देश में डिजिटल क्रांति का दौर है और ऐसे में आज हर किसी के पास हाथ में फोन और इन्टरनेट है। जब इन्टरनेट का आविष्कार किया गया था तो इसका मकसद जानकारी के आदान प्रदान को सुगम करना था। हालांकि, आज इसी इन्टरनेट की मदद से दुनिभार में किए जाने वाले अपराधों की संख्या बढ़ रही है। लोग सोशल मीडिया पर फेक अकाउंट बनाकर कहीं वित्तीय घोटालो को अंजाम दे रहे हैं, तो कुछ इनके जरिये अपराधिक गतिविधि को अंजाम देने की साजिश रची जा रही है। ऐसा ही हमें हिन्दू महासभा के पूर्व अध्यक्ष और हिन्दू समाज पार्टी के अध्यक्ष कमलेश तिवारी की हत्या के मामले में भी देखने को मिला। सूरत में रहने वाले हत्यारों ने अपने असली धर्म को छुपाकर हिन्दू नाम से फेसबुक पर आईडी बनाई और वह हिन्दू समाज पार्टी के नेताओं के संपर्क में आया। इस मामले ने एक बार फिर से हम सबके सामने सोशल मीडिया की उस काली तस्वीर को पेश किया है जिसे अक्सर हम नहीं देख पाते।
इसी महीने की 18 तारीख को कमलेश तिवारी की गला रेतकर हत्या की गयी थी अब इस मामले में हर रोज़ नए खुलासे हो रहे हैं। पुलिस ने खुलासा किया है कि सूरत में रहने वाले एक हत्यारे ने फेसबुक पर नाम बदलकर रोहित सोलंकी के नाम से अपना अकाउंट बनाया था, जबकि उसका असली नाम अशफाक़ था। अपनी नकली आईडी के जरीये ही वह कमलेश तिवारी और पार्टी के अन्य नेताओं के संपर्क में आया था। इस आईडी पर हिन्दू समाज पार्टी के 421 अन्य लोग भी जुड़े हुए थे। उसने अपने टाइमलाइन पर नाथूरम गोडसे की फोटो भी अपलोड की हुई थी और वह बढ़-चढ़कर पार्टी के कार्यक्रमों में हिस्सा लेता था, ताकि उसपर किसी को शक न हो।
इतना ही नहीं, वह हिन्दू समाज पार्टी के गुजरात प्रदेश अध्यक्ष जैमिनी बापू के भी काफी करीब आ गया था। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक जैमिनी बापू के जरिये ही वह कमलेश तिवारी तक पहुंचा। जैमिनी बापू ने ही पार्टी के अन्य पदाधिकारियों को इस बात की जानकारी दी थी कि रोहित सोलंकी उनसे मिलने उनके आवास पर आ रहा है। इसके बाद 18 अक्टूबर को हत्यारे अशफाक़ ने इस घटना को अंजाम दे दिया। इससे पहले 17 अक्टूबर को वे आसपास के ही एक होटल में ठहरे थे और बाद में पुलिस को यहीं से इस बात का पता लगा कि हत्यारा असल में कौन था। पुलिस के मुताबिक आरोपी सूरत से लखनऊ आने के बाद लालबाग के होटल खालसा इन’ में रुके थे। होटल में दोनों युवकों ने आईडी के तौर पर अपना आधार कार्ड दिया था। आधार कार्ड से हत्यारों की पहचान सूरत निवासी शेख अशफाक हुसैन और पठान मोइनुद्दीन अहमद के रूप में हुई।
इस घटना से एक बार फिर यह साफ हो गया है कि अगर सोशल मीडिया के जरिये जुड़ने वाले लोगों को लेकर ज़रा भी सावधानी न बरती जाये, तो इसके घातक परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। सोशल मीडिया पर लोग बड़ी आसानी से अपनी पहचान छुपाकर आपके बेहद नजदीक आ सकते हैं और आपको नुकसान पहुंचाकर नौ-दो ग्यारह हो सकते हैं और जब तक आप कुछ समझ पाते हैं, तब तक बहुर देर हो चुकी होती है। कमलेश तिवारी हत्या मामले में अगर किसी भी व्यक्ति ने रोहित सोलंकी के सरकारी दस्तावेजों या उसकी पृष्टभूमि के बारे में जानने की कोशिश की होती, तो उन हत्यारों का खुलासा पहले ही हो जाता। फेसबुक पर आपका सबसे बड़ा दुश्मन या आपके परिवार का दुश्मन नाम और पहचान बदलकर आपका दोस्त बन सकता है, और आपको इस बात की कोई जानकारी भी नहीं मिलेगी। इसलिए हमें अपनी सोशल लाइफ को लेकर सतर्क रहने की आवश्यकता है, ताकि फिर कोई अशफाक़ रोहित सोलंकी बनकर आपका दोस्त ना बन पाये और आप उस के बुरे मंसूबों से बचकर रह सकें।