भारत और अफगानिस्तान के आंतरिक मामले में बेवजह हस्तक्षेप करने के बाद विश्व भर में दुलत्ती खा चुका पाकिस्तान सुधरने का नाम नहीं ले रहा है। अब उसने बांग्लादेश के आंतरिक मामलों में भी टांग अड़ाना शुरू कर दिया है। इक्नॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार बांग्लादेश ने पाकिस्तान पर अल खिदमत फाउंडेशन के नाम से चलने वाली संस्था के माध्यम से उसके आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने की कोशिश करने की बात कही है।
पिछले सप्ताह अल खिदमत नाम के इस पाकिस्तानी फंडेड संस्था ने चटगाँव में रोहिंगया शरणार्थियों के लिए एक रैली निकाली थी। रविवार को कॉक्स बाजार के एक शिविर में हुए इस रैली में लगभग 2 लाख से अधिक रोहिंग्याओं ने भाग लिया था। यह बांग्लादेश में हुई अब तक की सबसे बड़ी रोहिंग्याओं की रैली थी। इस संस्था पर पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई द्वारा संचालित किए जाने का आरोप है तथा पहले अलकायदा से भी जुड़े होने का आरोप है।
इस अल खिदमत फाउंडेशन ने कथित तौर पर रैली के आयोजन के लिए धन मुहैया कराया था। इससे जुड़े लोगों ने इक्नॉमिक टाइम्स को बताया कि स्थानीय अधिकारियों ने भी बांग्लादेश में इस संस्था के बढ़ते नेटवर्क की जांच की है।
इस संस्था के जमात-ए-इस्लामी से भी तार जुड़े हुये है जो पहले से ही बांग्लादेश में प्रतिबंधित है तथा इसने दक्षिण पूर्वी एशिया और पश्चिमी एशिया तक पांव पसार रखे हैं। इकोनॉमिक्स टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार जमात-ए-इस्लामी लगातार पाकिस्तान के साथ संबंध बनाए रखे है।
बांग्लादेश के मामलों में पाकिस्तान का हस्तक्षेप कोई नयी बात नहीं है। दरअसल, बांग्लादेश ने 1971 के नरसंहार के गुनाहगार और जमात-ए-इस्लामी के नेता कासिम अली को कुछ समय पहले फांसी पर लटकाया था। इस पर पाकिस्तान ने आपत्ति जताई थी। जिसके बाद बांग्लादेश ने दो टूक शब्दों में सुना दिया कि वह पाकिस्तान की ओर से उसके आतंरिक मसलों में हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं करेगा। बांग्लादेश ने कहा था कि पाकिस्तान न केवल बांग्लादेश के आंतरिक मामलों में दख़ल दे रहा है बल्कि इससे यह भी ज़ाहिर होता है कि वह 1971 की ज़्यादतियों में अपनी भूमिका को अप्रत्यक्ष तौर पर स्वीकार कर रहा है। कुछ समय पहले की ही तो बात है जब पहले बांग्लादेश ने और फिर पाकिस्तान ने एक-दूसरे के देशों में तैनात एक-एक राजनयिक को देश से निकलने के आदेश दे दिए थे। ऐसा पहली बार हुआ था कि पाकिस्तान ने किसी बांग्लादेशी राजनयिक को देश छोड़ने को कहा हो। इससे पहले बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना साल 2015 में जब वे पहली बार प्रधानमंत्री बनी, तब भी बांग्लादेश ने पाकिस्तान के एक राजनयिक मोहम्मद मज़हर ख़ान को तुरंत ढाका छोड़कर जाने को कहा था। उसपर यह आरोप था वह पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई का एजेंट है और बांग्लादेश के चरमपंथी समूहों की मदद कर रहा है।
इस तरह से देखें तो पाकिस्तान अपने आस पास के देशों के आंतरिक मामलों में दखलंदाजी करता रहा है। इस आतंकी देश की अर्थव्यवस्था गर्त में जा रही है तब भी पाकिस्तान अल खिदमत जैसे संस्थाओं को फंड कर दूसरे देशों को अस्थिर करने की कोशिश कर रहा है। भारत के कश्मीर मामलें में हस्तक्षेप की सभी कोशिशें नाकाम हो चुकी है विश्व स्तर पर वह सभी देशों द्वारा नकारा जा चुका है इसके बावजूद बंगलादेश में पाकिस्तान का हस्तक्षेप निंदनीय है।