देश में किए गए छोटे-से-छोटे और बड़े-से-बड़े कार्यों का श्रेय लेने में कांग्रेस कभी पीछे नहीं हटती, भले ही वह कदम कांग्रेस के कार्यकाल में असफल रहा हो और मोदी सरकार के बदले दृष्टिकोण से सफल हो गया हो। चंद्रयान से लेकर मंगल यान तक और सरदार सरोवर डैम से लेकर जीएसटी तक कांग्रेस श्रेय लेने के लिए छटपटाती रहती है। इस बार कांग्रेस के सिर पर अनुच्छेद 370 चढ़ा है और इसका सेहरा अपने सिर पर बांधना चाहती है। हास्यास्पद बात यह है कि अनुच्छेद 370 को संसद से पास न करवा, राष्ट्रपति से प्रेसीडेंशियल ऑर्डर से इस अनुच्छेद को संविधान में जोड़ने वाली भी कांग्रेस ही थी।
कांग्रेस ने रविवार को दावा किया कि उसने बिना किसी विवाद के 12 बार जम्मू—कश्मीर से संबंधित अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को डाईल्युट किया था। उत्तराखंड स्थित देहरादून में एक प्रेस वार्ता के दौरान कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा, ‘एक बार नहीं, दो बार नहीं, कांग्रेस पार्टी ने 12 बार अनुच्छेद 370 को डाईल्युट किया। लेकिन एक बार भी विवाद पैदा नहीं होने दिया।’
कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि अनुच्छेद 370 पर उनकी पार्टी का रुख कतई नहीं बदला है, लेकिन हम भाजपा सरकार द्वारा उसे खत्म करने के तरीके पर प्रश्नचिन्ह लगा रहे हैं क्योंकि हमें उनके तरीके पर आपत्ति है। खेड़ा ने भाजपा पर इसी तरह, जीएसटी को सही तरीके से लागू न किये जाने का आरोप लगाया और कहा कि छोटा व्यापारी, उत्पादनकर्ता और किसान सब तबाही की कगार पर खड़े हैं।
यह विडम्बना ही है कि अनुछेद 370 लाने वाली कांग्रेस अब खुद को उसे कमजोर करने या इसे खत्म करने में सहायक के तौर पर पेश करना चाहती है। अब यह कांग्रेस को कौन बताए कि इस तरह से किसी भी स्कीम को लाने या हटाने का प्रभाव जमीनी स्तर पर भी दिखना चाहिए। कांग्रेस जब यह दावा करती है कि उसने अनुच्छेद 370 को कमजोर किया तो कभी उसका असर कश्मीर में क्यों नहीं दिखा? लोग मरते रहे, सेना को नुकसान होता रहा, कश्मीर घाटी जलती रही और पाक से आतंकी आते रहे लेकिन कोई कारवाई नहीं हुई।
अनुच्छेद 370 के वजह से ही लोकतंत्र कभी भी जम्मू-कश्मीर में जड़ें जमा नहीं पाया। भ्रष्टाचार, व्यापक गरीबी ने ऐसी जड़ें जमा लीं कि किसी भी प्रकार का सामाजिक-आर्थिक बुनियादी ढांचा तैयार नहीं हो सका। यह आतंकवाद का मूल कारण है। आखिर जब कांग्रेस यह दावा कर रही है कि उसने अनुच्छेद 370 को कमजोर किया, तो उसे यह जवाब देना चाहिए कि 5 अगस्त के पहले तक जम्मू और कश्मीर के लोगों से लोकतांत्रिक अधिकारों को छीनने के लिए कौन जिम्मेदार है जो भारत के अन्य नागरिकों के लिए उपलब्ध थे?
जब भी कोई योजना सफल होती है तो उसका क्रेडिट लेना कांग्रेस की पुरानी आदत रही है। यहाँ भी कांग्रेस के इस बयान को सुनकर किसी को कोई हैरानी नहीं होनी चाहिए।
जब भारत ने एंटी सैटेलाइट मिसाइल को सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया, जिसे ‘मिशन शक्ति’ भी कहा जाता है, तो उसमें भी कांग्रेस श्रेय लूटने के लिए आगे आ गई थी। कांग्रेस नेता अहमद पटेल ने तब कहा था, ‘’यूपीए सरकार ने ही ASAT प्रोग्राम की शुरुआत की थी, जो आज सफल हुआ है। मैं भारत के वैज्ञानिकों और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व को बधाई देता हूं।’’ ऐसे में पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली ने पलटवार करते हुये कहा, “जो आज अपनी पीठ थपथपाते हुए थक नहीं रहे हैं, वो याद रखें कि एंटि सैटिलाइट मिसाइलों को हमारे वैज्ञानिक बहुत पहले ही बना देते, परंतु आप ही की सरकार ने स्वीकृति देने से मना कर दिया।“
इसी तरह कांग्रेस ने जीएसटी के उद्घाटन पर भी उसका श्रेय लूटने का प्रयास किया था, जबकि जीएसटी का वास्तविक स्वरूप तो अटल बिहारी वाजपेयी ने ही 2001 में निर्मित किया था। हालांकि, जिस जीएसटी को कांग्रेस लाना चाहती थी, वो उस विदेशी मॉडेल के तर्ज़ पर था, जो हाल ही में मलेशिया में पहले ही फ़ेल हो गया। अब नम्बी नारायणन वाले प्रकरण के बारे में जितना कम बोले, उतना ही अच्छा। ये तो कुछ ही उदाहरण है जहां कांग्रेस पार्टी ने श्रेय लूटने के प्रयास किये हैं। कांग्रेस पार्टी के नेताओं ने भले ही ऐसी कई योजनाओं, सेना के पराक्रमों आदि का श्रेय लूटने में कोई कसर न छोड़ी हो, परंतु उनके राज में हुए कई भ्रष्टाचार के मामलों और झूठे आरोपों को बढ़ावा देने की ज़िम्मेदारी इनके किसी भी नेता ने नहीं ली। कांग्रेस को यह भी इसी उत्साह से आगे आकर स्वीकार करना चाहिए।