हाल ही में केंद्र सरकार ने अनुच्छेद 370 के उन सभी प्रावधानों को निष्क्रिय कर दिया है, जो जम्मू-कश्मीर राज्य को विशेषाधिकार देते थे। इसके साथ ही केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर राज्य पुनर्गठन विधेयक भी पारित करा लिया है, जिसके तहत लद्दाख एवं जम्मू कश्मीर क्षेत्र अब केंद्र शासित प्रदेश होंगे। इस निर्णय से वर्षों तक जम्मू-कश्मीर पर एकछत्र राज करने वाले मुफ़्ती एवं अब्दुल्ला परिवार सदमे में हैं। रिपोर्ट्स की मानें तो इन दोनों परिवारों पर सरकार शिकंजा कसने की तैयारी में है।
टाइम्स ऑफ इंडिया द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार जम्मू-कश्मीर में लंबे समय से सरकारी आवास पर कब्जा जमाए बैठे पूर्व मुख्यमंत्रियों से उनका सरकारी बंगला वापस लेने की अड़चने भी खत्म हो गई हैं। पूर्व मुख्यमंत्रियों से सरकारी बंगला खाली कराने का आदेश सुप्रीम कोर्ट ने दिया था। सुप्रीम कोर्ट का ये आदेश पहले से ही अन्य राज्यों में लागू है। हालांकि जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा होने की वजह से वहां अब तक ये आदेश लागू नहीं होता था। अब चूंकि अनुच्छेद 370 हट चुका है, और राष्ट्रपति के आदेशानुसार इसके विशेषाधिकार संबन्धित प्रावधानों को निष्क्रिय कर दिया गया है, ऐसे में अब जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्रियों के पास अपने आधिकारिक बंगले खाली करने के अलावा कोई दूसरा उपाय है।
फारूक अब्दुल्ला को छोड़कर नेशनल कॉन्फ्रेंस के उमर अब्दुल्ला, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की महबूबा मुफ्ती सैयद दोनों ने मुख्यमंत्री पद से हटने के बावजूद सरकारी बंगलों में टिके हुए हैं। इनके बंगले श्रीनगर के गुपकार रोड पर स्थित है। हालांकि फारूक अब्दुल्ला भले ही सरकारी बंगले में न रहते हो, लेकिन सरकारी बंगले के एवज में पूर्व मुख्यमंत्री के तौर पर मिलने वाले किराए इन्होंने अवश्य ली हैं। हैरानी की बात है कि, जम्मू-कश्मीर सरकार उनके दावों पर सरकारी बंगला न प्रयोग करने के लिए उन्हें किराया भी देती रही है। हालांकि अब उन्हें भी इसका लाभ नहीं मिलेगा।
ग़ुलाम नबी आज़ाद को छोड़कर लगभग सभी मुख्यमंत्रियों ने अपने बंगलों के पुनर्निर्माण पर अच्छी ख़ासी रकम खर्च की है। सूत्रों की मानें तो उमर अब्दुल्ला एवं महबूबा मुफ़्ती ने संयुक्त रूप से अपने बंगलों के पुनर्निर्माण के लिए करीब 50 करोड़ रूपए से ज़्यादा खर्च किया था। जम्मू-कश्मीर एस्टेट डिपार्टमेन्ट के एक अधिकारी के अनुसार 2009 से 2014 के कार्यकाल में उमर अब्दुल्ला का बंगले के रख-रखाव पर करीब 20 करोड़ रूपए खर्च किए जा चुके हैं। मरम्मत किए गए बंगले में जिम एवं सोना स्पा जैसी आधुनिक सुविधाएं भी हैं।
वहीं नेशनल कॉन्फ्रेंस एवं पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के इन पूर्व मुख्यमंत्रियों के अपने आधिकारिक बंगलों में टिके रहने के पीछे ‘सुरक्षा संबंधी कारणों’ का हवाला दिया है। बंगलों के अलावा इन पूर्व मुख्यमंत्रियों के पास बुलेटप्रूफ़ वाहन, व सेवाओं के लिए एक लंबा चौड़ा स्टाफ भी उपलब्ध है। आखिरकार जिन परिवारों ने जम्मू-कश्मीर को अपनी निजी जागीर समझ ली थी, उन्हे वर्तमान सरकार के प्रशासनिक सुधारों से सबसे ज़्यादा नुकसान हुआ है। जहां एक ओर देश की संप्रभुता और अखंडता और ज़्यादा मजबूत होगी, तो वहीं इस निर्णय से अब्दुल्ला और मुफ़्ती परिवारों को अब काफी कुछ खोना पड़ेगा। खैर, ये सब कर्मों का भोगदंड है।