हमने अंबानी और अडानी का नाम अभी तक साथ-साथ सुना था। शायद ही किसी क्षेत्र में यह दोनों एक दूसरे के प्रतिद्वंद्वी नजर आये हों, लेकिन अब इन दोनों के बीच एक क्षेत्र में कड़ी स्पर्धा देखने को मिल सकती है। और यह क्षेत्र है भारत का डेटा सेंटर बाजार, जहां दोनों कंपनी अडानी ग्रुप और रिलायंस इंडस्ट्रीज अलग-अलग कारणों से एक ही प्रकार के ग्राहकों को लुभाने की कोशिश करने वाले हैं। अडानी और अंबानी के बीच डेटा क्षेत्र में इस प्रतियोगिता से भारत में डेटा स्थानीयकरण (Data Localisation) क्षेत्र में भी क्रांति आने की उम्मीद है।
दरअसल, कोयला व्यापार, कोयला खनन, तथा बिजली निर्माण में देश की सबसे प्रमुख कंपनी अडानी ग्रुप अब डेटा क्षेत्र में निवेश करने पर गहन विचार कर रही है। जब से भारत सरकार देश में ही डेटा स्टोरेज सुनिश्चित करने के लिए नया कानून बनाने की संभावनाएं तलाश कर रही है, तब से गौतम अडानी के स्वामित्व वाली अडानी ग्रुप ने आंध्र प्रदेश में कई डेटा सेंटर पार्क बनाने की संभावनाओं पर विचार करना शुरू कर दिया। माना जा रहा है कि ये ग्रुप आने वाले समय में इस बिजनेस में 70 हजार करोड़ रुपए का निवेश करेगा। अडानी ने एक इंटरव्यू में कहा था कि यदि प्रस्तावित कानून बन जाता है तो ‘इससे डेटा स्टोरेज की जरूरत बढ़ जाएगी और इसके लिए कैपेसिटी की जरूरत होगी। यह अरबों डॉलर का प्रोजेक्ट होगा और इससे गूगल-अमेजन जैसी कंपनियां भी जुड़ेंगी।
बता दें कि इस वर्ष जनवरी में अडानी समूह ने आंध्र प्रदेश सरकार के साथ बंदरगाह शहर विशाखापट्टनम में 70,000 करोड़ रुपये के भारी भरकम निवेश से डेटा सेंटर पार्क की स्थापना के लिए एमओयू साइन किया था। कंपनी ने कहा कि डेटा सेंटर पार्को की क्षमता पांच गीगावॉट तक होगी और यह पूरी तरह अक्षय ऊर्जा से संचालित होगा।
वहीं, दूसरी ओर मुकेश अंबानी की अगुवाई वाली रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड भी डेटा सेक्टर में क्रांति लाने की योजना बना चुकी है। पिछले महीने अगस्त में रिलायंस इंडस्ट्रीज ने अमेरिकी आईटी दिग्गज माइक्रोसॉफ्ट के साथ मिलकर देश भर में डेटा सेंटर बनाने का फैसला किया है। अंबानी ने मीटिंग के दौरान कहा था कि, मैं इस बात की घोषणा करते हुए गर्वान्वित महसूस कर रहा हूं कि Jio और Microsoft ने एक यूनिक ग्लोबली लॉन्ग टर्म प्लान बनाया है, जिसमें देश को डिजिटल रूप से ट्रांसफॉर्म किया जाएगा। इस नई पार्टनरशिप के तहत Reliance वर्ल्ड क्लास डेटा सेंटर नेटवर्क सेटअप करेगा जो Microsoft Azure क्लाउड प्लेटफॉर्म के साथ काम करेगा”। स्पष्ट है, डेटा स्टोरेज की दौड़ भारत में यह व्यापारियों के लिए एक नया आकर्षण का केंद्र बनने जा रहा है। अगले पांच वर्षों में डेटा बाजार 5.6 बिलियन डॉलर तक बढ़ने की उम्मीद है।
इससे पहले तक इन दोनों कंपनियों के बीच इस तरह की बड़ी स्पर्धा देखने को नहीं मिली थी। अडानी ग्रुप ने पेट्रोकेमिकल्स, प्राकृतिक गैस और पेट्रोलियम रिटेलिंग जैसे व्यवसायों में कदम रखा है जहां रिलायंस इंडस्ट्रीज एक स्थापित कंपनी है। डेटा सेंटर इन दोनों ही कंपनियों के लिए एक बड़ा क्षेत्र होगा। बिजनेस स्टैंडर्ड के अनुसार अडानी और अंबानी भले ही प्रतिस्पर्धा में उतर सकते हैं लेकिन यह एक स्वस्थ प्रतिस्पर्धा हो सकती है। डेटा सेक्टर को यह दोनो बड़ी कंपनियां व्यवस्थित करने में मदद करेंगी। इससे अंतरराष्ट्रीय निवेशकों को आकर्षित करने में मदद मिल सकती है।
स्मार्ट फोन और इंटरनेट डेटा के लिए भारत में बढ़ती मांगों को देख कर वैश्विक आईटी कंपनियों ने बड़ा दांव लगाया है। और डेटा स्थानीयकरण पर सरकार के कड़े रुख को देखते हुए, यदि सरकार Personal Data Protection Bill के साथ आगे बढ़ती है तो इन फर्मों को भारत में डेटा स्टोर करने की आवश्यकता होगी। इसी वजह से ये दोनों ही भारतीय बिजनेस टाइकून, गौतम अडानी और मुकेश अंबानी इस अवसर का भरपूर लाभ उठाना चाहते हैं।
सरकार देश में अनिवार्य डेटा स्टोरेज के लिए वर्ष 2018 में पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल का मसौदा तैयार कर चुकी है। मोदी सरकार का विचार है कि लोगों की गोपनीयता को बनाए रखा जाना चाहिए और उनके व्यक्तिगत डेटा को अपने ही देश में स्टोर किया जाना चाहिए। इस वजह से मोदी सरकार को ट्रम्प प्रशासन सहित वैश्विक कंपनियों और विदेशी सरकारों का विरोध का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि, राष्ट्रीय हित के लिए मोदी सरकार डेटा संप्रभुता यानि data sovereignty के अपने फैसले पर बहुत सख्त है।
डेटा स्थानीयकरण किसी भी व्यक्ति की गोपनीयता की सुरक्षा और भारत की डेटा संप्रभुता को बनाए रखने के लिए फायदेमंद होगा। मुकेश अंबानी और गौतम अडानी द्वारा डेटा स्टोरेज क्षेत्र में निवेश से अमेरिका के गूगल और ऐमज़ॉन जैसी कंपनियों की रातों की नींद हराम हो सकती है। मुकेश अंबानी और गौतम अडानी के इस क्षेत्र में आने से विदेशी कंपनियाँ competition से बाहर हो जायेंगी।