बीसीसीआई ने एक बार फिर से रवि शास्त्री को भारतीय क्रिकेट टीम का कोच नियुक्त किया है। रवि शास्त्री ने टॉम मूडी और माइक हेसन जैसे दिग्गज खिलाड़ियों को पछाड़ते हुए एक बार फिर भारतीय क्रिकेट टीम के मुख्य कोच के पद पर कब्जा जमाया है, और वे 2021 तक इस पद पर बने रहेंगे।
इस निर्णय की जानकारी सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त की गयी बीसीसीआई की चुनाव कमेटी [सिलेक्शन] के तीन सदस्यों कपिल देव, अंशुमन गायकवाड़ एवं एस रंगस्वामी ने मीडिया को दी है। इसके साथ ही कमेटी ने बताया है कि कोच को चुनने की रेस में कांटे की टक्कर थी। कपिल देव के अनुसार, ‘नंबर 3 पर टॉम मूडी थे, नंबर दो पर माइक हेसन, और नंबर 1 पर आप सब की उम्मीदों के अनुसार, रवि शास्त्री रेस में थे। यह एक बहुत नजदीकी रेस थी’। जब विराट कोहली ने शास्त्री की उम्मीदवारी पर खुलकर समर्थन किया, तो सबको मालूम था कि अगला कोच कौन हो सकता है।
हालांकि, इस निर्णय से हजारों क्रिकेट फ़ैन निराश हुए हैं, और सभी ने अपना आक्रोश सोशल मीडिया पर जमकर दिखाया है –
Every Indian cricket fan reaction pic.twitter.com/PhQA3XaPTN
— 😌 (@Harditch) August 16, 2019
Tell us something we don't already know.
Shastri to continue coaching India.
Aleem Dar and Dharamsena to continue umpiring
WI continue to play T20 on test cricket.
Smith to continue to be the sole breadwinner at Ashes.— G (@here_2_be_aware) August 16, 2019
https://twitter.com/ak1408/status/1162357268773576704
https://twitter.com/adityakumar480/status/1162346928287313920
रवि शास्त्री को कोच के तौर पर फिर से नियक्ति कर बीसीसीआई ने न सिर्फ यह सिद्ध कर दिया है कि भारतीय क्रिकेट की बेहतरी से उसे कोई लेना देना नहीं है, अपितु इस फैसले से उसने टीम में चल रही गुटबाज़ी को और हवा दी है। मीडिया की रिपोर्ट्स की माने, तो विश्व कप के बाद भारतीय टीम दो गुटों में बंट गयी है – एक गुट विराट कोहली का समर्थक है तो दूसरा, गुट रोहित शर्मा के समर्थन में है। ऐसे में बीसीसीआई ने रवि शास्त्री को इतने विवादों के बाद भी कोच के तौर पर फिर से नियुक्त करने का जो निर्णय लिया है वो निराशाजनक है। रवि शास्त्री की पुनर्नियुक्ति के साथ ही भविष्य में रोहित शर्मा को भारतीय टीम का कप्तान बनाने की उम्मीदों पर भी पानी फिर गया है, क्योंकि शास्त्री के लिए विराट से बेहतर कोई नहीं भले ही भले ही रोहित शर्मा विराट से बेहतर कप्तान क्यों न हो और हम आईपीएल में ऐसा देख भी चुके हैं। स्पष्ट है भारतीय क्रिकेट का भविष्य खतरे में है ।
अब सवाल यह है कि आखिर रवि शास्त्री के मुख्य कोच के तौर पर पुनर्नियुक्ति को भारतीय क्रिकेट के लिए खतरे की घंटी क्यों मानी जा रही है? इसके लिए हमें जाना होगा कुछ साल पीछे, जब 2017 में आईसीसी चैंपियन्स ट्रॉफी के फ़ाइनल में पाकिस्तान के हाथों करारी हार के बाद कप्तान विराट कोहली के कहने पर तत्कालीन कोच और पूर्व भारतीय कप्तान अनिल कुंबले को त्यागपत्र देने के लिए बाध्य किया गया था।
उनके स्थान पर तत्कालीन डायरेक्टर रवि शास्त्री को 2019 तक मुख्य कोच का पदभार सौंपा गया था। आंकड़ों के हिसाब से देखा जाये, तो रवि शास्त्री इतने बुरे कोच भी नहीं थे। उनके नेतृत्व में भारतीय क्रिकेट टीम ने 21 में से 13 टेस्ट, 60 में से 43 ODI और 36 में से 25 टी20 मैच जीते हैं। तो फिर समस्या किधर है?
समस्या है रवि शास्त्री के मैदान के बाहर और मैदान पर स्वभाव में। रवि शास्त्री अपनी उम्दा कोचिंग के लिए कम, और विवादों में पड़ने के लिए ज़्यादा जाने जाते हैं। अक्सर उन्हें दर्शकों ने कई मैचों के दौरान नशे में धुत पाया है, उनके ऊपर सोशल मीडिया पर कई जोक्स और मीम भी शेयर होते रहे हैं। भारत-ऑस्ट्रेलिया टेस्ट सीरीज में भारतीय टीम ने ऐतिहासिक जीत दर्ज किया था इस जीत पर रवि शास्त्री ने विवादित बयान दिया था।
इसके अलावा रवि शास्त्री पर क्रिकेट के फैंस आईसीसी विश्व कप 2019 के तैयारियों के प्रति लचर रवैया अपनाने का भी आरोप लगा चुके हैं, जिसके कारण भारत को सेमीफ़ाइनल में न्यूज़ीलैंड के खिलाफ हार का सामना करना पड़ा था। जो व्यक्ति अपने व्यवहार को न नियंत्रित कर पाये, वो भला टीम को उचित मार्गदर्शन कैसे दे सकता है?
ऐसे में नए कोच की नियुक्ति के दौरान सभी क्रिकेट प्रेमियों को अपेक्षा थी कि रवि शास्त्री को हटाकर न केवल एक नया कोच नियुक्त किया जाएगा, अपितु भारतीय क्रिकेट टीम के कुशल नेतृत्व को भी उचित मार्गदर्शन मिलेगा। परंतु बीसीसीआई ने कुशल नेतृत्व और कप्तान के यार के बीच में कप्तान के यार को चुनकर एक बहुत ही गलत धारणा स्थापित किया है। इससे भारतीय क्रिकेट का भविष्य भी अंधकारमाय नजर आ रहा है।