भारतीय वायु सेना ने अपनी क्षमता में इजाफा करते हुए इजराइल से सॉफ्टवेयर डिफाइंड रेडियो यानि SDR खरीदने का फैसला किया है। इस रेडियो डिवाइस से वायु सेना की प्रमुख लड़ाकू विमान जैसे मिराज 2000 मिग 29, और सुखोई-30 को लैस किया जाएगा। यह SDRs लड़ाकू विमानों और देश के संचालन केन्द्रों से सुरक्षित संचार के लिए उपयोग किया जाएगा। साथ ही यह रेडियो फाइटर विमानों और AWAC यानि एयरबोर्न वार्निंग एंड कंट्रोल सिस्टम के बीच सुरक्षित संवाद स्थापित करने में सहायक होगा।
सॉफ्टवेअर डिफ़ाइंड रेडियो यानि SDR युद्ध की स्थिति के दौरान हवाई क्षेत्र में संचार जाम करने के दुश्मन के प्रयासों से निपटने के लिए आवश्यक सहायता देगा। यदि दुश्मन देश भारतीय वायु सेना विमान के द्वारा उपयोग की जाने वाली फ्रीक्वेंसी को जाम करने की कोशिश करता है, तो भारतीय वायु सेना का विमान इस रेडियो की मदद से तेजी से एक दूसरे फ्रीक्वेंसी पर संचार में कर सकता है। इस रेडियो के जरिए संचार करने वाले पायलटों के बीच होने वाली बातचीत भी सुरक्षित रहेगी। इससे संचालन केन्द्र को दूसरे छोर पर पायलट जो इस संवाद का हिस्सा है उसकी स्थिति का पता चल जाएगा।
बालाकोट एयर स्ट्राइक के बारे में बताते हुए वायु सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “हम जो भी बात कर रहे थे उसे हमारा दुश्मन देश भी सुन सकता था” उन्होंने कहा कि SDR यह सुनिश्चित करेगा कि दुश्मन हमारी बातचीत को न पकड़ पाए और न ही सुन सके। साथ ही डेटा लिंकिंग यह सुनिश्चित करेगा कि कौन सा वायुयान उड़ान भर रहा है। इसलिए, यह स्पष्ट है कि बालाकोट एयर स्ट्राइक के दौरान, भारतीय वायुसेना को सुरक्षित संचार करने में समस्या हुई थी।
लेकिन अब इस समस्या से निपटने के लिए इजरायल के साथ SDR खरीदने का समझौता कर लिया गया है। बालाकोट एयर स्ट्राइक के समय भारतीय वायु सेना ने जैश-ए-मोहम्मद के कई ठिकानों पर हमला किया था। हालांकि संचार में किसी भी प्रकार की चूक ऐसे महत्वपूर्ण मिशन पर घातक साबित हो सकती है जिससे पायलट के जान को भी खतरा हो सकता है।
अगर किसी मिशन के दौरान संचार व्यवस्था सुरक्षित नहीं होगा तो दुश्मन देश किसी भी महत्वपूर्ण बातचीत को सुनकर विमानों का लोकेशन पता कर सकता है और और खुद को बचाने के लिए विमानों पर जवाबी कार्रवाई कर एंटी एयरक्राफ्ट मिसाइल से हमला कर सकता है। अब इस SD रेडियो सिस्टम के विमानों में मौजूद होने से फाइटर पायलट बेहतर तरीके से आपस में संचार कर सकेंगे और दुश्मन को चकमा दे सकेंगे। इससे भारतीय वायु सेना और भी कारगर तरीके से बालकोट जैसे हमले कर पाएगी।
हालांकि वायु सेना अभी सिर्फ 400 SDRs ही खरीद रही है क्योंकि यह अत्यंत आवश्यक है। ऐसे में एक बार जब यह उपकरण भारत आ जाएगा और भारतीय फाइटर जेट इससे लैस हो जाएंगे तो यह निश्चित ही आने वाले समय में भारतीय वायुसेना के लिए गेमचेंजर साबित होगा।