भारत पिछले कुछ सालों में अपनी शानदार कूटनीति के दम पर पाकिस्तान को पूरी दुनिया में अलग-थलग करने में सफल रहा है। हालांकि, इसके बावजूद पाकिस्तान के ऑल वैदर फ्रेंड माने जाने वाले चीन ने सभी अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर उसका साथ ही दिया है। इतना ही नहीं, चीन पाकिस्तान को सैन्य हथियार और बड़ी मात्रा में लोन भी प्रदान करता आया है। हालांकि, चीन और पाकिस्तान के बीच मजबूत रिश्तों ने हमेशा ही भारत को चिंतित किया है। चीन का पाकिस्तान से ज़्यादा हित भारत के साथ रिश्ते सुधारने में हैं। भारत के साथ चीन का व्यापार पाकिस्तान के मुक़ाबले कई गुणा ज़्यादा है। इतना ही नहीं, भारत का बाज़ार भी पाकिस्तान की तुलना में कम से कम 10 गुणा बड़ा है, फिर भी अब तक चीन पाकिस्तान के लिए भारत के हितों को नज़रअंदाज़ करने में पीछे नहीं रहा है। हालांकि, मोदी सरकार के नेतृत्व में अब पहली बार भारत अपने रुख में बड़ा बदलाव करने के संकेत देता दिखाई दे रहा है।
दरअसल, अब भारत ने चीन को कहा है कि अगर वह लगातार आतंक को समर्थन दे रहे देशों की मदद करता रहेगा तो उससे भारत के ग्राहक नाराज़ हो सकते हैं जो बड़ी मात्रा में चीन में बने सामान का इस्तेमाल करते हैं। यानि भारत ने इशारों ही इशारों में चीन को यह साफ कर दिया है कि अगर उसने पाकिस्तान का साथ देना नहीं छोड़ा तो भारत के बाज़ार में चीनी सामान की बिक्री में बड़ी गिरावट देखने को मिल सकती है और आखिर में इसका खामियाजा चीन को ही भुगतना पड़ेगा। भारत ने चीन को यह भी स्पष्ट किया है कि चीन द्वारा लगातार पाकिस्तान का समर्थन करने की वजह से भारत के ग्राहकों को गलत संदेश जा रहा है।
बता दें कि पिछले वर्ष भारत और चीन का द्विपक्षीय व्यापार 74 अरब डॉलर पहुंच गया था, हालांकि द्विपक्षीय व्यापार का झुकाव ज़्यादातर चीन के पक्ष में ही रहा है। पिछले वर्ष चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा लगभग 27 अरब डॉलर तक पहुंच गया था। यानि जहां भारत से चीन हर साल करोड़ों अरबों रुपये कमाता है तो वहीं चीन हर साल इसी पैसे को पाकिस्तान की ओर मोड़कर भारत के हितों के खिलाफ एक्शन लेता है। चीन भारत की चिंताओं की परवाह किए बिना पीओके में निवेश जारी रखता है और पाकिस्तान को सैन्य हथियार भी एक्सपोर्ट करता है जिनके दम पर बाद में पाकिस्तान भारत को ही आंखें दिखाने की हिम्मत भी करता है। अब भारत ने चीन को यह साफ संकेत दे दिये हैं कि अगर पाकिस्तान प्रेम में वह ऐसे ही भारत के हितों के खिलाफ काम करता रहा तो उसे इसके भयंकर परिणाम भुगतने होंगे।
बता दें कि अगस्त महीने की 26 तारीख को चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के निमंत्रण पर भाजपा की 11 सदस्यीय टीम ने चीन का दौरा किया था और उस दौरान भारत ने चीन के साथ अपनी चिंताओं को साझा किया था। अब यह चीन के ऊपर है कि या तो वह भारत के साथ अपने रिश्तों को मजबूत करके एक बड़ी अर्थव्यवस्था के साथ व्यापार करे, या पाकिस्तान के साथ अपने रिश्तों को बढ़ाकर भारत की चिंताओं को बढ़ाए जो बिलकुल भी चीन के आर्थिक हित में नहीं है।