समिट में मिलने से पहले डोनाल्ड ट्रम्प ने अपने ट्वीट में लिखा था ‘मैं प्रधानमंत्री मोदी के साथ बातचीत करने को उत्सुक हूं। कई वर्षों तक यूएस के विरुद्ध ऊंचे टैरिफ लागू करने के बाद भारत ने एक फिर टैरिफ बढ़ाए हैं। ये बिल्कुल भी मुझे स्वीकार नहीं है और टैरिफ को अविलंब हटाया जाना चाहिए!’

I look forward to speaking with Prime Minister Modi about the fact that India, for years having put very high Tariffs against the United States, just recently increased the Tariffs even further. This is unacceptable and the Tariffs must be withdrawn!

— Donald J. Trump (@realDonaldTrump) June 27, 2019

परंतु पीएम मोदी से मिलने के बाद ट्रम्प के हावभाव पूरी तरह बदल गए। उन्होने कुछ यूं कहा था ‘हम कभी भी इतने निकट संबंध नहीं स्थापित कर पाये थे। आज मैं निस्संकोच कह सकता हूं कि हम व्यापार के बारे में भी बातचीत करेंगे।“

पीएम मोदी ने ट्रम्प को साफ ज़ाहिर कर दिया है की व्यापार क्षेत्र में भारत किसी भी स्थिति में नहीं झुकेगा और टैरिफ की किसी भी बढ़ोत्तरी का जवाब उसी भाषा में दिया जाएगा। अब अपने आप को घिरता हुआ देख और अपने लोगों को बहलाने के लिए डोनाल्ड ट्रम्प ने पीएम मोदी के विरुद्ध डबल्यूटीओ की सहायता लेने का प्रयास किया है। हालांकि इस निर्णय से अमेरिका को कोई सफलता हाथ नहीं लगने वाली है।  

Tags: अमेरिकाडोनाल्ड ट्रम्पपीएम मोदीभारत
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