लोकसभा चुनावों में हार के बाद से ही कांग्रेस पार्टी एक कुंठित पार्टी की तरह बर्ताव करती नज़र आ रही है। पार्टी में किसी मुद्दे पर ना तो एक राय बन पा रही है और ना ही पार्टी के नेता पार्टी की आधिकारिक लाइन के मुताबिक बयान दे रहे हैं। ऐसा हमें अनुच्छेद 370 के मुद्दे पर देखने को मिला था। जहां कांग्रेस पार्टी के आलाकमान ने भारत सरकार के इस निर्णय का विरोध किया, वहीं कांग्रेस के स्थानीय नेताओं ने सरकार के इस फैसले का समर्थन किया। इसी समस्या से निपटने के लिए अब कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पार्टी का थिंक टैंक बनाने का निर्णय लिया है। इस थिंक टैंक में 21 लोगों को शामिल किया गया है जहां ये सभी लोग महत्वपूर्ण मुद्दों पर पार्टी के अंदर एकराय बनाने पर विचार करेंगे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ये कमेटी महीने में एक बार बैठक करेगी जिससे हर मुद्दे पर विचार विमर्श किया जाए और उसके मुताबिक पार्टी की लाइन तय हो सके।
पार्टी को बुरे दौरे से बाहर निकालने और बदले राजनीतिक परिदृश्य में महत्वपूर्ण मुद्दों, फैसलों पर वरिष्ठ नेताओं के दिमाग और सलाह पर पार्टी आगे बढ़ेगी। इस ग्रुप की पहली बैठक 25 अक्टूबर को सुबह बुलाई गई है। साथ ही यह थिंक टैंक सरकार पर हमला बोलने के लिए एनआरसी और अर्थव्यवस्था जैस मुद्दों का सही से उपयोग करने की योजना पर भी काम करेगी। इस विशेष समिति में सोनिया गांधी के साथ मनमोहन सिंह, राहुल गांधी, अहमद पटेल, केसी। वेणुगोपाल, मल्लिकार्जुन खरगे, गुलाम नबी आजाद, एके। एंटनी, कपिल सिब्बल, आनंद शर्मा, जयराम रमेश के अलावा युवा नेताओं में ज्योतिरादित्य सिंधिया, रणदीप सुरजेवाला, सुष्मिता देव, राजीव सातव जैसे नेताओं को जगह मिली है। ये सभी नेता देश के महत्वपूर्ण मुद्दों पर पार्टी की राय रखेंगे जिससे भविष्य में पार्टी को फजीहत का सामना न करना पड़े।
गौरतलब है कि जनता के हितों से जुड़े मुद्दों जैसे राम मंदिर, यूनिफार्म सिविल कोड, राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (NRC) और आर्थिक मुद्दों पर कांग्रेस पार्टी स्पष्ट तरीके से पार्टी की लाइन को जनता के समक्ष नहीं रख सकी है। वहीं, कई अहम मुद्दों पर कांग्रेस के नेताओं के बयानों ने ही पार्टी को नुकसान ही पहुंचाया है।
कांग्रेस अपने नेताओं के विवादित बयानों और पार्टी के नेताओं में एकराय ना होने की वजह से अक्सर सुर्खियों में रहती है। उदाहरण के तौर पर राज्यसभा में विपक्ष नेता गुलाम नबी आजाद और पूर्व गृहमंत्री पी। चिदंबरम ने पुरजोर तरीके से जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने का विरोध किया था, तो वहीं ज्योतिरादित्य सिंधिया और दीपेन्द्र हुड्डा जैसे क्षेत्रीय नेताओं ने सरकार के इस फैसले का समर्थन किया था। इसके अलावा पार्टी के दिग्विजय सिंह जैसे नेता भी कई मौकों पर अपने विवादित बयानों से पार्टी की फजीहत करवाते रहते हैं। उदाहरण के तौर पर लोकसभा चुनावों के बाद दिग्विजय सिंह ने कहा था कि ‘पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने इस्लामोफोबिया और कट्टरता का जिक्र किया था, हिंदुओं की भी कट्टरता भी मुस्लिमों की कट्टरता की तरह ही खतरनाक है’।
इस बयान के कारण कांग्रेस को शर्मनाक स्थिति का सामना करना पड़ा था। वहीं मणिशंकर भी पार्टी की फजीहत करवाने में कभी पीछे नहीं रहे। ऐसे में कांग्रेस पार्टी ने इन नेताओं को इस तरह के बयान देने से बचने की सलाह दी है ताकि पार्टी को भविष्य में असहजता की स्थिति का सामना न करना पड़े। अब सोनिया गांधी कि ये रणनीति भविष्य में पार्टी के लिए कितनी सफल साबित होगी देखना दिलचस्प होगा।