चीफ़ जस्टिस रंजन गोगोई का कल यानि 17 नवंबर को CJI के तौर पर आखिरी दिन होगा, और फिर जस्टिस एसए बोबड़े उनकी जगह ले लेंगे। रंजन गोगोई का कार्यकाल बेशक कल खत्म होने वाला हो, लेकिन अपने 13 महीने के कार्यकाल में उन्होंने ऐसे कई फैसले सुनाये हैं, जिसकी वजह से उन्हें आज के बाद आने वाली कई पीढ़ियां याद रखेंगी। अपने कार्यकाल में उन्होंने जितने भी बड़े फैसले सुनाये हैं, उनमें सबसे बड़ा फैसला अयोध्या मामले पर दिया गया कोर्ट का आदेश था, जिसके मुताबिक विवादित ज़मीन को हिन्दू पक्ष को सौंप दिया गया है। कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर बड़ी ही संवेदनशीलता के साथ फैसला सुनाकर उन्होंने ना सिर्फ लोगों को न्याय दिलवाने का काम किया, बल्कि न्यायपालिका पर जनता के विश्वास को और मजबूत भी किया। आइए एक नज़र डालते हैं रंजन गोगोई द्वारा दिये गए कुछ अहम फैसलों की, जिनका प्रभाव सिर्फ कुछ महीनों या सालों तक नहीं, बल्कि कई सदियों तक रहने वाला है।
1) राम मंदिर फैसला : अयोध्या केस में चीफ जस्टिस के रूप में रंजन गोगोई और उनकी बेंच ने 9 नवंबर को बड़ा फैसला सुनाते हुए विवादित जमीन रामलला को देते हुए मस्जिद के लिए 5 एकड़ जमीन कहीं और देने के आदेश दिए थे। साथ ही बेंच ने सरकार को निर्देश देते हुए मंदिर बनाने के लिए तीन महीने में ट्रस्ट का गठन करने के निर्देश दिए थे। यह देश के सबसे पुराने मामलों में सबसे बड़ा फैसला था।
2) सबरीमाला: राम मंदिर के अलावा सबरीमाला मुद्दा भी हिंदुओं के लिए आस्था का बड़ा मुद्दा था। पूर्व चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के कार्यकाल के दौरान ही सुप्रीम कोर्ट ने इस मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को जायज ठहराया था। 28 सितंबर 2018 को दिए अपने बड़े फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने सबरीमाला मंदिर में 10 से 50 साल की महिलाओं के प्रवेश को मंजूरी दी थी जिसके खिलाफ पुनर्विचार याचिकाएं दाखिल हुई थीं। अब चीफ जस्टिस रंजन गोगई की बेंच ने इस मामले में 14 नवंबर को निर्देश देते हुए पुराना फैसला बरकरार रखा और केस सात जजों की बड़ी बेंच को भेज दिया।
3) राफेल डील : जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली बेंच ने राफेल डील पर केंद्र सरकार को क्लीन चिट दे दी, और इस समझौते में किसी भी तरह के करप्शन ना होने की बात कही। सौदा रद करने की मांग खारिज करते हुए कोर्ट ने कहा था कि लड़ाकू विमान की आवश्यकता और उसकी गुणवत्ता पर कोई सवाल नहीं है। इसके साथ ही 14 अक्टूबर को चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली पांच जजों की बेंच ने पूर्व में सरकार के पक्ष में आए फैसले के खिलाफ दायर याचिकाओं को खारिज कर दिया।
4) CJI ऑफिस RTI के दायरे में : एक अन्य बड़ा और दूरगामी फैसला सुनाते हुए CJI रंजन गोगोई ने यह भी साफ किया कि जानकारी हासिल करने के अधिकार क्षेत्र में अब सुप्रीम कोर्ट के चीफ जज का ऑफिस भी आएगा।
5) सरकारी विज्ञापन में नेताओं की तस्वीर पर पाबंदी: चीफ जस्टिस रंजन गोगोई और पीसी घोष की पीठ ने सरकारी विज्ञापनों में नेताओं की तस्वीर लगाने पर पाबंदी लगा दी थी। सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद किसी भी सरकारी विज्ञापन पर राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, राज्यपाल, मुख्यमंत्री और संबंधित विभाग के मंत्री के अलावा किसी भी नेता की तस्वीर प्रकाशित करने पर रोक लगा दी गई है।
6) कोर्ट का फैसला सात क्षेत्रीय भाषाओं में भी: CJI रंजन गोगोई ने एक और बड़ा फैसला सुनाते हुए कोर्ट के फैसले को अंग्रेज़ी के अलावा 7 अन्य भाषाओं में जारी करने का प्रावधान किया था। इस फैसले से पहले तक केवल अंग्रेजी भाषा में ही फैसला प्रकाशित किया जाता था। कई बार मामले के पक्षकार अंग्रेजी भाषा को समझ नहीं पाते थे, उनकी मांग थी कि कई और भाषाओं में भी फैसले की कॉपी प्रकाशित की जानी चाहिए। अब कोर्ट असमी, हिन्दी, अंग्रेज़ी, मराठी, कन्नड, ओडिया, तेलुगू और तमिल भाषाओं में अपना फैसला जारी करता है।
ये सभी कुछ अहम फैसले थे जिनके लिए रंजन गोगोई को आने वाली कई पीढ़ियों तक याद रखा जाएगा। इनमें सबसे बड़ा फैसला राम मंदिर का था, जो कि एक दो साल से नहीं बल्कि सदियों से उलझा हुआ था। हालांकि, रंजन गोगोई ने अपने कार्यकाल में इस केस में फास्टट्रैक सुनवाई की, और सालों से अधर में पड़े इस कार्य को पूरा किया। अब बस विवादित जगह पर राम मंदिर बनने की देर है और उसके बाद जब भी कोई व्यक्ति उस राम मंदिर के दर्शन करने जाएगा, उसे हमेशा रंजन गोगोई का स्मरण होगा जिन्होंने इस केस को हल करने की दिशा दी और फैसले का इंतज़ार कर रहे करोड़ो लोगों को न्याय दिलाया।
इसके अलावा जिस तरह स चीफ जस्टिस बनने के बाद रंजन गोगोई ने सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही सख्ती से चलाने और व्यवस्था में सुधार करने का काम किया वो काफी सराहनीय हैं। जजों की छुट्टियों से लेकर लंबित पड़े मामलों तक के निपटारे के लिए सख्ती से फैसले लेने के लिए भी उन्हें हमेशा एक सफल और बेहतरीन चीफ जस्टिस के तौर पर याद किया जायेगा।