ऐसा प्रतीत होता ही कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपने पुराने फॉर्म में वापस आ गए हैं। हाल ही में उन्होंने 200 से ज़्यादा सरकारी अफसरों को उनकी अकर्मण्यता के लिए न सिर्फ निष्कासित किया है, बल्कि 400 अन्य अफसरों को भी अपने रडार पर रखा है!
सूत्रों के अनुसार योगी आदित्यनाथ दो वरिष्ठ मंत्रियों के कामकाज से बेहद असंतुष्ट हैं, और इसीलिए उनसे संबंधित नौकरशाहों एवं सरकारी अधिकारियों के विरुद्ध कठोरतम कार्रवाई करने का निर्णय लिया है। हिंदुस्तान टाइम्स की एक सूची के अनुसार, 72 विभागों में से 29 विभागों के 201 कर्मचारियों को गुलाबी पर्ची यानि निष्कासन पर्ची थमा दी गयी है।
अन्य 417 कर्मचारियों जिनमें कुछ प्रथम श्रेणी के अधिकारी भी शामिल हैं, जिन्हें या तो निलंबित कर दिया गया है या नौकरी से निकाला जा सकता है। उनमें से अधिकांश पर बुरे प्रदर्शन या भ्रष्टाचार के आरोप हैं। सूची के अनुसार, राज्य के बिजली विभाग में अधिकतम 169 कर्मचारी हैं, जिन्हें निलंबित कर दिया गया है या जिनकी नौकरी जाने का खतरा है।
यूपी के ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने इस निर्णय की पुष्टि करते हुए कहा, “भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ जांच चल रही है। भ्रष्टाचार पर हमारी सरकार की जीरो टॉलरेंस की नीति है।“ एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, “तबादलों में अधिक पारदर्शिता होगी, जो कई बेईमान अधिकारियों के लिए कमाई का एक स्रोत बन गया था, जिनके ऊपर अब कड़ी नजर रखी जा रही है।“
सीएम योगी ने हाल ही में जल निगम की एक बैठक को संबोधित करते हुए कहा, “अच्छे प्रदर्शन करने वाले अधिकारियों को पुरस्कृत किया जाएगा, जबकि प्रदर्शन न करने पर बाहर का दरवाजा भी दिखाया जाएगा। उन्होंने कहा, “उन लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जानी चाहिए जो अपना काम नहीं कर रहे हैं। हम बेईमान अधिकारियों को जेल भेजने में संकोच नहीं करेंगे। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) उनकी संपत्तियों को भी जब्त कर सकता है।“
यह पहली बार नहीं जब योगी आदित्यनाथ ने अकर्मण्य अफसरों के विरुद्ध कठोरतम कारवाई की है। हाल ही में उन्होंने जबरन सेवानिर्वृत्ति के निर्णय पर अपनी मुहर लगाई है, जिसके अंतर्गत भ्रष्ट और अकर्मण्य अफसरों पर कड़ी कार्रवाई करते हुए जबरन रिटायरमेंट (वीआरएस) देने की बात कही थी, जिसका असर नौकरी से निलंबन जैसा ही होगा। इसी निर्णय के अंतर्गत 200 से ज़्यादा अफसरों पर अब तक कारवाई हो चुकी है, और ये प्रक्रिया अभी भी जारी है। इसके अलावा जिनकी गतिविधियां संदिग्ध है उनके खिलाफ मामला दर्ज करने और और उनकी सूची तैयार करने के भी निर्देश दिए हैं।
इसके अलावा योगी आदित्यनाथ ने यूपी सचिवालय को पूरी तरह से ई -ऑफिस बनाने के भी निर्देश दिए थे. लेकिन अधिकारीयों द्वारा को ई-ऑफिस की व्यवस्था को तेज़ गति पूर्ण न करने के लिए फटकार लगाई है। सचिवालय कार्यालय आने में लेटलतीफी करने वाले कर्मचारियों पर नकेल कसने के लिए सचिवालय में बायोमैट्रिक अटेंडेंस व्यवस्था लागू करने के भी निर्देश दे चुके हैं और इसपर काम भी शुरू हो चुका है।
बता दें कि हाल ही में घटित जघन्य अपराधों के कारण सीएम योगी आदित्यनाथ की फायरब्रांड नेता वाली छवि पर प्रश्नचिन्ह खड़े हो गए थे। पहले अलीगढ़ हत्याकांड, और उसके बाद मेरठ में हिन्दू परिवारों के पलायन ने योगी शासन की कार्यशैली को कठघरे में खड़ा कर दिया था। ऐसे में योगी आदित्यनाथ के अकर्मण्य अफसरों को बर्खास्त करने के वर्तमान निर्णय से यह संदेश साफ जाता है कि उनकी फायरब्रांड नेता वाली छवि अभी भी कायम है। और समय आने पर वे भ्रष्ट और अकर्मण्य लोगों के विरुद्ध कारवाई करने से ज़रा भी नहीं झिझकेंगे।