केंद्र सरकार किसानों की प्रगति हेतु निरंतर प्रयास कर रही है। किसानों की समस्याओं को देखते हुए केंद्र में मोदी सरकार ने एक अहम फैसला लिया है। दरअसल, मोदी सरकार ने किसानों का एक बड़ा डेटाबैंक तैयार करने की ठानी है, जो 2020 तक बनकर तैयार हो सकती है।
इस योजना के अंतर्गत देश के लगभग 11.5 करोड़ से ज़्यादा किसान परिवारों से स्पष्ट संपर्क स्थापित किया जा सकेगा। योजना के सफल होने की स्थिति में जून 2020 तक केन्द्र सरकार के पास देश के किसानों का एक बड़ा डाटा बैंक (Data Bank) होगा। इसके लिए केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय में सचिव संजय अग्रवाल की अगुवाई में एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया है, जहां कृषि मंत्रालय एवं IT मंत्रालय और उसके नेशनल ई-गवर्नेंस डिवीजन यानी NEGD के साथ मिलकर इस पर काम कर रही है और PMO ने तय समयसीमा के तहत डाटा संकलन की इस बड़ी परियोजना को पूरा करने की कोशिश करने को कहा है।
इस डाटाबेस के गठन से देश के छोटे और सीमांत किसानों के जीवन में एक बड़ा बदलाव आनेवाला है। मिट्टी की जांच हो या बाढ़ की चेतावनी, सैटेलाइट से प्राप्त तस्वीरों से लेकर जमीन का राजस्व रिकॉर्ड जैसी तमाम सूचनाएं किसानों को घर बैठे ही मिल जाएंगी। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, ‘अगले छह महीने में एक बार डाटाबेस बन जाने के बाद किसान बाजार की तमाम सूचनाएं ले सकेंगे. वास्तव में ग्रामीण क्षेत्र में यह एक गेम चेंजर साबित होने जा रहा है।’
उन्होंने आगे बताया, “कार्य कृषि सचिव के अलावा आधार कार्ड योजना को अमलीजामा पहनाने वाले पूर्व सूचना प्रौद्योगिकी सचिव जे. सत्यनारायण और कई आईटी विशेषज्ञों की देखरेख में यह काम चल रहा है”।
दरअसल, इस व्यापक डेटा संकलन की प्रेरणा प्रधानमंत्री मोदी की अति महत्वपूर्ण योजना पीएम-किसान सम्मान निधि से मिली है। फरवरी में बजट के समय घोषणा की गयी थी कि इस निर्णय के अंतर्गत देश के अनेक किसानों को प्रतिवर्ष 6000 रुपये की निश्चित सहायता प्रदान की जाएगी। अब तक देश के 7.20 करोड़ किसानों को पीएम-किसान योजना का लाभ मिलने लगा है। केवल उत्तर प्रदेश से ही इस डेटा बैंक में 2.10 करोड़ किसान शामिल हो गए हैं।
इस डेटाबैंक के क्रियान्वयन से मोदी सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि किसानों के विकास को लेकर वे कितने प्रतिबद्ध हैं। इस डेटाबैंक के दो सबसे बड़े लाभ होंगे – किसानों को सीधा लाभ पहुंचाने में सरकार को और आसानी होगी, जबकि किसानों के नाम पर धोखाधड़ी करने वाले अवसरवादी लोगों पर भी नकेल कसी जाएगी।
इसके अलावा केंद्र सरकार ने किसानों के लाभ हेतु कई अन्य योजनाओं की घोषणा भी की है। इस वर्ष के बजट में दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देने के साथ-साथ सरकार जीरो बजट फॉर्मिंग की ओर बढ़ रही है। कुछ राज्यों ने इसे लागू भी किया है और कुछ राज्यों के किसानों को इसके लिए ट्रेनिंग भी दी गई है। बता दें कि सरकार वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुना करने की दिशा में पहले ही काम कर रही है।
यही नहीं, सरकार ने 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए जारी अपने संकल्प पत्र में ये भी कहा था कि 1 से 5 वर्ष के लिए शून्य प्रतिशत ब्याज पर एक लाख रुपये तक के नए अल्पावधि कृषि ऋण मूल राशि के समय पर भुगतान की शर्त प्रदान करेंगे। देश के अनेकों छोटे और सीमांत किसानों के लिए पेंशन योजना आरंभ करेंगे जिससे की 60 वर्ष आयु के बाद उनकी सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित हो सके। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि किसानों के लिए डेटाबैंक का मार्ग प्रशस्त कर केंद्र सरकार ने देश में भ्रष्टाचार के रोकथाम के लिए एक सार्थक प्रयास किया है।